वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने तुर्की समकक्ष रजब तैयब एर्दोआन से शनिवार (25 नवंबर) को बात की. दोनों के बीच सीरियाई संकट के शांतिपूर्ण समाधान और आतंकी समूह आईएसआईएस के खात्मे के लिए संरा सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को लागू करने पर चर्चा हुई. व्हाइट हाउस ने यह जानकारी दी. व्हाइट हाउस ने दोनों नेताओं के बीच हुए फोन कॉल का ब्यौरा देते हुए बताया कि ट्रंप ने अमेरिका और तुर्की के बीच रणनीतिक साझेदारी की पुन: पुष्टि की, खासकर आतंकवाद के सभी रूपों से मुकाबला करने और क्षेत्रीय स्थिरता के मामले में.
सीरिया मामले पर, वहां गृहयुद्ध के शांतिपूर्ण समाधान के लिए दोनों नेताओं ने संरा सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2254 को लागू करने और संरा के नेतृत्व वाली जिनीवा प्रक्रिया को समर्थन देने के महत्व पर चर्चा की.
इसमें बताया गया कि ट्रंप और एर्दोआन ने मानवीय संकट को खत्म करने की जरूरत, विस्थापित सीरियाई लोगों को वापस लौटने देने, अहितकर दखल तथा आतंकियों की सुरक्षित पनाहगाह से मुक्त एकजुट सीरिया में स्थिरता सुनिश्चित करने को महत्वपूर्ण बताया. ब्यौरे में बताया गया कि दोनों नेताओं ने अमेरिका से सैन्य उपकरणों की खरीद पर भी चर्चा की.
वहीं दूसरी ओर तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत कावुसोग्लू ने शनिवार (25 नवंबर) को कहा कि उनके देश को उम्मीद है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सीरियाई कुर्द लड़ाकों को हथियारों की आपूर्ति नहीं करने के अपने वादे पर कायम रहेंगे. उन्होंने टेलीविजन पर प्रसारित एक बयान में कहा कि ट्रंप से यह उम्मीद करना हमारा स्वाभाविक अधिकार है कि वह अपना वायदा पूरा करेंगे.
अंकारा के एक शीर्ष राजनयिक ने शुक्रवार (24 नवंबर) को कहा था कि ट्रंप ने तुर्की से कहा है कि उन्होंने आदेश दिया है कि कुर्द वाईपीजी मीलिशिया को अब हथियारों की आपूर्ति नहीं की जाए. अंकारा वाईपीजी और उसके राजनीतिक संगठन डेमोक्रेटिक यूनियन पार्टी को आतंकवादी मानता है.