डॉ. दीपक अग्रवाल/भोलानाथ मिश्र
लोकतंत्र में राजनीति समाज के चरित्रवान ईमानदार जुझारू वसूल सिद्धांतों पर चलने वाली की होती है जिसका अभाव आज पैदा हो गया है। राजनीति का अपराधीकरण होने से बचाना और स्वच्छ ईमानदार संघर्षशील लोगों का पुनः राजनीति में प्रवेश स्वस्थ लोकतंत्र के लिए जरूरी हो गया है।
लोकतंत्र में राजनीति समाज सेवा पर आधारित मानी जाती है किन्तु इधर राजनीति सेवा नहीं बल्कि अपराधिक प्रवृत्ति वालों की धरोहर और खाने कमाने का साधन हो गयी है। इस समय राजनीति और राजनेता स्वच्छ बेदाग छवि वालों की नहीं बल्कि दागदार छवि वाले अपराधिक प्रवृत्ति वालों की हो गयी है। अपराधियों को राजनीति में संरक्षण मिलने लगा है जिससे अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों के लिये राजनीति शरणस्थली बनती जा रही है।
राजनेता हमेशा राजनीति को सुरक्षित रखने के लिए अपने हित में नियम कानून बनाता बिगाड़ता.रहता है और जब तक मुकदमा चलता रहता है तब तक वह राजा हरिश्चंद्र बना रहता है। यही कारण है कि देश के कई सासंदों एवं विधायकों के विरुद्ध विभिन्न अदालतों में लम्बे समय से अपराधिक मुकदमें विचाराधीन हैं। जब राजनेता को छोटी अदालत से सजा हो जाती है तो वह अपील करके कानूनी संरक्षण ले लेता है।
इस समय राजनीति में अपराधिक प्रवृत्ति का बोलबाला है लेकिन अब समय के साथ सरकार ने अपना रूख बदला है। जिसके फलस्वरूप लोकसभा में सवाल उठाने के नाम पर रिश्वत लेने के एक पुराने मामले में अदालत की विशेष पीठ ने मुकदमा चलाकर शीघ्र फैसला सुनाने का पिछले दिनों निर्णय लिया है। हाल ही में सरकार ने एक और जरूरी तथा महत्वपूर्ण फैसला लिया है। इस फैसले से उन दागी विधायकों एवं सांसदों की नींद हराम हो गयी है जिनके विरुद्ध वर्षों से अपराधिक मुकदमें चल रहे थे। क्योंकि फैसला आने के बाद मुकदमे की आड़ में अपराधिक प्रवृत्ति के राजनेताओं की राजनीति बंद हो जायेगी।
माननीयों के खिलाफ लम्बित मुकदमों की विशेष सुनवाई समय सीमा के अंदर करने के लिये एक दर्जन विशेष अदालतों का गठन किया जायेगा। सरकार का यह फैसला निश्चित तौर पर एक स्वागत योग्य एवं प्रशंसनीय है। मुकदमों की सुनवाई में देरी जहाँ वादकारी का खर्च बढ़ाती है वहीं न्याय प्रभावित होता है।
राजनीति को अपराधियों से बचाना स्वस्थ लोकतंत्र के लिए जरूरी है।