डा.दीपक अग्रवाल
इस तथ्स से इंकार नहीं किया जा सकता है कि महिलाएं समाज के विकास की धुरी हैं। नारी सम्मान, सृजन तथा शक्ति का प्रतीक है। हमारे वेद और धर्मगं्रथों में नारी शक्ति के योगदान का वर्णन किया गया है। नारी शक्ति ही चेतना का प्रतीक होती है। महिला शब्द में ही ममता, मृदुलता, मातृत्व और मानवता का समावेश है। मनु स्मृति में उल्लेख किया गया है कि जहां नारी की पूजा होती है वहीं देवताओं का वास होता है। नारी को कोमलता, क्षमाशीलता और सहनशीलता की मूर्ति माना जाता है, लेकिन जरूरत पड़ने पर यही नारी चंडी बनने से भी परहेज नहीं करती है। खासकर भारतीय उपासना में नारी तत्व की प्रधानता पुरुष से अधिक मानी गई है। नारी हमारा पालन करती है इसीलिए उसका पालन करना हमारी जिम्मेदारी है। अथर्ववेद में नारी को सत्याचरण यानी धर्म का प्रतीक माना गया है। कोई भी धार्मिक कार्य नारी के बिना पूरा नहीं माना जाता है।
हर कोई बेटे की चाहत रखता है यही वजह है कि कन्या भ्रूण हत्या की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। इन पर रोक लगाने के लिए सभी को आगे आना होगा। हर क्षेत्र में परचम लहरा रहीं महिलाएं अपनी काबिलियत को साबित कर रही हैं। वह न केवल आत्मनिर्भर हुई है, बल्कि रचनात्मकता में और पुरुषों के दबदबे वाले क्षेत्रों में भी अपनी बुलंदी का झंडा फहरा रही हैं। आज कोई सिर्फ यह कहकर उनके आत्मविश्वास को ठेस नहीं पहुंचा सकता है कि वह नारी है। वह न केवल परिवार को संभाल रही हैं, बल्कि कैरियर के मोर्च पर भी पुरुषों को बराबर टक्कर दे रही हैं।
इसीलिए बेटियों का संरक्षण आज की जरूरत हैं। नारी अपने आत्मविश्वास के बल पर दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब हो रही हैं। बेटियों को बचाते हुए उन्हें पढ़ाई के भी समान अवसर मुहैया कराने की जरूरत है।
हमें प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के ’बेटी बचाओं और बेटी पढ़ाओें’ अभियान को गति देनी चाहिए। विपक्ष को भी विपक्ष में होने के नाते हर अभियान का विरोध नहीं करना चाहिए। जो अभियान देश और आमजन के लिए लाभकारी हो उसका समर्थन करना चाहिए और उसे आगे बढ़ाना चाहिए।