Thursday, November 21, 2024
Home > देश > शिक्षा ही पहुंचाती बुलंदी परः एसपी सुधीर

शिक्षा ही पहुंचाती बुलंदी परः एसपी सुधीर

डॉ. दीपक अग्रवाल की विशेष वार्ता
अमरोहा। महज छह वर्ष की आयु में पिता का साया सिर से उठ गया तो मां ने ही पिता की जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए बेटे की परवरिश की और उसे ऐसे संस्कार और शिक्षा दी जो गांव की पगडंडियों से निकल कर देश की गौरवशाली प्रशासनिक सेवा का हकदार बना। हम बात कर रहे है जिले के प्रभावशाली, परिपक्व और गंभीर प्रवृत्ति के पुलिस अधीक्षक श्री सुधीर कुमार सिंह की।
सन शाइन न्यूज वेब पोर्टल के संपादक डॉ. दीपक अग्रवाल ने पुलिस अधीक्षक श्री सुधीर कुमार सिंह से उनकी पढ़ाई, संघर्ष, परिवार, वर्तमान परिवेश, समाज में विभिन्न स्तर पर हो रहे बदलाव, किशोरों में बढ़ती अपराध की प्रवृत्ति और सोशल मीडिया की भूमिका को लेकर विस्तार से वार्ता की। पेश हैं वार्ता के प्रमुख अंशः

जब छह वर्ष के थे पिता का हुआ देहांत
एसपी श्री सिंह का जन्म जनपद बिजनौर की तहसील नगीना के गांव पुरैनी में 29 जनवरी 1963 को हुआ। उनके पिता स्वर्गीय गुलशन सिंह पेशे से किसान थे। मां स्वर्गीय लक्ष्मी देवी गृहणी थी। जब सुधीर महज छह वर्ष के थे तब उनके पिता का देहांत हो गया था।

प्राथमिक शिक्षा गांव के स्कूल से हासिल की

उन्होंने बताया कि प्राथमिक शिक्षा गांव के ही बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूल से हासिल की। परिवार में उनके अलावा चार बड़ी बहने भी थी। पिता की मृत्यु के बाद उनकी जिम्मेदारी को भी मां ने संभाला और बेटे को पिता की कमी महसूस नहीं होने दी। वर्ष 2005 में मां का भी देहांत हो गया।

उच्च शिक्षा के लिए मुरादाबाद आए
प्राथमिक शिक्षा गांव के स्कूल से पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए मुरादाबाद में बड़ी बहन के घर आ गए। कक्षा छह से इंटर तक की पढ़ाई राजकीय इंटर कालेज मुरादाबाद से की। उसके बाद हिंदू डिग्री कालेज मुरादाबाद से बीएससी पीसीएम और एमए अर्थशास्त्र से किया।

1987 में ट्रेजरी आफिसर बने
उन्होंने बताया कि 1987 बैच में पीसीएस की फाइनेंस सेवा में उनका चयन हुआ। मुरादाबाद में ही ट्रेजरी आफिसर के पद पर कार्यभार ग्रहण किया। साथ ही सिविल सर्विस परीक्षाओं की तैयारी करते रहे।

1989 में पीपीएस में चयन
1989 में पीपीएस राज्य पुलिस सेवा में चयन हुआ। लिहाजा ट्रेजरी आफिसर की नौकरी छोड़कर राज्य पुलिस सेवा में आ गए। एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने बताया कि वह गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, सीतापुर और अमरोहा में पुलिस उपाधीक्षक रहे।

2005 में एएसपी के पद पर पदोन्नति
उन्होंने बताया कि वर्ष 2005 में अपर पुलिस अधीक्षक के पद पर पदोन्नति मिली। मुजफ्फरनगर, नोएडा, मुरादाबाद, मेरठ, हापुड़ और पीलीभीत में अपर पुलिस अधीक्षक के पद पर कार्य किया।

2015 में आईपीएस बने
श्री सिंह को वर्ष 2015 में आईपीएस कैडर में पदोन्नति मिली। बलरामपुर, गांडा, अंबेडकर नगर में पुलिस अधीक्षक रहे। 27 अक्टूबर 2017 को अमरोहा में पुलिस अधीक्षक के पद पर कार्यभार ग्रहण किया।

बेटा इशांत प्रताप सिंह आईएएस
एसपी श्री सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि उनकी पत्नी श्रीमती कल्पना सिंह गृहणी हैं जबकि बेटा इशांत प्रताप सिंह इसी वर्ष 2017 में आईएएस में चयनित हुआ। इन दिनों वह मसूरी में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। इससे पहले उनका चयन 2015 में आईपीएस में भी हो गया था और उन्होंने ट्रेनिंग भी की।

लक्ष्य पाने को कड़ी मेहनत जरूरी
उन्होंने छात्र-छात्राओं को संदेश दिया कि वह किस क्षेत्र में कैरियर बनाना चाहते हैं पहले उसका चयन जरूरी है। एक बार लक्ष्य निर्धारित कर लेने के बाद उसे बदलना नहीं चाहिए।
लक्ष्य निर्धारत करने के बाद उसे पाने के लिए कड़ी मेहनत करने की जरूरत होती है। लगन और निष्ठा को साथ कड़ी मेहनत करने पर सफलता निश्चित रूप से मिलती है।

माता-पिता और बुजुर्गों का सम्मान जरूरी
एसपी श्री सिंह का मानना है कि माता-पिता बच्चों को ईश्वर का अनमोल उपहार है। सभी को अपने माता-पिता का कहना मानना चाहिए और सम्मान करना चाहिए। साथ ही बुजुर्गों का भी सम्मान करना चाहिए, वे ही समाज को आगे बढ़ने का रास्ता दिखलाते हैं।

जरूरतमंदों की इमदाद करनी चाहिए
उन्होंने सभी का आह्वान किया जरूरतमंदों की इमदाद प्राथमिकता के आधार पर करनी चाहिए। गरीबों और पीड़ितों को आगे बढ़ाने में हर किसी को अपनी हैसियत के मुताबिक सहयोग करना चाहिए।

बच्चों को काउंसलिंग की जरूरत
एसपी श्री सिंह का मानना है कि आज के मौजूदा दौर में बच्चों को काउंसलिंग की जरूरत है। उन पर पढ़ाई और कैरियर को लेकर बहुत दबाव बढ़ता जा रहा है। यही वजह है कि बच्चों और किशोरों में अपराध बढ़ रहा है। यह अपराध स्वयं को हानि पहुंचाने वाला या दूसरों को हानि पहुंचाने वाला हो सकता है।
स्कूलों में भी माहौल बदल गया है। बच्चां की पिटाई करने को उचित नहीं ठहराया जा सकता है। घर और स्कूल दोनों जगह बच्चों को काउंसलिंग की जरूरत है।

सोशल मीडिया में ज्ञान का भंडार
उन्हांने बताया कि यह हकीकत है कि सोशल मीडिया में ज्ञान का भंडार समाया हुआ है। पल झपकते ही कोई भी जानकारी नेट से प्राप्त की जा सकती है। लेकिन इसका बढ़ता दुरुपयोग हानिकारक है। पेरेंट्स को इस पर नजर रखनी चाहिए कि बच्चे इसका दुरुपयोग तो नहीं कर रहे हैं। ज्ञान बढ़ाने के लिए इसका उपयोग किया जाना चाहिए।

हर किसी के लिए योग जरूरी
एक प्रश्न के उत्तर में एसपी श्री सिंह ने बताया कि योग और प्राणायाम हर किसी के लिए जरूरी है। योग करने और ध्यान लगाने से मानसिक संतुलन बना रहता है। छात्र-छात्राओं को नियमित योग कराया जाना चाहिए, इससे उनका मन पढ़ाई में भी लगेगा और उन्हें अनुशासन में रहने की सीख भी मिलेगी।

Print Friendly, PDF & Email
Dr. Deepak Agarwal
Dr. Deepak Agarwal is the founder of SunShineNews. He is also an experienced Journalist and Asst. Professor of mass communication and journalism at the Jagdish Saran Hindu (P.G) College Amroha Uttar Pradesh. He had worked 15 years in Amur Ujala, 8 years in Hindustan,3years in Chingari and Bijnor Times. For news, advertisement and any query contact us on deepakamrohi@gmail.com
https://www.sunshinenews.in