डॉ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा। नए साल पर जिले के ख्यातिलब्द्ध गुरुजनों की रचनाओं को आपके समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है। ये सभी गुरुजन बड़े कर्मठ है बेहतर शिक्षण संग समाज को भी दिशा दे रहे हैं।
श्योनाथ सिंह प्रजापति
राष्ट्रीय पुरुस्कार प्राप्त सेवा.शिक्षक ।
महेशरा (अमरोहा )।
आओ नया साल मनाऐ,
कलुषित मन का मैल धुलाऐ ।
सदाचार व सत्य अहिंसा को
मिलकर हम साकार करें ।
निज जीवन से दम्भ, कपट,
छल-प्रपंच को दूर करें ।
वाणी में अमृत घोले व
कटुता का परित्याग कराएँ ।।1।।आओ नया ——–
सत्य जगा कर स्व मन अन्दर
चिर निद्रा मे ’झूठ ’सुला दे ।
निर्बल को बलवान बनाकर,
’बेटी ’को सम्मान दिला दें ।
नयी किरण बन नया उजाला
’ग्यान पुन्ज’चहुदिश फैलाऐ ।।2।।
आओ नया ——–
नयी उमंगे, नयी तरंगे,
नया -नया परिवेश मिले ।
नयी ऊर्जा, नये जोश मे,
नया स्वच्छता वेश मिले ।
नयी सोच हो नये वरस मे,
मन में ऐसा दीप जलाऐ ।।
तब मंगल मय वर्ष कहाऐ।
मन का कलुषित मैल मिटाऐ ।।
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शशि त्यागी
शिक्षिका, डीपीएस मुरादाबाद
38 अमरोहा ग्रीन कालोनी
अमरोहा।
“आओ नवल वर्ष मनाएं
नवल विचार अपनाएं।“
खुशियों से दामन भर जाएं,
जीवन की बगिया महकाएं,
हर्षोल्लास से मन भरकर,
आओ नवल वर्ष मनाएं।
मातृशक्ति का मान बढाएं,
अपनेपन का भाव जगाएं,
विपदाओं से मुक्ति दिलाकर,
आओ नवल वर्ष मनाएं।
पीड़ित जन को गले लगाएं,
उसका भी घर-द्वार सजाएं,
भेद-भाव को समूल मिटाकर,
आओ नवल वर्ष मनाएं
राष्ट्र हितार्थ कानून अपनाएं,
संविधान का मान बढ़ाएं ,
जन-गण-मन सब मिलकर,
आओ नवल वर्ष मनाएं।
राष्ट्र भक्ति का भाव जगाएं,
वसुधैव कुटुंबकम अपनाएं,
सुसंस्कारों को अपनाकर,
आओ नवल वर्ष मनाएं ।
खुद में अटल विश्वास जगाएं,
विश्व पटल पर हम छा जाएं,
आतंक को लोहा मनवाकर,
आओ नवल वर्ष मनाएं
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हेमा तिवारी भट्ट
प्रधानध्यापिका
प्राथमिक विद्यालय
अम्हेड़ा ब्लाक जोया।
नाचती ता थैय्या काल की करताल में
मना रही जश्न पर,घिरी हूँ सवाल में
सोच रही हूँ,क्या होगा नये साल में
क्या धरा के सीने से रवि फूटेगा
या किसी निर्धन का दिल नहीं टूटेगा
रह पायेगा खुश क्या वो फटेहाल में
सोच रही हूँ क्या होगा नये साल में
क्या जीव चौपाया हवा में उड़ेगा
या निशंक दिल,दिल से जुड़ेगा
क्या मन भोला न फँसेगा किसी जाल में
सोच रही हूँ क्या होगा नये साल में
क्या घन गगन का भू पे उग आयेगा
या नर,नर से धोखा नहीं खायेगा
मन में छिपा,क्या पढ़ेंगे कपाल में
सोच रही हूँ क्या होगा नये साल में
क्या बड़े बड़े वृक्ष धावक हो जायेंगे
या पिल्ले सिंहशावक हो जायेंगे
जाने क्या लिखा है आगत के भाल में
सोच रही हूँ क्या होगा नये साल में
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मीनाक्षी ठाकुर, उ.प्रा.वि.ढकिया
जिला अमरोहा
छिन्न भिन्न मस्तक करके मेरे वीरों का क्या पाओगे।
दंभी, कायर और कपटी हो,जग मे भीरु कहलाओगे
मत भूलो ये पावन भूमि, जिस पर प्रभु राम के चरण पड़े
एक हरण के प्रत्युत्तर में,रावण के दस शीश हरे।
छद्म युद्ध ,नापाक कदम,तुझ कायर की परिपाटी है,
अतुलित बल ,शौर्य,की जननी भारत की ये माटी है।
सन्मुख भारत रणवीरों के क्षण
एक नही टिक पाओगे।
भेज निमंत्रण महाकाल को खुद
अपना नाश कराओगे।
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सुहैल अख्तर (स0 शीबान क़ादरी)
हेड मास्टर
प्राथमिक विद्यालय शहबाजपुर पट्टी।
ब्लॉक् जोया।
ग़ज़ल
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चाह उड़ने की आसमानों में
और बैठे हैं चाय खानों में
किस्से मिलते है अब कनीज़ों के
बादशाहों की दास्ताँनो में
वो परिंदा हसीन था इतना
तीर अटके रहे कमानों में
जब से वो चाँद बाज़ुओं में है
उड़ रहा हूँ मैं आसमानों में
बात करती है जब वो शाख ऐ गुलाब
फूल खिलते हैं गुलसितांनों में
अब कहाँ वो सुरीली आवाज़ें
शहद जो घोलतीं थीं कानो में
ऊंची ऊंची हवेलियों वाले
झांकते हैं ग़रीब खानों में
जिन पे तारीख नाज़ करती थी
बट गए वो भी खानदानों में
जाने कितनी हक़ीक़तें शीबान
खो गयीं दर्द के फसनों में।
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धर्मेन्द्र भारती
हेड मास्टर
प्राथमिक विद्यालय मिठनपुर
ब्लॉक जोया ज़िला अमरोहा
शिक्षक का मन
मन चाहता है,कुछ नया करू।
कुछ हटकर कुछ मिलकर।।
क्या करने आए हम।
क्या कर रहे बोलो रे मन।।
कुछ सपने लेकर आए हम।
करें पूरा कैसे बोलो रे मन ।।
मन चंचल आया।
चंचल नहीं रहा रे अब मन ।।
व्यवस्था ने अपनी मनवायी।
सुना नहीं हमारा रे मन ।।
उन बच्चों को देनी शिक्षा ।
स्कूल नहीं आते रे लेकर मन ।।
हारे थक जाता रे शिक्षक का मन।
कुछ भी कर लो ।।
खुश नहीं होता किसी का मन।
शिक्षक बालक बुलाता,
उसे पढ़ाता।।
साफ रहने का की बात बताता।
सबके मन को खुश कर पाता।।
व्याकुल रहता हरदम मन।
कुछ टूटे सपने,कुछ रुठे अपने।
किसको मनाए तू रे मन।।