डॉ. दीपक अग्रवाल/भोलानाथ मिश्र
राहुल गांधी के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को आज एक बहुप्रतीक्षित चमकता गाँधी परिवार का नया भविष्य निर्माता मिल गया है। गांधी परिवार और कांग्रेस का जन्म जन्मांतर का रिश्ता है। राहुल की ताजपोशी सोने के सिंहासन पर बैठना जैसा नहीं बल्कि यह चुनौतियों से परिपूर्ण कांटों के ताज जैसा है।
गाँधी परिवार की कुर्बानियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है यहीं कारण है कि बिना गांधी परिवार के कांग्रेस अधूरी लगती है।गैर गांधी परिवार का कोई भी व्यक्ति जब भी कांग्रेस की गद्दी पर सवार हुआ है तब तब कांग्रेस कमजोर हुयी है चाहे राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में हो चाहे प्रधानमंत्री के रुप में हो।
यहीं कारण है कि कांग्रेस गांधी परिवार का साथ नहीं छोड़ना चाहती है। यह बात अलग है कि हर घर की तरह से इस घर में भी कुछ लोग ऐसे हैं जो समय समय पर इस गांधी परम्परा का विरोध कर वरिष्ठता के पक्षधर रहें हैं। आज भी कांग्रेस में ऐसे लोग हैं जो राहुल गांधी की ताजपोशी के पक्षधर नहीं हैं लेकिन चुप्पी साधे बगुला भगत बने बैठे हैं । गाँधी परिवार के जगमगाते चिराग राहुल गांधी की निर्विरोध राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी हो चुकी है और अब राहुल गांधी कांग्रेस का राजनैतिक भविष्य तय करने आ गये हैं।
हम राहुल जी के निर्विरोध अध्यक्ष चुने जाने पर उन्हें दिली मुबारकबाद बधाई शुभकामनाएं देते हैं।
यह राजनैतिक दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि राहुल जी जैसे नवजवान सीधे सपाट व्यक्ति का उदय भाजपा शासनकाल में हुआ जहाँ पर एक से बढ़कर महारथी बैठे हैं। यह तो सही ही है कि राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा की मुख्य प्रतिद्वंद्वी पार्टी के रूप में आज भी कांग्रेस है और इतिहास साक्षी है कि आजादी के बाद से अब तक लम्बे समय तक शासनसत्ता से दूर नहीं रही है।
मोदी जी की सरकार आने के पहले कांग्रेस की ही सरकार थी और राहुल गांधी राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं थे लेकिन वरिष्ठ नेताओं में माने जाते थे। कांग्रेस के जमाने की कर्जमाफी को आज भी लोग याद करके मिसाल देते हैं।
समय की बात है कि कांग्रेस को समाजवादी पार्टी से हाथ मिलाकर राजनैतिक सफर तय करना पड़ रहा है। इधर भारतीय राजनीति में राहुलजी की सक्रियता आक्रमणता एवं वाकयुद्ध में जो बदलाव आया है उसका नतीजा गुजरात चुनावों में देखने को मिल रहा है और प्रधानमंत्री और उनकी टीम को अपनी सारी ताकत इज्ज़त बचाने में लगानी पड़ रही है।
गुजरात चुनाव के दौरान राहुल गांधी के हिंदुत्व पर भी विपक्षी हमले करके उनकी पार्टी को आतंकी कटघरे में खड़ा कर चुके है।राहुल गांधी के कुछ अपने भी ऐसे हैं जो उनकी कमियाबी नहीं चाहते हैं। राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस अपना खोया गौरव वापस लाने में कितनी कामियाब होगी यह भविष्य के गर्त में छिपा है किन्तु यह आशा की जाती है कि अब कांग्रेस में नवजवानों का युग आयेगा और बुजुर्गों का युग समाप्त होगा।कांग्रेस से राहुल गांधी की अगुवाई में एक नयी इबारत लिखने की उम्मीद की जाती है।