डॉ.दीपक अग्रवाल
अमरोहा-22 जनवरी। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विश्व संवाद केन्द्र, मेरठ के प्रचार प्रमुख तथा राष्ट्रदेव के सम्पादक अजय मित्तल ने कहा कि भारत का इतिहास अत्यन्त गौरवशाली रहा है किन्तु आक्रान्ताओं द्वारा लिखे गये इतिहास में भारत के विषय में अनेक भ्रान्तियां उत्पन्न की गयी। पुराणों को इतिहास का एक बहुत बड़ा श्रोत बताया।
यह विचार श्री मित्तल ने जिला इतिहास संकलन समिति के तत्वावधान में जे.एस. हिन्दू (पी.जी.) कॉलेज के इतिहास विभाग द्वारा इतिहास दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित संगोष्ठी मे‘ जनपद अमरोहा-स्थानीय इतिहास’ विषय पर महाविद्यालय के सुदर्शन सभागार में आयोजित संगोष्ठी में बतौर मुख्य व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि मैकाले ने इतिहास को भ्रमित किया। उन्होंने कहा कि प्रसिद्ध गणितिज्ञ रामानुजम को जो कभी गणित के छात्र नहीं रहे, उन्हें कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने पीएच0डी0 की उपाधि से नवाज़ा। शचीन्द्रनाथ सान्याल, चापेकरबन्धु, हरिपद भट्टाचार्य तथा सावरकर बन्धु आदि जैसे क्रान्तिकारियों के इतिहास पर भी चर्चा की।
भारतीय इतिहास विकृत रूप में हमारे समक्ष है
इस अवसर पर एनआरईसी कॉलेज, खुर्जा के प्राचार्य डॉ0 के0 डी0 शर्मा ने मुख्य अतिथि के रूप में अपने उद्बोधन में कहा कि इतिहास देवी सत्य के फूल चाहती है। आज भारतीय इतिहास अपने विकृत रूप में हमारे समक्ष है।
3 हजार साल पहले बसा था अमरोहा
इस अवसर पर अमरोहा नगर का प्राचीन इतिहास ग्रन्थ के लेखक सुरेश चन्द्र शर्मा सारस्वत ने वैदिक युग से 12वीं शताब्दी तक के अमरोहा के इतिहास की चर्चा की। उन्होंने बताया कि अमरोहा को 3 हजार साल पहले बसाया गया होगा ऐसा शोध से उजागर हुआ।
इतिहास में सत्य और तथ्य का समावेश होना चाहिए
महाविद्यालय में आयोजित संगोष्ठी में प्राचार्य डॉ0 वन्दना रानी गुप्ता ने कहा कि इतिहास लेखकों ने भारतीय इतिहास के साथ न्याय नहीं किया। इतिहास में सत्य और तथ्य का समावेश होना चाहिए।
भारतीय जनमानस में कुण्ठा उत्पन्न करने की कोशिश
संगोष्ठी में बोलते हुए इतिहास समिति के प्रान्तीय उपाध्यक्ष व राजनीति विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर व अध्यक्ष डॉ0 अशोक रुस्तगी ने कहा कि भारत के इतिहास में अपनी प्राचीन संस्कृति व सभ्यता के लिए दुनियाभर में विख्यात भारत को उसके यथार्थ रूप में प्रस्तुत न करके भारतीय जनमानस में कुण्ठा उत्पन्न करने की कोशिश की गयी है।
इस अवसर पर शिवानी गोयल ने कहा कि 1857 की क्रान्ति विश्व की एक महानतम क्रान्ति थी। इस क्रान्ति में अमरोहा क्षेत्र का भी विशेष योगदान रहा है। भुवनेश शर्मा ‘भुवन’ ने अपने ग्रंथ अमरोहा के गौरव पर रोशनी डाली।
नरेश सिंह इतिहास समिति के जिलाध्यक्ष बने
संगोष्ठी के अवसर पर जिला इतिहास संकलन समिति के लिए पुनर्गठित समिति की भी घोषणा की गयी। समिति के अध्यक्ष के रूप में डॉ0 नरेश सिंह तथा उपाध्यक्ष के रूप में डॉ0 बीना रुस्तगी, डॉ0 ओमेन्द्र सिंह, डॉ0 मनमोहन सिंह, इंजी0 पवन कुमार चौहान के नामों की घोषणा की गयी।
पीयूष शर्मा सचिव
डॉ0 पीयूष शर्मा को सचिव तथा सैयद मुर्तजा आगा एवं डॉ0 वीरेन्द्र शुक्ला को सहसचिव बनाया गया। कोषाध्यक्ष सुधांश विश्नोई एडवोकेट होंगे। लेखक प्रमुख के रूप में सुरेश चन्द्र शर्मा सारस्वत तथा सह लेखक प्रमुख के रूप में डॉ0 शिवानी गोयल के नाम की घोषणा की गयी।
दीपक अग्रवाल प्रचार प्रमुख
समिति में डॉ0 संयुक्त देवी को विद्वत्परिषद का प्रमुख बनाया गया, वहीं सहायक विद्वत्परिषद प्रमुख रोहताश्व सिंह विद्यार्थी, प्रचार प्रमुख डॉ0 दीपक अग्रवाल तथा सह प्रचार प्रमुख डॉ0 नरेन्द्र सिंह बनाये गये।
जीके सिंह जनपद प्रभारी
अमरोहा जनपद प्रभारी के रूप में डॉ0 जी0के0 सिंह (मुरादाबाद) तथा जनपद के सह प्रभारी के रूप में डॉ0 अशोक रुस्तगी, प्रान्तीय उपाध्यक्ष के नाम की घोषणा की गयी। संरक्षक मण्डल में डॉ0 एम0एस0 त्यागी, सुरेश नागर, आशा नागर, विजय शंकर अग्रवाल, डॉ0 हरिओम अग्रवाल, अजय टण्डन, डॉ0 मोमराज सिंह गुर्जर तथा सरदार सुरेन्द्र सिंह आदि के नाम घोषित किये गये।
महाविद्यालय में आयोजित संगोष्ठी में भाजपा के निवर्तमान जिलाध्यक्ष गिरीश त्यागीसंघ के जिला प्रचारक नरेन्द्र, डॉ0 जी0के0 सिंह, डॉ0 अनिलेश कुमार सिंह, वीरेन्द्र पाठक, नरेन्द्र सिंह, कृष्ण कुमार बत्रा, विमलकिशोर वन्देमातरम,, अनवार समादानी, डॉ0 ब्रजेश कुमार, हेतराम सागर आदि सहित अनेक गणमान्यजन व इतिहास संकलन समिति के सदस्य उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ0 पीयूष शर्मा ने किया तथा अध्यक्षता प्राचार्या डॉ0 वन्दना रानी गुप्ता ने की।