डॉ.दीपक अग्रवाल अमरोहा से
योगी जी क्या ? 200 रुपए का स्वेटर ठंड भगा पाएगा।
मुझे 4 जनवरी को अमरोहा में 200 रुपए में उच्च गुणवत्ता का ऊनी स्वेटर बाजार में ढूंढे नहीं मिला।
क्या ?यह बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब बच्चों के साथ मजाक तो नहीं किया जा रहा।
क्या जिन मां बापों को बच्चे पैदा करने का हक है उनकी जिम्मेदारी उन बच्चों की परवरिश की नहीं है ?
विचारणीय कहीं सरकार सभी को अनुदान बांटकर कमजोर तो नहीं बना रही है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री परमश्रद्धेय योगी आदित्यनाथ जी ने बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को निशुल्क बैग, जूत,े मोजे बंटवाए और अब स्वेटर की बारी आई। बहुत अच्छा है, वह साधुवाद के हकदार हैं।
अपर मुख्य सचिव राज प्रताप सिंह ने 3 जनवरी 2018 को जारी पत्र के माध्यम से सूबे के जिलाधिकारियों को निर्देशित किया है कि स्वेटरों का वितरण 30 दिनों के भीतर करा दिया जाए। स्वेटर 200 रुपए से अधिक की कीमत का नहीं होना चाहिए और उच्च गुणवत्ता का ऊनी स्वेटर होना अनिवार्यता है। स्वेटरों की गुणवत्ता परखने के लिए डीएम की अध्यक्षता में एक समिति भी गठित की गई। जिसमें सीडीओ, डीएम द्वारा नामित वरिष्ठतम उप जिलाधिकारी, महाप्रबंधक उद्योग विभाग, एसटीओ और बीएसए को शामिल किया गया।
पारदर्शिता के लिए स्वेटर क्रय समिति भी बनाई गई। 20 हजार रुपए से एक लाख रुपए की खरीद के लिए कोटेशन प्राप्त करने और एक लाख से अधिक की खरीद पर टेंडर की प्रक्रिया अपनाने की व्यवस्था की गई।
सब कुछ बहुत अच्छा किया गया। शासनादेश में की गई व्यवस्था को देखकर मन खुश हो गया कि सरकार गरीबों के बच्चों के लिए बहुत कुछ कर रही है।
बेसिक शिक्षा की रिपोर्टिंग करते हुए हमें 20 साल से अधिक का समय हो गया। इसीलिए पत्रकार होने के नाते 4 जनवरी को हम 200 रुपए का उच्च गुणवत्ता का स्वेटर खरीदने बाजार निकल गए लेकिन हाथ नहीं आया। हमें तो दुकानदारों ने यही बताया कि 200 रुपए में स्वेटर तो मिल जाएगा लेकिन उच्च ऊनी गुणवत्ता का नहीं होगा। अब सरकार का गुणवत्ता मापने का पैमाना तो हमें पता नहीं। जो हकीकत है बयां कर दी।
बाजार से लौटकर हमने लखनऊ में शासन में उच्च पद पर आसीन अपने एक आईएएस मित्र को फोन किया। स्वेटर पर चर्चा की बोले सरकारी काम हैं सब होगा। हमारा काम शासन की मंशा को पूरा कराना है।
अब उन्हें क्या पता कि 25 दिसंबर को अटल जी के जन्म दिन पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को ठंड में स्वेटरों का वितरण कराने में पसीने छूट गए।