डॉ.दीपक अग्रवाल
अमरोहा। जे.एस.हिन्दू महाविद्यालय में 17 फरवरी को आयोजित अखिल भारतीय सेमिनार में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए राजनीतिक दलों में राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना पैदा करने, शिक्षा को रोजगारपरक बनाने और बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण लगाने की वकालत की गई।
इस सेमिनार का आयोजन ‘नवीन विकसित राष्ट्र के रूप में बदलता भारत : मुद्दे एवं चुनौतियाँ’ विषय पर किया गया।
किसान का खेती से दूर जाना चिंताजनक
इसमें बतौर मुख्य वक्ता लखनऊ के जय नारायण पी.जी. कालिज के वाणिज्य संकाय के भूतपूर्व अध्यक्ष एवं प्रभारी डॉ. सलिल चन्द्रा ने कहा कि हमें विचार करना होगा कि जापान, साऊथ कोरिया, सिंगापुर को हमसे आजाद हुये कम समय हुआ है लेकिन वे हमारे राष्ट्र से अधिक तरक्की कर गये हैं। हमारे देश में न तो नौकरियों में बढ़ोत्तरी हो रही है, न ही उद्योगों को बढ़ावा मिल पा रहा है। किसान भी खेती से दूर जा रहा है। जिसकी वजह से किसान को उसकी फसल का वाजिब दाम नहीं मिल पाना है। एक बड़ी समस्या बढ़ती जनसंख्या भी है। जनसंख्या के मामले में आज हम विश्व के दूसरे सबसे बड़े देश बन गये हैं।
शिक्षा में आमूल-चूल परिवर्तन की जरूरत
अति विशिष्ट अतिथि क्षेत्रीय उच्च षिक्षा अधिकारी बरेली डॉ. आर.पी. यादव ने भारत की विकसित राष्ट्र बनाने के लिए शिक्षा में आमूल-चूल परिवर्तन की बात कही। उन्होंने एक मॉडल पेश करते हुए समझाया कि बच्चों को उनकी रुचि और क्षमता के अनुसार ही शिक्षा दिलायी जानी चाहिए।
आईक्यू के साथ-साथ ईक्यू को विकसित करें
सेमिनार के मुख्य अतिथि उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी (नैनीताल) के कुलपति प्रोफेसर नागेश्वर राव ने कहा कि सभी नवाचार की बात तो करते हैं लेकिन हकीकत में नवाचार कोई नहीं करना चाहता हम पुरानी परम्पराओं और परिपाटियों को ही आगे बढ़ाते हैं। उन्होंने अपनी बात को आईक्यू और ईक्यू के माध्यम से समझाते हुये कहा कि परीक्षा पास करना और अच्छे अंक प्राप्त करना आईक्यू के माध्यम से किया जाता है जबकि कल्पना शक्ति और सृजनात्मकता के माध्यम से नवाचार किया जाता है। अगर हम भारत को विकसित राष्ट्र बनाना चाहते हैं तो हमें बच्चों को आईक्यू के साथ-साथ ईक्यू को विकसित करने का मौका भी देना होगा।
संसाधनां से कई गुना ही जनसंख्या बढ़ती
सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए मगध विश्वविद्यालय, बोधगया (बिहार) के पूर्व कुलपति और जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के प्रोफसर मोह. इश्तियाक अहमद ने कहा कि अगर हम विकसित राष्ट्र की श्रेणी में खड़ा होना चाहते हैं तो हमें बढ़ती आबादी को रोकना होगा। जितने संसाधन उपलब्ध हो पाते हैं उससे कई गुना ही जनसंख्या बढ़ जाती है। उन्होंने अपनी मांगों को बनवाने के लिए हड़ताल का सहारा लेने को भी अनुचित ठहराया। जापान में वहां के नागरिक विरोध के लिए हड़ताल नहीं करते बल्कि अधिक काम करके अपना विरोध प्रकट करते हैं। उन्होंने कहा कि राजनीतिक पार्टियां भी अपने स्वार्थ के लिए एक-दूसरे की खिंचाई करती हैं। देष के हित के मुद्दों पर सत्ता और विपक्ष का एक न होना भी भारत की राष्ट्र बनाने में बड़ी बाधा है।
विकसित राष्ट्र के लिए सभी को प्रयास करना होगा
सेमिनार के संयोजक डॉ. सुधांश र्श्मा ने सफल संचालन करते हुए कहा कि भारत की स्वतंत्रता के 70 वर्षों के बाद भी यह कहा जाता है कि देश विकसित हो रहा है यद्यपि पिछले कुछ वर्षों में सामाजिक, आर्थिक क्षेत्रों में भारत की उत्पादकता बढ़ी है व वर्तमान एवं आधुनिक टैक्नोलोजी के दृष्टिकोण से देश के सामाजिक एवं आर्थिक क्षेत्रों में विकास हुआ है परन्तु विकसित देश कहलाने के दृष्टिकोण से हमें अपने उद्देश्यों को प्राप्त करना बाकी है क्योंकि अभी हम विकसित देशों की श्रृंखला में अपना नाम जुड़वाने के लिये मीलों दूर हैं।
प्रबंध समिति पदाधिकारियों ने सहयोग किया
इससे पूर्व अतिथियों और प्रबंध समिति के संरक्षक इं.जय गोपाल माहेश्वरी, अध्यक्ष रमेश चन्द्र अग्रवाल एवं मंत्री गिरीश चन्द्र अग्रवाल ने माँ सरस्वती के चित्र समक्ष दीप प्रज्जवलित कर सेमिनार का शुभारम्भ किया। वैभव ने वंदे मातरत् प्रस्तुत किया। अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान किये गये और शॉल उढ़ाकर उनका सम्मान भी किया गया।
प्राचार्या ने आभार जताया
अंत में प्राचार्या डॉ. वन्दना रानी गुप्ता ने सभी का आभार व्यक्त किया उन्होंने कहा कि इस सेमिनार का विषय कालिज के पूर्व प्राचार्य डॉ. पी.के. जैन ने सुझाया जो सभी को पसंद आया और इस विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया उनका विषेष रूप से आभार व्यक्त किया। उन्होंने कालिज की प्रबंध समिति का भी आभार व्यक्त किया। इस सत्र का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।