डॉ.दीपक अग्रवाल
अमरोहा। डिप्टी कलेक्टर गम्भीर सिंह स्कूलों का निरीक्षण करने पर वहां कमियां मिलने पर शिक्षकों को दंडित नहीं कराते हैं बल्कि उन्हें सुधार के लिए प्रेरित करते हैं।
एक शिक्षक को एक शिक्षक होने के मायने संमझाने के लिए नया विचार नई ऊर्जा फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने पहल की है। फाउंडेशन के अग्रणी बलिया के डिप्टी कलेक्टर गम्भीर सिंह का मानना है कि शिक्षक होना केवल कक्षा, कक्षा में पढ़ा देना मात्र नहीं है या स्कूल के परिसर तक सीमित नहीं है। एक अच्छा शिक्षक समाज का नेता होता है। शिक्षक केवल अपने छात्रों को ही नहीं बल्कि पूरे शिक्षक समाज को पढ़ने-लिखने की ओर प्रवृत्त करते रहना चाहिए। शिक्षक का काम केवल पढ़ाना मात्र नहीं है बल्कि समाज में पढ़ने की संस्कृति को विकसित करना भी है। यह शिक्षक का महत्वपूर्ण दायित्व है इसके लिए जरूरी है कि शिक्षक स्वयं एक अच्छा अध्येता और लेखक हो । निरंतर किताबों से उसका जुड़ाव बना रहे और अपने अनुभवों को लिखित रूप से दर्ज भी करता रहे। इससे विचारों में एक क्रमबद्धता और परिपक्वता आती है। वह खुद अपने जीवन के अंतिम दिनों तक इस काम को करते रहे।
हम लोगों के सहयोगी गम्भीर सिंह ने शिक्षक के पद को नई गरिमा प्रदान की वो खुद अक्सर स्कूलों की जांच तो करते है लेकिन कभी दंड नही देते हमेशा शिक्षक को नए नए इनोवेटिव विचार दे कर स्कूलों में सुधरात्मक तरीके भी बताते हैं जिनकी यह दृढ़ मान्यता है कि केवल डिग्री -डिप्लोमा ले लेने मात्र से कोई अच्छा शिक्षक नहीं बन जाता है ।