डॉ.दीपक अग्रवाल
लखनऊ/अमरोहा। सूबे के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी शिक्षामित्रों के समायोजन में उलझ गए हैं। शासन ने शिक्षामित्रों को उनके तैनाती वाले स्कूलों में भेजने का आदेश देकर राहत प्रदान की है। लेकिन इससे स्कूलों में शिक्षकों का आंकड़ा गड़बड़ा रहा है। शिक्षकों का कहना है कि अगर वे प्रभावित हुए तो कोर्ट की शरण लेंगे।
शासन शिक्षामित्रों को नियमित करने की दिशा में तो कोई सार्थक पहल नहीं कर पाया हैं। कोर्ट के आदेश के एक साल बाद शिक्षामित्रों को उनके मूल स्कूलों में और महिला शिक्षामित्रों को उनकी ससुराल या मायके के स्कूल में भेजने के आदेश कर राहत प्रदान की है।
हर स्कूल में दो शिक्षक अनिवार्य
शिक्षा का अधिकार नियम 2009 के तहत नियम यह भी है कि 60 तक की छात्र संख्या पर प्राथमिक विद्यालय में कम से कम दो शिक्षक अनिवार्य रूप से होने चाहिए। कोई भी स्कूल एकल नहीं होना चाहिए। हर स्कूल में दो शिक्षामित्रों की नियुक्ति की गई थी, लेकिन समायोजन में स्कूलों में दो से अधिक भी शिक्षामित्र आने को तैयार हैं।
स्कूल में शिक्षक और शिक्षामित्रों की स्थिति स्पष्ट नहीं
सूत्रों के अनुसार ऐसे स्थिति में स्कूल में नियमित शिक्षकों का आंकड़ा गड़बड़ा रहा है। हालांकि सचिव बेसिक शिक्षा परिषद श्री संजय सिन्हा ने आदेश दिया है कि किसी भी दशा में कोई स्कूल शिक्षकविहीन नहीं किया जाएगा। इससे स्पष्ट है कि शिक्षामित्र को स्कूल का चार्ज और वित्तीय अधिकार नहीं दिए जा सकते हैं। अब स्कूल में कितने शिक्षक और कितने शिक्षामित्र रखे जा सकते हैं यह कहीं स्पष्ट नही किया गया है।
शिक्षकों के पदों पर शिक्षामित्रों का समायोजन नहीं
स्कूलों में छात्र संख्या के मुताबिक शिक्षकों के जिन पदों का सृजन किया गया है अगर उन पर शिक्षामित्रों का समायोजन किया जाता है तो यह माननीय न्यायालय के आदेश का उल्लंघन होगा। जिसके आधार पर शिक्षामित्रों का शिक्षकों के रूप में समायोजन रद्द किया गया था।
किसे मिलेगा वित्तीय अधिकार
अब यह भी विचारणीय है कि अगर किसी स्कूल में हेडमास्टर शिक्षिका है तो मातृत्व अवकाश, सीसीएल आदि का भी उपभोग करती है ऐसी स्थिति में अगर स्कूल में दूसरा शिक्षक नहीं होगा तो स्कूल का चार्ज और वित्तीय अधिकार किसे दिए जाएंगे।
जिला समिति सुलटाएगी विसंगति
यह भी कटु सत्य है कि परिषदीय स्कूलों में समायोजन कोई आसान काम नहीं हैं। फिलहाल सूबे के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों के सामने पहले शिक्षामित्रों और फिर शिक्षकों का समायोजन किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। सभी समायोजन में उलझे हुए हैं।
हालांकि कि सचिव बेसिक शिक्षा परिषद ने किसी भी प्रकार की विसंगति होने पर जिला समायोजन समिति को निस्तारण करने का अधिकार देकर राहत प्रदान की है।