डॉ.दीपक अग्रवाल
अमरोहा। भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्व.अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन सादगी से भरपूर रहा है। आज वह ऐसी नींद में सोए गए हैं जिन्हें अब जगाया नहीं जा सकता है। उनकी स्मृतियां और आदर्श ही शेष हैं। उनकी सादगी से जुड़ी कुछ स्मृतियां मेरी जानकारी में भी हैं जिन्हें मैं शेयर कर रहा हूं।
अटल जी ने देश की आजादी के लिए संघर्ष किया। देश के आजाद होने के बाद उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचारधारा को आगे बढ़ाने का काम किया। एक उम्दा बेदाग राजनेता होने के साथ ही वह कवि और पत्रकार भी थे।
1999 में मैं ऋषिकेश में अमर उजाला समाचार पत्र के लिए रिर्पोटिंग करता था। अगस्त 1999 में मेरी मुलाकात लाला इंद्रसेन अग्रवाल से हुई, उन्होंने मुझे अटल जी से जुड़े एक सादगीपूर्ण प्रसंग के बारे में बताया।
उन्होंने बताया कि आजादी के बाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्य से अटल जी ऋषिकेश में उनके घर पर आए। रात के 9 बजे थे। उन्होंने अटल जी से कहा कि मेरे कमरे में एक तख्त है और दूसरी टूटी चारपाई है। मेरी कमर में दर्द रहता है इसलिए डाक्टर ने तख्त पर सोने के लिए कहा है। अब कैसे करें। इस पर अटल जी बोले मैं टूटी चारपाई पर सो जाऊंगा। इस तरह अटल जी ने टूटी चारपाई पर सोकर सादगी का परिचय दिया। यह तो अटल जी के संघर्ष की कहानी है लेकिन प्रधानमंत्री बनने के बाद भी उनकी सादगी खत्म नहीं हुई।
पीएम अटल जी ने बुलाया इंद्रसेन को
अटल जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद लाला इंद्रसेन ने प्रधानमंत्री कार्यालय अटल जी से मिलने पहुंच गए। लेकिन अधिकारियां ने अनुमति के अभाव में मुलाकात नहीं होने दी। इस पर इंद्रसेन एक पत्र अटल जी के नाम लिखकर उनके कार्यालय में दे आए और ऋषिकेश लौट आए। एक सप्ताह बाद पीएम कार्यालय से मुलाकात के लिए अटल जी का निमंत्रण उनके पास पहुंच गया। यहां भी अटल जी की सादगी के दर्शन होते हैं। ऐसा ही मुझे इंद्रसेन जी ने बताया था।
ऐसी सादगी से ओतप्रोत सदी के महान राजनेता अटल जी को मेरी विन्रम श्रद्धांजलि।