डाॅ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा ( सनशाइन न्यूज )।
जगदीश सरन हिंदू पीजी कालेज में नेशनल सेमिनार के समापन सत्र की अध्यक्षता कर रहे महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर, राजस्थान के कुलपति आरपी सिंह ने कहा कि वास्तविकता यह है कि यदि हम जनसंख्या, पेयजल व्यवस्था तथा शिक्षा पर उचित ध्यान दें तो हम 2022 में नवीन भारत की कल्पना कर सकते हैं। देश के उत्थान में बढ़ती आबादी अभिशाप हैं
महिलाओं के रोजगार पर बल
मुख्य अतिथि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रोफे. रईस अहमद ने लिज्जत पापड़ का उदाहरण देते हुये महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया। उन्होंने कहा जिस प्रकार एक महिला उद्यमी लिज्जत पापड़ के माध्यम से पूरे भारत वर्ष में प्रसिद्ध है इसी प्रकार हम महिलाओं को छोटा-मोटा ऋण देकर आगे बढ़ा सकते हैं।
राईट टू इक्वल एजुकेशन हो
अतिविशिष्ट अतिथि लखनऊ विश्वविद्यालय के वाणिज्य एवं प्रबंध संकाय के डीन एवं अध्यक्ष डाॅ. सोमेश शुक्ला ने कहा कि आज राईट टू एजुकेशन के बजाये राईट टू इक्वल एजुकेशन होनी चाहिए।
वोट बैंक की राजनीति घातक
दूसरे अतिविशिष्ट अतिथि एसएस कालिज शांहजहांपुर के प्राचार्य डाॅ. एके मिश्रा ने कहा कि नीति आयोग की स्थापना भारत को एक महान देश बनाने के उदेश्य से की गई थी परन्तु भारत तो वोट बैंक की राजनीति से बाहर ही नहीं निकलना चाहता।
नारों से गरीबी नहीं मिटती
विशिष्ट अतिथि साहू जैन कालिज, नजीबाबाद के वाणिज्य विभाग के अध्यक्ष डाॅ. एके मित्तल ने कहा कि नारों से गरीबी नहीं मिटती है। पेस माॅडल को सुचारू रूप से यदि चला दिया जाये तो भारत 2022 तक नवीन भारत बन सकता है।
राजनीतिज्ञों को कार्यकर्ता चाहिए विकास नहीं
विशिष्ट अतिथि डाॅ. बीके झा कमला नेहरु इंस्टीट्यूट सुल्तानपुर ने कहा कि राजनीतिज्ञों को कार्यकर्ता चाहिए विकास नहीं। क्योंकि यदी जनसंख्या नियन्त्रित हो जायेगी तो उनके लिए नारे कौन लगायेगा।
भारत का विकसित राष्ट्र बनना टेढ़ी खीर
अंत में प्राचार्य डाॅ. सुधांश शर्मा ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनका मानना है कि आज भारत अर्धविकसित देश की श्रेणी में आता है। विकसित होने के लिए 2022 तो क्या 2030 भी हो जाये तो यह विकसित की श्रेणी में नहीं आ पायेगा, क्योंकि भारत में स्वच्छता पर कोई ध्यान ही नहीं दिया जाता। उन्होंने अभी 15 दिन पूर्व अपनी लंदन एवं स्विटजरलैण्ड की विदेश यात्रा का उदाहरण देते हुये भारत और वहां की सफाई समेत अन्य व्यवस्थाओं का तुलनात्मक अध्ययन पेश किया।
शोध पत्रों का वाचन
सेमिनार के द्वितीय तकनीकी सत्र में उत्तर प्रदेश सहित देश के विभिन्न अंचलो से पधारे विद्वान प्राध्यापकों, शोधाथियों तथा छात्र-छात्राओं ने अपने-अपने शोध पत्रों का वाचन किया। इस सत्र का संचालन डाॅ. पीके जैन (पूर्व प्राचार्य) ने किया।
इस मौके पर मौजूद रहे
संगोष्ठी में डाॅ. वन्दना रानी गुप्ता (पूर्व प्राचार्य), डाॅ.वी.बी. बरतरिया, डाॅ. संजय शाही, डाॅ. अशोक रुस्तगी, डाॅ. अनिल रायपुरिया, डाॅ. बीना रुस्तगी, डाॅ. एस.के. सिंह, डाॅ. निखिल दास, डाॅ. मनन कौशल, डाॅ. वीर वीरेन्द्र सिंह, डाॅ. रमेश चन्द्रा, डाॅ. हरेन्द्र सिंह, डाॅ. बबलू सिंह, डाॅ. आभा सिंह, डाॅ. नवनीत विश्नोई, डाॅ. मन मोहन सिंह, डाॅ. संगीता धमा, गौरव सिंह, डाॅ. प्रदीप कुमार, डाॅ. हिमांशु शर्मा, डाॅ. संयुक्ता देवी, डाॅ. रश्मि गुप्ता, डाॅ. सीमा रानी शर्मा, डाॅ. सौरभ अग्रवाल, डाॅ. पवन गेरा, डाॅ. कौसर जहां, डाॅ. प्रवेश कुमार, डाॅ. कपिल कुमार, डाॅ. सारिका बाहेती, डाॅ. कीरान फात्मा, उमा गुप्ता, डाॅ. अमित माहेश्वरी, डाॅ. पीयूष शर्मा, डाॅ. मनीश टंडन, डाॅ. अरुण कुमार अग्रवाल, डाॅ. विकास मोहन, डाॅ. कपिल भारद्वाज, अमित भटनागर, डाॅ. शिवानी गोयल, डाॅ. शाजिया बेगम, डाॅ. पूनम वर्मा, मंयक अरोड़ा, सलमान अख्तर, डाॅ. आशा सिंह, डाॅ. पूजा त्यागी, डाॅ. मंजुला शर्मा, चित्रा गोयल, नईम अहमद सिद्दीकी, अतुल अग्रवाल, डाॅ. गीतेश अग्रवाल, शरद गुप्ता, सुरेन्द्र पाल सिंह, दीपक वर्मा आदि ने सहभागिता की।
सेमिनार का संचालन संयोजिका डाॅ. बीना शर्मा ने किया।