डाॅ. दीपक अग्रवाल
लखनऊ। ( सन शाइन न्यूज)
मुख्यमंत्री आदरणीय योगी आदित्यनाथ जी के ध्यानार्थः
सूबे मंे बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों को प्रयोगशाला बनाकर रख दिया गया। इन दिनों सूबे में शीतलहर का प्रकोप है। कुछ जिलों में जिलाधिकारियांे ने छात्र-छात्राओं का अवकाश कर दिया है लेकिन शिक्षक और शिक्षिकाओं को स्कूल जाने का फरमान जारी किया। जो कि तर्कसंगत नजर नहीं आता है।
इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता है कि सूबे में अवकाश के मामले में स्कूलों के लिए एक नीति नहीं बन पाई है। क्षेत्र की परेशानी को देखकर जिलाधिकारियों को अवकाश का विवेकाधीन अधिकार दिया गया।
जानकारी मिली है कि सूबे के कई जिलों में जिलाधिकारियों ने परिषदीय स्कूलों में छात्र-छात्राओं का तो शीतकालीन अवकाश कर दिया है लेकिन शिक्षक-शिक्षिकाओं को स्कूल जाना है।
एक जिले के जिलाधिकारी का कहना है कि उन्हें राजकीय कर्मचारियों का अवकाश करने का अधिकार नहीे है। उनकी बात सही है। पहली बात तो यह है कि परिषदीय शिक्षक राजकीय कर्मचारी नहीं हैं। दूसरा अहम बिंदु यह है कि तमाम इलाकों में सूनसान स्कूलों में शिक्षिकाओं की सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं है।
अगर किसी शिक्षिका के साथ अनहोनी हो गई तो जवाबदेही संबंधित जिले के जिलाधिकारी और बीएसए की होगी। शासन में उच्चपदस्थ अधिकारियों का तो ऐसा ही मानना है।
प्रमुख सचिव स्तर के एक अधिकारी का कहना है कि जीओ के साथ-साथ जिलाधिकारियों को अपने विवेक का अधिक प्रयोग करना होता है। जिलाधिकारियों को जनहित में और जिले का माहौल सौहार्दपूर्ण बनाने के लिए कई बार शासनादेश से इतर आदेश करना पड़ता है। एक आईएएस का तो यह भी कहना है कि जिले के लिए जो बेहतर हो हमें वह करना चाहिए।
इसीलिए शीतकालीन अवकाश करते समय जिलाधिकारियों को स्कूलों में शिक्षिकाओं के सुरक्षा के बिंदु को भी ध्यान में रखना चाहिए। साथ ही जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को भी विन्रमता के साथ जिलाधिकारियों का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहिए।