डाॅ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा। ( सन शाइन न्यूज)
बज्म ए निदा ए अफसर की जानिब से अमरोहा के उस्ताद शायर अफसर बेग के शायरी के मजमुए लुत्फ ए गजल की रस्मे इजरा का प्रोग्राम फातिमा कान्वेंट स्कूल मोहल्ला चाह शोर में किया गया। जिस की सदारत सीनियर सहाफी मुनव्वर अमरोहवी ने और निजामत अहमद रजा फराज ने की। मसनद पर मौअज्जम खान और डॉ दानिश जलवा अफरोज रहे।
अफसर बेग एक बेहतरीन शायर थे
प्रोग्राम का आगाज नाते पाक से नाजिश मुस्तफा और साद अमरोहवी ने किया। इस मौके पर अफसर बेग के फन पर गुफ्तगू भी की गई। वक्ताओं ने कहा के अफसर बेग एक बेहतरीन शायर थे उनकी फिक्र का दायरा बहुत वसी था। शायरों के शेर हाजिर हैं।
कर रहा था मिन्नतें बेटों से लेकिन बेटियां…
मुनव्वर अमरोही ने कहा -ये दौर- दौरे खिजां था गुजरने वाला है, हमारे वक्त का फिरओन मरने वाला है
साद अमरोहवी ने कहा-आंसुओं से कोई दामन ना भिगोया जाए, यह अलग बात के जी खोल के रोया जाए। अहमद रजा फराज ने कहा- कर रहा था मिन्नतें बेटों से लेकिन बेटियां, काम बूढ़े बाप का दो दिन में सारा कर गयीं।
जल्द जाने का तकाजा देर से आने के बाद
सैयद शीबान कादरी ने कहा— ये सितम भी खूब ठहरा लुत्फ फरमाने के बाद, जल्द जाने का तकाजा देर से आने के बाद।
शहाब अनवर ने कहा— ऐसे फनकार को फनकार कहूं या ना कहूं, ऐसा मक्कार है लगता है कि मक्कार नहीं।
अनीस अहमद ने कहा—आती-जाती रहे रिश्तो की हवा रहने दे, भाई दीवार में एक दर तो खुला रहने दे।
इनके अलावा जीयाउद्दीन उस्मानी, रईस अहमद सागर, नाजिश मुस्तफा, अली ओवैस जाफरी ने भी अपना कलाम पेश किया।
इस मौके पर मौजूद रहे
महफिल में तनवीर हसन, बख्तियार इस्लाम, कौसर अली अब्बासी ,खालिद सिद्दीकी, शहाब रिजवी, महताब अमरोहवी, अख्तर मुखिया के अलावा बड़ी तादाद में लोग मौजूद रहे । आखिर में महफिल के कन्वीनर अहमद रजा फराज और शहाब अनवर ने सभी का शुक्रिया अदा किया।