डाॅ. दीपक अग्रवाल का नजरिया
अमरोहा। ( सन शाइन न्यूज)
इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि पत्रकार भी समाज के सजग प्रहरी हैं और पत्रकारिता आज भी समाज को दिशा प्रदान कर रही है।
30 मई को हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाया जाता
30 मई को हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाया जाता है। आज ही के दिन अभाषी हिंदी क्षेत्र कोलकाता से 30 मई 1826 को जुगल किशोर जी ने पहला हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र उदन्त मार्तण्ड प्रकाशित किया था। यह अखबार करीब डेढ़ साल प्रकाशित होने के बाद बंद भी हो गया था। उसके बाद तमाम समाचार पत्रों का प्रकाशन और बंद होने की प्रक्रिया चलती रही।
आजादी से पहले मिशन थी पत्रकारिता
उस समय देश गुलाम था। लिहाजा अखबारों के प्रकाशन का एक मात्र ध्येय देश की आजादी के आंदोलन में आहुति देना था और समाचार पत्रों ने देश को आजाद कराने व जनजागरण में अहम भूमिका निभाई। साथ ही प्रतिबंधांे और यातनाओं को भी झेला।
15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ और पत्रकारिता ने भी आजादी में खुली सास ली। आजादी के बाद पत्रकारिता का ध्येय भी बदल गया।
आजादी के बाद उद्योग बनी पत्रकारिता
इस तथ्य को नहीं झुठलाया जा सकता है कि आजादी से पहले जो पत्रकारिता मिशन थी अब वो व्यापार हो गई। आज पत्रकारिता के विविध रूप हमारे समाने हैं, केवल समाचार पत्र और पत्रिकाओं तक ही पत्रकारिता सीमित नहीं। अब इलेक्ट्रानिक मीडिया यानि टीवी पत्रकारिता के साथ सोशल मीडिया की दस्तक और चमक सभी तक पहुंच गई है।
अफवाह नुकसान करती
जिस तरह विज्ञान के चमत्कार जीवन दे रहे हैं वहीं जरासी लापरवाही जीवन ले भी रही है। ऐसा ही सोशल मीडिया के साथ है इससे जहां पलभर भी जागरूकता फैल जाती हैं वहीं अफवाह भी नुकसान कर जाती है। इस पर अंकुश की जरूरत है।
देश में दो तरह के पत्रकार काम कर रहे हैं एक वो हैं जिनका शोषण हो रहा है वहीं दूसरी ओर ऐसे भी पत्रकार हैं जो शोषण कर रहे हैं दोनों ही स्थिति में सुधार की गुंजाईश है।
पत्रकारिता का महत्व बरकरार
कुल मिलाकर निष्कर्ष यही है कि पत्रकार और पत्रकारिता आज के दौर में भी समाज को जागरूक करने और जनहित के मुद्दों को उठाने का काम बखूबी कर रही है।
लोकतंत्र का यह चैथा स्तम्भ अपनी भूमिका को संजीदगी के साथ अदा कर रहा है।