डाॅ. दीपक अग्रवाल की विशेष रिपोर्ट
अमरोहा। ( सन शाइन न्यूज)
अमरोहा के एक और सितारे ने जिले का नाम विश्व पटल पर अंकित किया है। अमरोहा के महबूब खान ने अंतरराष्ट्रीय संगठन संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में अहम पद पर नियुक्ति पाकर जिले के साथ-साथ देश का नाम भी रोशन किया है। लंदन में कई वर्षों तक बीबीसी के पत्रकार रहे महबूब को संयुक्त राष्ट्र रेडियो के समाचार विभाग में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली है। करीब दो दशकों से लंदन में रह रहे महबूब खान ने न्यूयॉर्क पहुंचकर अपने पद पर कार्य भार ग्रहण कर लिया है। उन्हें संयुक्त राष्ट्र हिंदी समाचार सेवा का प्रमुख बना गया है।
अमरोहा के दानिशमन्दान-नई बस्ती निवासी हैं महबूब
महबूब खान का पुश्तैनी घर अमरोहा शहर के मोहल्ला दानिशमन्दान-नई बस्ती में है। मूल रूप से अमरोहा जिले के थाना – गजरौला क्षेत्र के मोहरका-पट्टी गांव में प्रारंभिक शिक्षा पाने वाले महबूब ने कड़ी मेहनत के बल पर अंतरराष्ट्रीय संगठन संयुक्त राष्ट्र में नियुक्ति पाकर बुलंदियों को छुआ है। अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा एवं चयन प्रक्रिया के उपरांत उन्हें संयुक्त राष्ट्र की हिन्दी रेडियो सेवा का प्रमुख बनाया गया है। इसके लिए उन्हें विशेष दर्जा रखने वाले डिप्लोमैटिक वीजा (जी-4) प्रदान किया गया है। यह वीजा विदेश सेवा में काम करने वाले विभिन्न देशों के राजनयिकों को प्रदान किया जाता है।
न्यूयॉर्क पहुंच कर कार्यभार ग्रहण किया
महबूब खान के छोटे भाई मरगूब हुसैन ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र में यह नियुक्ति पाने के बाद उन्होंने हाल ही में यूएन मुख्यालय न्यूयॉर्क पहुंच कर कार्यभार ग्रहण कर लिया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खास पहचान बनाने वाले महबूब ने लंबे समय तक बीबीसी, लंदन में हिंदी सेवा के लिए पत्रकार और प्रोड्यूसर के रूप में कार्य किया है।बीबीसी हिन्दी के रेडियो श्रोताओं के लिए उनकी आवाज जानी-पहचानी रही है।
फ्रांस और लंदन की फैलोशिप भी हासिल हुई
इससे पहले वह भारत में समाचार एजेंसी यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया में जम्मू एंड कश्मीर राज्य के ब्यूरो चीफ रह चुके हैं। जम्मू कश्मीर में काम करते हुए उन्हें फ्रांस और लंदन की फैलोशिप भी हासिल हुई हो चुकी हैं। इसके साथ ही उन्हें वर्ष 2000 में उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए यूआर कलकूर अवार्ड से भी नवाजा गया था।
जेएस हिंदू कालेज के भी छात्र रहे महबूब
भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली (जेएनयू कैंपस) से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन की शिक्षा हासिल की और इस पाठ्यक्रम में वह टॉपर रहे। भारत में रहते हुए उन्होंने आकाशवाणी और दूरदर्शन, दिल्ली के लिए समाचार वाचक व कैजुअल संपादक के रूप में भी कार्य भी किया। उससे पहले उन्होंने अमरोहा के आईएम इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट और जेएस हिंदू पीजी कॉलेज से बीए व एमए की पढ़ाई की और हिंदू कॉलेज, मुरादाबाद से बीएड की डिग्री हासिल की। महबूब खान के पिता स्वर्गीय अनूप हुसैन तुर्की इंटर कॉलेज, पलौला में प्रधानाचार्य रहे, जिन्होंने शिक्षा हासिल करने पर खास जोर दिया।
एक भाई एफएसओ, दूसरा शिक्षक और तीसरा इंजीनियर
महबूब खान के छोटे भाई डॉ० मतलूब हुसैन यूपी फायर सर्विस में एफएसओ के पद पर ग्रेटर नोएडा में तैनात हैं। मतलूब हुसैन ने भी उच्च शिक्षा की नई बुलन्दियाँ तय की हैं। उन्होंने हिन्दी साहित्य में एमए करने के साथ-साथ बीएड, पीएचडी, एलएलबी, एमबीए तक की पढ़ाई की है और तीसरे भाई मरगूब हुसैन अमरोहा में शिक्षक और पत्रकार हैं। उनके सबसे छोटे भाई मनसूब खान अमेरिका के कैलिफोर्निया में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। उनकी एक मात्र बहन नरगिस चैधरी ने भी अंग्रेजी में एमए और बीएड किया है।
महबूब की पत्नी साइंटिस्ट और इंग्लैंड के कैम्ब्रिज में सेवारत
महबूब खान की पत्नी डॉक्टर गजाला खान भी एक साइंटिस्ट हैं और उन्होंने मेरठ विश्वविद्यालय से माइक्रोबॉयोलोजी में पीएचडी करने के साथ-साथ एलएलबी की डिग्री भी हासिल की है। उन्होंने इंग्लैंड के कैम्ब्रिज से भी बॉयोटैक्नोलोजी में एमएससी की है और वहीं सेवारत हैं।
शिक्षा से ही प्रगति से रास्ता मिलता
महबूब खान अपनी इस कामयाबी का श्रेय अपनी कड़ी मेहनत व लगन, ईश्वर की कृपा, परिवार के बहुमूल्य सहयोग और दोस्तों के अपार समर्थन को देते हैं। उनका कहना है कि शिक्षा ही इंसान के लिए प्रगति का रास्ता खोल सकती है। इसलिए सभी को हमेशा सकारात्मक विचारों के साथ अपनी प्रगति के लिए प्रयास करते रहने चाहिए, जिसके जरिए कामयाबी अनेक रूपों में मिल सकती है।