डाॅ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा। ( सन शाइन न्यूज)
31 मई 2019 आज शुक्रवार को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया गया। ं इस दिवस को लेकर जागरूकता संबंधी विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। आज सुबह जब मैंने अखबारों को देखा तो सभी में विश्व तंबाकू निषेध दिवस संबंधी विज्ञापन प्रकाशित हुए। जिनमें लोगांे को तंबाकू और सिगरेट के सेवन से होने वाले कैंसर और अन्य घातक बीमारियों के बारे में बताया गया। तभी से मेरे दिमाग में यह विचार आया कि-तंबाकू और सिगरेट से कंैसर क्यों परोसा जा रहा है। इसके लिए कौन जिम्मेदार है।
अगर हानिकारक है तो उत्पादन क्यांे हो रहा
तंबाकू के विभिन्न उत्पादों के पाउच और सिगरेट के पैकेटों पर लिखा रहता है कि ध्रूमपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। अगर यह हानिकारक है तो इसका उत्पादन क्यांे हो रहा है और क्यों इसे बेचा जा रहा है।
हर साल 12 लाख लोगांे की बलि लेता तंबाकू
एक सर्वे के मुताबिक अकेले भारत में ही करीब 27 करोड़ देशवासी तंबाकू का सेवन कर रहे हैं। तंबाकू के कारण देश में मरने वालों की संख्या हर वर्ष करीब 12 लाख है। जागरूकता की कमी के कारण विकसित देशों की तुलना में विकासशील देशों मंे इसका सेवन करने वालों की संख्या बढ़ रही है। धूम्रपान से होने वाली बीमारियांे में प्रमुख रूप से ब्रांकाइटिस, एसिडिटी, क्षय रोग, बीपी, हार्ट अटैक, पैरालाइसेस, माइग्रेन, सिरदर्द आदि हैं। इसके अलावा विभिन्न प्रकार के कैंसरों का कारण भी यही है।
तंबाकू उत्पाद अधिनियम 2003 कागजों में
केंद्र सरकार ने सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम 2003 बनाया था। 2004 में विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर इसे लागू भी किया गया। लेकिन यह बहुत अधिक प्रभावी नहीं रहा और केवल कागजांे तक ही सिमट गया।
सरकार की जितनी आमदनी उससे चार गुना खर्च
तंबाकू और सिगरेट के उत्पाद को लेकर कुतर्क दिया जाता है कि इससे देश में 3 करोड़ लोगांे को रोजगार मिला है और सरकार को बड़े राजस्व की प्राप्ति होती है। सूत्रों के अनुसार जितना राजस्व सरकार को मिलता है उससे चार गुना अधिक राशि तंबाकू और सिगरेट के सेवन से होने वाली बीमारियों पर काबू पाने मंे खर्च कर दिए जाते हैं। दूसरी ओर जहां 3 करोड़ लोगों को रोजगार मिला है तो 27 करोड़ परेशानी भी झेलते हैं।
कुल मिलाकर निष्कर्ष यही है कि सरकार को इस दिशा में गंभीरता के साथ सोचते हुए कारगर कदम उठाने चाहिए।