डाॅ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा। ( सन शाइन न्यूज)
वित्तविहीन स्कूल प्रबंधक एसोसिएशन के मंडल अध्यक्ष बसंत सारस्वत के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एंव उपमुख्यमंत्री से मिला। दोेनों को समझाया गया कि अगर समय रहते वित्तविहीन स्कूलों की बदतर होती स्थिति को नहीं सुधारा गया तो ग्रामीण अंचलों में शिक्षा चैपट हो जाएगी। प्रतिनिधिमंडल ने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार वित्तविहीन विद्यालयों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। सरकार की उपेक्षा के चलते वित्तविहीन स्कूलों की हालत अत्यन्त खराब है। यदि समय रहते सरकार ने वित्तविहीन स्कूलों के उत्थान के लिए कोई कारगर कदम नही उठाया तो ये स्कूल बंद हो जायेंगे और ग्रामीण आंचलों में शिक्षा का संकट गहरा जायेगा।
वित्तविहीन स्कूल बंद होने के कगार पर
वित्तविहीन स्कूल प्रबंधक एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने लखनऊ में 27 अगस्त को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतन्त्रदेव सिंह और उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा से मिला। जिसमें प्रतिनिधिमंडल ने एक ज्ञापन सौपकर कहा कि प्रदेश में वित्तविहीन विद्यालय निजी संसाधनांे से ग्रामीण आंचलों में शिक्षा के प्रचार एंव प्रसार में अहम भूमिका निभा रहे हंै । लेकिन शासन प्रशासन एंव सामाजिक उपेक्षा के कारण वर्तमान में इन विद्यालयो की दशा अत्यन्त खराब है तथा सरकारी उत्पीड़न एंव नियमों के शिकंजे में फंसकर बंद होने के कगार पर हैं। इन विद्यालयों की इन समस्याओं पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने के लिए प्रदेश सरकार को कारगर कदम उठाने चाहियें। क्योंकि यूपी बोर्ड के वित्तविहीन विद्यालयो की आर्थिक स्थिति का स्थलीय सत्यापन कराने के उपरान्त ही शिक्षक नियमावली लागू की जाये।
कम शुल्क में शिक्षा की अलख जगा रहे
वित्तविहीन स्कूल अधिकांश गांवो में है और बेहद कम शुल्क लेकर ही गरीब बच्चो को पढ़ा रहे है। इन स्कूलांे को बिजली भी व्यवसायिक दरों के बजाय घरेलू दरो पर दी जाये। शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलो के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। यश जिला क्रीड़ा प्रतियोगिताआंे के आयोजन में भी इन स्कूलों की कोई भागीदारी नहीं है। जबकि 15 रूपये प्रति छात्र की दर से शुल्क वसूला जा रहा है। आयोजनांे में समान भागीदारी नहीं होने के कारण इन विद्यालयों से क्रीड़ा शुल्क नहीं वसूला जाये।
सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं
मिडडे मीन, मुफ्त ड्रेस, पुस्तक वितरण का लाभ भी इन स्कूलांे के बच्चो को नही मिल रहा है। यूं कहे कि प्रदेश सरकार इन विद्यालयो के साथ अनदेखी कर रही है। जिसके चलते इन विद्यालयो की हालत बद से बदतर होती जा रही है। वो दिन दूर नही जब ये स्कूल बंदी के कगार पर पहुंच जायेंगे। प्रतिनिधि मंडल में एसोसिएशन के मंडल अध्यक्ष बसंत सारस्वत, उपाध्यक्ष नेम चन्द्र वर्मा, जयवीर सिंह सिरोही, देवेन्द्र सिंह ढिल्लों, अवधेश कुमार सिंह, इन्द्रपाल सिंह आदि मौजूद थे।
बसंत ने उठाया संस्कृत विद्यालय की दुर्दशा का मुद्दा
सनातन धर्म संस्कृत माध्यमिक विद्यालय गजरौला के प्रबंधक बसंत सारस्वत ने उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा से वार्ता के दौरान संस्कृत विद्यालयों की दुर्दशा का मुद्दा भी उठाया। उपमुख्यमंत्री को बताया कि 25 साल से संस्कृत विद्यालयों में शिक्षकांे की नियुक्ति नहीं हुई है। अधिकतर शिक्षक सेवानिवृत्त हो गए हैं। जैसे-तैसे प्रबंधतंत्र अंशकालिक शिक्षकों की नियुक्ति कर विद्यालय संचालित कर रहे हैं। कई स्कूल आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण बंद हो गए हैं। इन स्कूलों भी नियुक्ति होनी चाहिए।