डाॅ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा। ( सन शाइन न्यूज)
इन दिनों सूबे में पौधारोपण की बाढ़ आ गई है। अपने जिले में भी लोकप्रिय जिलाधिकारी उमेश मिश्र और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी गौतम प्रसाद के कुशल नेतृत्व में स्कूलों में टीचर पूरे मनोयोग से पौधारोपण में जुटे हैं। एक शिक्षिका ने पौधों के महत्व को काव्य के रूप में प्रस्तुत किया है। उन्होंने पौधारोपण के बाद की स्थिति को बयां किया। इसमें संदेह नहीं कि पौधारोपण करना बड़ी बात नहीं है बड़ी बात पौधारोपण के बाद उनकी संभाल करना है।
पौधारोपण कर भूल मत जाना
मृत्यु शैया पर नन्ना पौधा
पड़े पड़े ये सोच रहा।
छूट गया छांव भरा आंगन
छूट गया ममता का प्रांगण।
छूट गई बगिया फुलवारी
अब कौन करे रखवाली।
कहां गया सिपहसालार
कहां गया उसका माली।
कहां गया उसका दुलार
कहां गई सहारे की डाली।
चलो वृक्षारोपण पर्व मनाएं
हर रोज एक पौधा लगाएं।
बड़े स्लोगन, कविता, भाषण
अखबार मैगजीन में छपवाए
मंत्री ,संत्री , अफसर , नेता
सूट बूट में नजर आए।
सबने मिलकर ली सेल्फी
वी फोर बनाई नकली विक्ट्री
वायरल हो गई फोटो, वीडियो
इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, एफबी।
भूल गया घर जाकर महोत्सव
श्यामल धरा , रखने का उत्सव
बस एक दिन का रंग मंचन
ढोंग, दिखावा, अभिनय, रंजन।
वापस फिर ना आया मुड़कर
भूल गया पौधा रोपकर।
बड़ी बेसब्री , मन में भारी
कौन सहेजे सूखी डाली
बियाबान जग में लाचारी।
क्षण में विपद पड़ी भारी
बूंद-बूंद को तरस गया।
सूरज की आग से झुलस गया
फिर भी जीने का साहस भारी।
जितने भी दिन जिया
सर उठा कर जिया।
एक दिन टूट गया साहस
बिन माली
मात्र एक सेल्फी हेतु
यह कैसा वृक्षारोपण भाई
कितने ही पौधों की
बली तुमने चढ़ाई।
जीवन सहेज नहीं सकते तो
माली से मत जुदा करो
खूब लिखो स्लोगन
पर पौधों से मत
खिलवाड़ करो।
नर्सरी में ही पौधे को
खिलने और बढ़ने दो
अब अगर पौधे रोपे
प्रथम जीने का हक दो।
पौधारोपण कर भूल मत जाना
लौटकर कर एक बार देखना भी।
रेखा दिवाकर
उच्च प्राथमिक विद्यालय
शहपुर रझेरा, धनौरा।