डाॅ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा। ( सन शाइन न्यूज)
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संरक्षण में सूबे गरीबों के उत्थान के लिए तमाम योजनाएं संचालित की जा रही है। मसलन गरीब कन्याओं के सामूहिक विवाह, 06 बर्ष तक के बच्चोें, गर्भवती एवं धात्री महिलाओं एवं किशोरी बालिकाओें को स्वस्थ रखने के उद्देश्य से उन्हें अनुपूरक पुष्टाहार, स्कूलांे मंे मिड डे मील, निशुल्क शिक्षा, किताब, जूते मौजे आदि इसे सराहनीय कहा जा सकता है। लेकिन इससे गरीब दूर नहीं होगी, अनुदान बांटने की अपेक्षा गरीबी उन्मूलन पर फोकस होना चाहिए।
अगर व्यक्ति के पास रोजगार होगा तो वह स्वयं अच्छा खाएगा और बच्चों को पढ़ाएगा भी। सरकार गरीबों का कब तक पेट भरेगी और इससे उनका कितना भला होगा। जो व्यक्ति सक्षम नहीं है दिव्यांग है उसको अनुदान देना समझ में आता है लेकिन जो व्यक्ति रोजगार कर सकता है उसे रोजगार न देकर अनुदान देना उसे कमजोर करना ही है।
निशुल्क शिक्षा और निशुल्क चिकित्सा उपलब्ध करना तो सराहनीय कार्य है लेकिन निशुल्क विवाह कराना और उसमे तमाम सामान देना उचित प्रतीत नहीं होता है। जो व्यक्ति अपने बच्चों की परवरिश न कर सके और उनका खर्चा न उठा सके तो मेरे विचार से उसे बच्चे पैदा करने का अधिकार नहीं होना चाहिए। जिस गरीब कन्याओं की शादी सरकार करा रहीे है अगर उन्हें सबल बनाकर स्वयं शादी का खर्चा उठाने की क्षमता पैदा कर दी जाए तो महिला सशक्तिकरण की दिशा में यह सार्थक पहल होगी।