डाॅ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा। ( सन शाइन न्यूज)
बड़े अफसरों के बच्चे नौकरों की परवरिश में पलते हैंै और नौकर उन्हें क्या संस्कार दे पाते होंगे उसक सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। नौकर बच्चों की कैसे परवरिश करते हैं उसकी एक बानगी देखिए।
मैं अमरोहा शहर की पाश कालोनी अमरोहा ग्रीन में रहता हूं कई बड़े अधिकारी भी यहां रहते हैं। उनमें से ही एक बड़े अधिकारी के करीब ढ़ाई तीन साल के बच्चे को घूमाने और खेल खिलाने की जिम्मेदारी दो नौकरांे पर है। अधिकारी ने बेेटे के लिए रिमोट वाली गाड़ी लाकर दी है। नौकर उसे उस गाड़ी में घूमाते रहते हैं। आज शाम को जब मैं घूम रहा था तो नौकर गाड़ी को पार्क के पास ले गया और बीड़ी पीते हुए अपने दूसरे साथी से बात करने लगा। उसने रिमोट भी बच्चे को दे दिया। बच्चे ने रिमोट से गाड़ी को पलट लिया और गाड़ी से गिर गया। गनीमत रही कि उसके चोट नहीं लगा। फिर वह सड़क से मिट्टी उठाकर खाने लगा मेरे टोकने पर नौकर उसे घुमाने लगा।
अफसरों की मजबूरी है कि उनके पास समय नहीं है लेकिन उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि बच्चों के बड़ा होने पर उनके पास आपके लिए समय नहीं होगा और वह आपको नौकरों के हवाले कर देेंगे। समाज में यही हो रहा हैं। जिसके घातक परिणाम सामने आ रहे हैं। इसीलिए बच्चों के लिए समय निकालना चाहिए।
हमारे एक मित्र वरिष्ठ पीसीएस अफसर हैं और पत्नी भी नौकरी करती हैं उन्होंने अपनी सात साल की बेटी को हास्टल में डाल दिया है। यह हम बच्चों को कौन से संस्कार दे रहे हैं कल को बच्चे आपको भी आश्रम का रास्ता दिखलाएंगे। बच्चांे को संस्कारों की शिक्षा दोगे तो कल ये संस्कार आपके और समाज के काम आएंगे।