Thursday, November 21, 2024
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नूतन वर्ष की शुभकामनाएं होनहार टीचरों की रचनाओं संग

डाॅं. दीपक अग्रवाल
अमरोहा। (सन शाइन न्यूज)
नववर्ष की शुभकामनाएं के रूप में आप के समक्ष बेसिक शिक्षा परिषद अमरोहा के स्कूलों के होनहार टीचरों की रचनाएं प्रेषित की जा रही हैं। बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में एक से एक नगीना छिपा है। ऐसी ही कुछ नगीनों को मंच प्रदान करने का प्रयास किया है। यह नववर्ष हमारा है या नहीं है वो अलग विषय है लेकिन अगर खुश होने और कुछ सीखने का कोई मौका मिले तो छोड़ना नहीं चाहिए। एक जनवरी 2020 का सेवेरा सभी का दामन खुशियों से भरे इसी कामना के साथ पेश हैं रचनाएंः

..रेखा रानी, यूपीएस गजरौला।

टूटी सी उम्मीदो ने फिर दिए जलाए हैं।
कर्म की इन बस्तियों में गांव फिर बसाए हैं।
फिर से मेरी आंखों ने नव स्वप्न सजाए है
फिर से मेरे चित्त में यह भाव उभर आए हैं।
फिर से इन परिंदों ने पंख नए पाए हैं।
गाते -गाते गीत नए आसमां पर आए हैं।
गुजार कर हसीन वर्ष नव वर्ष में आए हैं।
हम नव वर्ष में आए हैं।
यूं तो और एक वर्ष जिंदगी का कम हुआ।
पर मेरे तजुर्बे में एक वर्ष और जुड़ा।
बीते पूरे वर्ष का हर शमा हसीन था।
विषाद युक्त क्षण भी मुझको वहां मिला है सीख का।
कुछ जुड़ी हैं खट्टी- मीठी यादें हार जीत का।
रेखा गुन – गुना रही है फिर गीत अपनी जीत का।
जीत का यह जश्न देख ख्वाब मुस्कुराए हैं।

 

..हेमा तिवारी भट्ट, पीएस, अम्हेड़ा।

क्या होगा नये साल में?’

सपनों के लड्डू रखती हूँ सजा थाल में।
नाचती हूँ ता थैय्या काल की करताल में।
जश्न मनाते हुए पर,घिर गयी सवाल में।
सोचने लगी हूँ,क्या होगा नये साल में?
धरती के सीने से क्या रवि फूटेगा
या किसी निर्धन का दिल नहीं टूटेगा?
क्या रह पायेगा खुश मानव फटेहाल में?
सोचने लगी हूँ,क्या होगा नये साल में?
क्या प्राणी चैपाया गगन में उड़ेगा?
या दिल निशंक होकर,दिलों से जुड़ेगा?
क्या ये मन भोला न फँसेगा किसी जाल में?
सोचने लगी हूँ,क्या होगा नये साल में?
बादल का टुकड़ा भू पर उग आयेगा?
सम्भवतः नर कोई धोखा न खायेगा।
छुपा हुआ हृदय में जो,पढ़ेंगें कपाल में?
सोचने लगी हूँ,क्या होगा नये साल में?
क्या वृक्ष बड़े बड़े,धावक हो जायेंगे
या पिल्ले ही सिंहशावक हो जायेंगे?
जाने क्या लिख रखा है,आगत के भाल में?
सोचने लगी हूँ,क्या होगा नये साल में?

मीनाक्षी ठाकुर, यूपीएस ढकिया, जोया।

नववर्ष का वंदन
वंदन हो नववर्ष का,रोली-चावल संग,
हर्षित मनवा झूमता,बाजे ढोल मृदंग।

बाजे ढोल मृदंग, नया हो भारत अपना,
नवल राष्ट्र-निर्माण, यही जन-जन का सपना।

धर्मों की दीवार, तोड़ दें झूठे बंधन,
शुभ होवे नववर्ष,करें सब मिलकर वंदन।
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इंदु रानी, यूपीएस सालारपुर खालसा, जोया।

चलते चलते
बीत रहा हर पल लम्हे का चलो अब मुस्कुरा भी दो
क्या पता फिर अगले दिसम्बर हम में से कोई हो न हो।
क्या तेरा क्या मेरा सब कुछ छोड़ यहीं पर जाना है
आ कर ले मुलाकातें चंद ये पल फिर ना जाएं खो।
बीत न जाएं दिन ये सारे रूठने मनाने मे ही
मैं थोड़ा सा झुकती हूँ तू कर कोशिश कुछ झुकने को।

..प्रियंका प्रजापति पीएस बाटूपुरा गजरौला।

अभिनंदन नववर्ष तुम्हारा,
है उल्लासित फिर जग सारा
नई डगर है नया सवेरा, खुशियों से भरा नजारा
अभिनंदन नववर्ष तुम्हारा…..
ओस सुबह की है फिर चमकी,
बिखरी छटा निराली।
चेहरे दमके बगियांँ महकी,
घर घर आई होली- दीवाली।
फिर खिलकर आए फूल सतरंगी,
कोयल फिर से कूकी
प्रकृति को क्या खूब सँवारा…..
अभिनंदन नववर्ष तुम्हारा…..
हो उत्साहित और गौरन्वित हम,
लिए सोच में एक नयापन।
निकल पड़े कुछ कर पाने को,
नई दिशाएँ दर्शाने को
कर पाऊँ हर सपना मैं सच,
जो तुम थामों हाथ हमारा….
अभिनंदन नववर्ष तुम्हारा…..।।

दीपिका राणा, यूपीएस ढक्का, अमरोहा।

आओ इस नए वर्ष में,कुछ नया कर जाएं,
गुजरा जो पीछे वक्त,उससे कुछ अच्छे पल चुरायें।
हर बीता कल हमें कुछ एहसास कराता है,
कौन है अपना और कौन पराया,यह भेद सिखाता है।
गलतियों को माफ कर लोगों को अपनाएं,
यही फर्क है आप में और उनमें यह बड़प्पन दिखलाएं।
जो नहीं मिला पहले कभी,
क्या पता इस वर्ष मिल जाए।
आशा की एक नई किरण उदय कर,
फिर एक बार जीवन जिया जाए।
इस विचार के साथ ही हर दिन जगा जाये,
आने वाले वर्ष को यादगार बनाया जाये।

रजनीश चैहान, पीएस बरखेड़ा सादात, अमरोहा।

बीत रहा है एक बार फिर से ये साल,
लिये अपने साथ यादें, कुछ पुरातन कुछ नूतन
आओ मिलकर करें नववर्ष अभिनन्दन।

मिलकर हम सब आज ये प्रण उठायें
इस जीवन को मानवता की खातिर जी जायें
करें आज कुछ ऐसा चिंतन
आओ मिलकर करें नववर्ष अभिनन्दन।

पीछे छोड़ें निर्णय गलत, सही को आगे बढ़ाएँ
भूलकर शत्रुता को आओ आज नये मित्र बनाएं
नया साल लेकर आये ऐसा गठबंधन
आओ मिलकर करें नववर्ष अभिनन्दन।
नित नवीन लक्ष्यों का करें आलिंगन,
आओ मिलकर करें नववर्ष अभिनन्दन।

राजीव कुमार, पीएस चकिया अमरोहा।
नया साल उन बच्चों के नाम
जिनके पास न ही है रोटी
न ही है कोई खेल खिलौने
न ही कोई बुलाए उन्हें प्यार से
पर बसे हैं।
उनकी आंखों में कई सपने
माना कि अभी है
अभावों का बिछौना
और सिर्फ बातों का ओढ़ना
आसमान की छत है।
और घर है धरती का एक कोना
पर…
उनके नाम से बनेगी
कागजों पर कुछ योजनाएं
और साल के अंत में
वही कहेंगी
जल्दी ही पूरी होगी यह आशाएं
इसलिए
उम्मीद की एक किरण पर
नया साल उन बच्चों के नाम।

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Dr. Deepak Agarwal
Dr. Deepak Agarwal is the founder of SunShineNews. He is also an experienced Journalist and Asst. Professor of mass communication and journalism at the Jagdish Saran Hindu (P.G) College Amroha Uttar Pradesh. He had worked 15 years in Amur Ujala, 8 years in Hindustan,3years in Chingari and Bijnor Times. For news, advertisement and any query contact us on deepakamrohi@gmail.com
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