डाॅ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा। ( सन शाइन न्यूज)
लिटिल स्कालर्स एकेडमी और पैनेसिया हाॅस्पिटल ऐंड रिसर्च सेंटर के प्रबंधक डाॅ. गिरीश बंसल बेटे की शादी में मेहमानों और परिचितों से उपहार स्वरूप लिफाफा न लेने के लिए जूझते रहे। कुछ मेहमानों ने जबरन उनकी जेब में लिफाफा रख दिया तो वह कुछ नहीं कर पाएं। लेकिन 90 फीसदी मेहमानों से उन्होंने लिफाफा नहीं लेकर एक अच्छी परंपरा को आगे बढ़ाया।
शहर की जानी मानी हस्ती गिरीश बंसल
फर्श से अर्श पर पहुंचे गिरीश बंसल आज अमरोहा की जानी मानी हस्ती हैं। वर्ष 2001 मैं अमर उजाला में बतौर स्टाफ रिपोर्टर देहरादून यूनिट से अमरोहा स्थानांतरित हुआ तब से उनके संपर्क में हूं। मैंने उन्हें संघर्ष करते हुए और तरक्की दर तरक्की करते बहुत नजदीक से देखा हैं। लेकिन उनका जैसा व्यवहार 18 साल पहले मुझे नजर आता था वैसा ही आज भी हैं। समाज में उनकी एक छवि है कि वह बहुत किफायत के साथ और हाथ खींचकर खर्चा करते हैं।
बेटे दर्पण की शादी का रिसेप्शन
लेकिन उन्होंने अपनी इस छवि को बेटे दर्पण की शादी के रिसेप्शन में पलट दिया। रिसेप्शन का इंतजाम उनके बड़े भाई श्री नरेश बंसल के नौगवां सादात रोड स्थित शहर के सबसे आलीशान वैंक्वेट हाल और रेस्टोरेंट रीगल 77 में किया गया था।
उन्हांेने शादी में नाश्ते और खाने मंे हाथ खोलकर खर्च किया। सभी की क्वालिटी बहुत उम्दा थी मेहमानों के मनोरंजन के लिए आॅर्केस्ट्रा पाट्री का भी इंतजाम था।
शादी में उपहार देना तो बंद लिफाफा देना पंसद
शादी में उपहार देना तो बंद सा ही हो गया अब तो रिवाज है कि सभी मेहमान और परिचित उपहार स्वरूप लिफाफा देना पंसद करते हैं लेकिन श्री बंसल ने सभी से लिफाफा न देने की गुजारिश की। मैं उनके साथ चार घंटे शाम 7 बजे से रात 11 बजे तक रहा। मैंने उन्हें आगंतुकांे से लिफाफा न लेने के लिए जूझते देखा। जो मेरे परिचित थे उन्हें मैंने भी समझाया।
99 फीसदी आएं
शादी के रिसेप्शन में कई आईएएस, आईपीएस विभिन्न विभागों के बड़े अधिकारियांे समेत जनप्रतिनिधियांे, शहर के बुद्धिजीवियांे, पत्रकारांे आदि ने शिरकत की। श्री बंसल ने बताया कि जिन्हें आमंत्रित किया था 99 फीसदी आएं।
एक बात और देखने को मिली कि उन्होंने अपने स्टाफ और मेहमानांे में कोई फर्क नहीं किया सबको बराकर सम्मान दिया। श्री बंसल के इस व्यवहार ने ही मुझे अपनी भावनाओं को शब्दों में अभिव्यक्त करने पर विवश किया।