डाॅं. दीपक अग्रवाल
अमरोहा। (सन शाइन न्यूज)
बेसिक शिक्षा परिषद के टीचरों को स्टैपनी को रूप में उपयोग किया जा रहा है। जहां चाहो वहां उपयोग कर लो। साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता के लिए भी शिकंजा कंसते रहो। ऐसे तो शिक्षा की गुणवत्ता नहीं सुधर पाएगी। अब सूबे के एक जिले में शिक्षिकाओं को मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में दुल्हनों को सजाने की जिम्मेदारी दी गई। शिक्षिकाएं पढ़ाना छोड़ कर दुल्हनों को सजाने जाएंगी।
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वाहः सरकार का कमाल शादी भी, गोद भराई भी, बच्चों के पालन की जिम्मेदारी भी, बच्चों को निशुल्क शिक्षा भी, खाना भी। गरीबों के कल्याण के लिए सरकार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। लेकिन गरीबी नहीं मिट रही है।
बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में बच्चों की परवरिश का पूरा इंतजाम किया गया है स्कूलों में बच्चांे के नाखून काटने, बालों में तेल डालने, हाथ धुलवाने, खाना खिलाने, टीका लगाने सभी का इंतजाम है।
अब सिद्धार्थनगर के नौगढ़ के खंड शिक्षा अधिकारी ने ब्लाक की 20 शिक्षिकाओं की डयूटी 28 जनवरी को जिले में होने वाले मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह में दुल्हनों को सजाने के लिए लगा दी है। इन टीचरों को 28 जनवरी को सुबह 9 बजे विवाह स्थल पर दुल्हनों को सजाने के लिए पहुंचने का आदेश दिया गया है।
टीचर क्या क्या करेंगेः चुनाव, मतगणना, जनगणना, पशु गणना, टीकाकरण, बीएलओ, पदाभिहीत अधिकारी इसके अलावा मिड डे मील वितरण, स्कूल निर्माण, स्कूल पुताई और समय समय पर होने वाले अन्य कार्य।
कार्य कराना बुरा नहीं है। लेकिन मूल काम शिक्षण प्रभावित होना उचित नहीं ठहराया जा सकता है एक तो स्कूलों में वैसे ही मानक के मुतामिक शिक्षक नहीं है।