डाॅं. दीपक अग्रवाल की विशेष वार्ता
अमरोहा। (सनशाइन न्यूज)
अमरोहा जिला मुख्यालय पर तैनात डिप्टी कलेक्टर मांगेराम चोहान ने कभी दरोगा बनने का सपना भी देखा था। लेकिन आज वह दरोगा के पद से बहुत उच्चे पद पर आसीन हैं। ग्रामीण परिवेश से जुड़े और किसान के बेटे मांगेराम इतनी आसानी से इस पद पर नहीं पहुंच गए हैं, उसके पीछे उनका संघर्ष छिपा है। अब वह अपनी नौकरी के साथ-साथ लीक से हटकर पौधारोपण और जल संरक्षण के लिए भी अभिनव प्रयोग कर रहे हैं। उनके इस कार्य से लोग प्रेरित हो रहे हैं और समाज को नई दिशा मिल रही है। जो काम सरकार पैसा खर्च करके भी नहीं कर पा रही है वह काम मांगेराम चोहान लोगांे को प्रेरित कर निःशुल्क करा रहे हैं।
उनके संघर्ष को लेकर सनशाइन न्यूज के एडिटर डाॅ. दीपक अग्रवाल ने उनसे वार्ता की। पेश हैं उनसे हुई वार्ता के प्रमुख अंशः
कक्षा 8 तक की शिक्षा परिषदीय स्कूल से
मांगेराम चोहान का जन्म एक जुलाई 1969 को सूबे के शामली जनपद के थाना कांदला के जसाला गांव मंे हुआ। पिता स्व. धर्म सिंह चोहान किसान थे और मां लकपति चोहान गृहणी हैं। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक की शिक्षा गांव के ही परिषदीय विद्यालयांे में हुई। हाईस्कूल और इंटर श्री चंदनलाल नेशनल इंटर कालेज कांदला से किया। उसके बाद राष्ट्रीय किसान डिग्री कालेज शामली से पीसीएम से बीएससी की।
भर्ती फंसी और दरोगा बनने का सपना बदला
उन्होंने बताया कि बीएससी के बाद गांव में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुट गए। उस समय दरोगा बनने का सपना था। 1991 में दारोगा भर्ती में चयन भी हो गया लेकिन आरक्षण विवाद के कारण नियुक्तियां फंस गई और अंतिम चयन 1998 को हुआ। इसी बीच दरोगा बनने का सपना धीरे धारे बदल गया। 1992 में जिला सहकारी बैंक में शाखा प्रबंधक के पद पर चयन हुआ। 1995 में एसएससी के माध्यम से भारत सरकार के मंत्रालय में असिस्टेंट ग्रेड के पद पर चयन हुआ। लेकिन कहीं ज्वाइन नहीं किया। इसी दौरान शादी भी हो गई थी। उन्होंने बताया कि प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में पत्नी श्रीमति मुनेश चोहान ने नोट्स बनाने तथा पुराने वर्षों के वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तरों को प्रश्नपत्रों पर अंकित कर तैयारी के महत्वपूर्ण समय को बचाकर कैरियर बनाने में योगदान किया। उन्होंने बताया कि उनके एक बेटा और एक ही बेटी है। बेटा अभिषेक चोहान और बेटी भारती चोहान दोनों प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे हैं।
1996 में नायब तहसीलदार के पद पर चयन
1996 में लोक सेवा आयोग के माध्यम से नायब तहसीलदार के पद पर चयन हुआ। मांगेराम चैहान ने बताया कि 21 मार्च 1996 को सहारनपुर की देवबंद तहसील में नायब तहसीलदार के पद पर ज्वाइन किया। 2012 में मेरठ सदर तहसील में रहते तहसीलदार के पद पर प्रमोशन मिला। मई 2013 में मेरठ विकास प्राधिकरण में प्रतिनियुक्ति पर रहे। इसके अलावा बरेली की आंवला तहसील में तहसीलदार न्यायिक, नवाब गंज में लेखपाल और कानूनगो के ट्रेनिंग स्कूल के प्राचार्य, बागपत के बड़ौत आदि में रहे।
2018 को पीसीएस संवर्ग में प्रमोशन
24 अगस्त 2018 को पीसीएस संवर्ग में प्रमोशन मिला। 31 अगस्त 2018 को अमरोहा में जिला मुख्यालय पर अपर उप जिलाधिकारी के रूप में ज्वाइन किया। 20 दिसंबर 2018 से 31 जनवरी 2019 तक लखनऊ में उत्तर प्रदेश प्रशासन एवं प्रबंधन अकादमी में ट्रेनिंग की और इसमें टाॅप करने पर महानिदेशक ट्राफी प्रदान की गई।
जिला मुख्यालय पर डिप्टी कलेक्टर
जिला मुख्यालय पर डिप्टी कलेक्टर से 4 फरवरी 2019 को नौगावंा सादात में डिप्टी कलेक्टर के रूप में कार्य भार ग्रहण किया। उसके बाद 24 सितंबर से 14 नवंबर 2019 तक धनौरा में डिप्टी कलेक्टर रहे। 14 नवंबर से जिला मुख्यालय पर डिप्टी कलेक्टर हैं।
पौधारोपण व जल संरक्षण का अभिनव अभियान
मांगेराम चोहान ने नौगावां सादात और धनौरा में डिप्टी कलेक्टर रहते हुए पौधारोपण और जल संरक्षण का विशेष अभियान संचालित किया। जो काफी चर्चा में रहा। उनके द्वारा संचालित अभियान संबंधित तहसीलांे में अभी भी जारी है। उन्होंने ग्रीन बांड का कांस्पेट दिया। जिसके तहत अभियुक्त को पांच और दोनों जमानती को एक-एक पौधे लगाने होते हैं और उनकी परवरिश की जिम्मेदारी लेते हैं तभी जमानत दी जाती है। गांवों में उन्होंने पर्यावरण प्रहरी बनाए। जल संरक्षण और पौधारोपण पर जागरूकता कार्यक्रमों को प्रोत्साहित किया। राशन डीलरों के पास उपभोक्ताओं के लिए पौधारोपण एवं जल संरक्षण पंजिका तैयार कराई। वृक्ष सुरक्षा बंधन पर्व संचालित कराया। सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के तहत शिकायतों के निस्तारण के लिए ग्राम प्रधानों के पास शिकायत पंजिका एवं शिकायत पेटिका रखवाई। तालाब गड्ढा दिवस का आयोजन कराया।
छात्रों और नवयुवकों के लिए संदेश
डिप्टी कलेक्टर मांगेराम चोहान का छात्रांे और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में जुटे नवयुवकों के लिए संदेश है कि वह अपने अध्ययन कार्य से प्रेम करें। अध्ययन मंे पांचों इंद्रियों का प्रयोग करें यानि अपनी पुस्तकों को बोलकर पढ़े, पढ़े हुए भाग का मानसिक चिंतन करें। पुस्तक के अंश अपने साथी से सुने, अपने पाठों को छूकर महसूस करें, अपने पढ़े हुए पाठों की खुशबू महसूस करें। इस प्रक्रिया से अध्ययन सामग्री मन मस्तिष्क में बस जाएगी और अध्ययन एक मजेदार एवं प्रेमयुक्त कार्य लगेगा।