डाॅं. दीपक अग्रवाल
अमरोहा। (सन शाइन न्यूज)
एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय बरेली के कुलपति प्रोफेसर अनिल शुक्ल ने कहा कि कई बार जो समाज में घटित होता है वह साहित्य में परिलक्षित होता है। जबकि ऐसे साहित्य के सृजन की जरूरत है जो समाज को जोड़ने का काम करें।
जेएस कालेज में संगोष्ठी
श्री शुक्ल 22 फरवरी को अमरोहा में जगदीश सरन हिंदू पीजी कालेज में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान लखनऊ द्वारा संपोषित 21 वीं सदी और साहित्यिक विमर्श विषय पर आयोजित इस दो दिवसीय संगोष्ठी का शुभारंभ अतिथियांे और प्रबंध समिति के मंत्री गिरीश चंद्र अग्रवाल ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया।
संयोजक डाॅ. बबलू सिंह ने संगोष्ठी की प्रस्तावना प्रस्तुत की और समन्वयक डाॅ. हरेन्द्र सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया।
शोषितों की समस्याआंे को उजागर करें
मुख्य वक्ता प्रो.डाॅ.केपी सिंह दिल्ली विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय एकता, भाषा, साहित्य और समाज पर अपना चिंतन प्रस्तुत किया एवं भूमंडलीकरण के संदर्भ में तीसरी दुनिया के देशों विशेषकर भारत के संदर्भ में प्रकाश डाला। डाॅ. सुशीला टाकभौरे, वरिष्ठ साहित्यकार, नागपुर ने समाज की मुख्य धारा से कटे समाज के उद्धारक डाॅ. बी.आर. आम्बेडकर, ज्योतिबा फूले, सावित्री बाई फूले आदि को शोषित, वंचित समाज का उद्धारक एवं देवता बताया। शोषितों की समस्याआंे को उजागर करने वाले साहित्य की आवश्यकता पर बल दिया।
अंतिम व्यक्ति की समस्याओं प्रतिबिम्बित करें
प्रो.डाॅ. तिलक सिंह एस.एस.बी. काॅलेज, हापुड़ ने साहित्य में कुली, वेंडर, मजदूर, कूड़ा-कचरा एकत्रित कर अपनी आजीविका के लिए संधर्ष करते हुए बच्चों, अनाथालयों में जीवन गुजार रहे वृद्धों, बच्चों आदि की समस्याओं को प्रतिनिधित्व देने पर बल दिया। डाॅ. सुनील कुमार, उपनिदेशक केन्द्रीय भाषा संस्था, अहमदाबाद, गुजरात ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण तभी कहलायेगा जब वह समाज के अंतिम व्यक्ति की समस्याओं एवं कष्टों को प्रतिबिम्बित करने का प्रयास करेगा।
मनुष्य के लिए जीये और मरे
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रो. बीएन सिंह, पूर्व निदेशक, राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज ने नई आर्थिक नीति और दलितों के समक्ष चुनौतियों पर चिंता प्रकट की और मानववाद को सर्वोपरि माना। मनुष्य को चाहिए कि वो मनुष्य के लिए जीये और मरे।
प्राचार्य डाॅ. वीबी बरतरिया ने व्यक्त किया
सत्र के अन्त में महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. वीबी बरतरिया ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। उद्घाटान समारोह का संचालन डाॅ. मनन कौशल, एसो.प्रो. एवं अध्यक्ष अर्थशास्त्र विभाग एवं डाॅ.संयुक्ता देवी, असि. प्रो., हिन्दी विभाग ने संयुक्त रूप से किया।
इस मौके पर मौजूद रहे
संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में पूर्व प्राचार्य डाॅ. पीके जैन व डाॅ. वंदना रानी गुप्ता, डाॅ.संजय शाही, डाॅ.एस.के.सिंह, डाॅ.अनिल रायपुरिया, डाॅ.वीर वीरेन्द्र सिंह, डाॅ.निखिल दास, डाॅ.रमेश चन्द, डाॅ.हिमांशु शर्मा, डाॅ.मन मोहन सिंह, डाॅ.अरविन्द सिंह, डाॅ.संगीता धामा, डाॅ.रश्मि गुप्ता, डाॅ. ज्ञानेंद्र सिंह, डाॅ. सौरभ अग्रवाल, डाॅ. पवन गेरा, डाॅ. पूनम वर्मा, अतुल अग्रवाल, राहुल माहेश्वरी, डाॅ. सुरेंद्र सिंह आदि मौजूद रहे।