डाॅं. दीपक अग्रवाल
अमरोहा। (सन शाइन न्यूज)
हिंदी अकादमी दिल्ली के सदस्य और वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. कमलेश सुमन वियोगी ने साहित्य के अवमूल्यन पर क्षोभ व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि पहले साहित्य समाज को दिशा देता था परन्तु अब राजनीति साहित्य को दिशा दे रही है। उन्हांेने राजनीति से मुक्त साहित्य की वकालत की।
यह विचार उन्होंने जेएस हिन्दू (पीजी) काॅलेज, अमरोहा में उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान, लखनऊ द्वारा सम्पोषित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी, 21वीं सदी और साहित्यिक विमर्श के 23 फरवरी को आयोजित समापन सत्र को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आज के परिवर्तन के काल में साहित्यकार की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। वह सम्पूर्ण समाज की अभिव्यक्ति करे और सबको जोड़ने की बात करे।
समाज के लिए दलित-चेतना जरूरी
23 फरवरी को द्वितीय तकनीकी सत्र प्रातः 10 बजे आरम्भ हुआ जिसमें मंचस्थ विद्वानों के स्वागत के पश्चात् शोध-पत्रों का वाचन आरम्भ हुआ। इस सत्र में महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने भी विचार व्यक्त किये।
महक, ओमामा, अरीबा खान, नविस्ता, दीपांशी अग्रवाल, स्तुति माहेश्वरी, जैनब खान, लवीबा बतूल ने दिव्यांग पर, समर्थ खुराना, पवन कुमार शर्मा तथा शिल्पी ने विचार व्यक्ति किये। डाॅ.आबिद हुसैन (प्राचार्य, एम.जी.एम. काॅलेज, सम्भल) ने महाविद्यालय के छात्र- छात्राओं की प्रस्तुति को सराहा। डाॅ.सुबह सिंह यादव ने अर्थशास्त्रीय विषयांे को साहित्यिक शैली में प्रस्तुत किया। सत्र के अध्यक्ष डाॅ.अनिल कुमार चैधरी ने सत्यम् शिवम् सुन्दरम् की व्यवहारिक व्याख्या करते हुए दलित-चेतना पर भी विचार रखे। डाॅ.अनिल रायपुरिया ने आभार व्यक्त किया तथा सत्र समापन की घोषण की। संचालन डाॅ.नवनीत विश्नोई ने किया।
21वीं सदी निश्चित रूप में भारत की होगी
समापन सत्र का आरम्भ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। मुख्य अतिथि डाॅ.धर्मवीर महाजन (पूर्व प्राचार्य- एन.ए.एस. कालिज, मेरठ) ने कहा कि 19वीं सदी यदि ब्रिटेन की थी, 20वीं सदी अमेरिका की थी तो 21वीं सदी निश्चित रूप में भारत की होगी। डाॅ. मुकेश कुमार (अध्यक्ष रूटा) ने हिन्दी साहित्य में प्रदर्शित सामाजिक समस्याओं पर प्रकाश डाला। डाॅ. स्वदेश सिंह (महामंत्री रूटा) ने कार्यक्रम के आयोजकों को कार्यक्रम की सफलता पर बधाई दी तथा समाजोन्मुखी साहित्य, लेखन पर विचार व्यक्त किया।
प्राचार्य डाॅ. वी.बी. बरतरिया ने आभार व्यक्त
समापन सत्र की अध्यक्षता डाॅ. सुबह सिंह यादव ने की। उन्होंने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में हिन्दी साहित्य और समाजशास्त्र में उल्लिखित सामाजिक विमर्शो को रेखांकित किया। समन्वयक डाॅ.हरेन्द्र कुमार ने संगोष्ठी का कार्य विवरण प्रस्तुत किया। महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. वी.बी. बरतरिया ने अगन्तुकों का आभार व्यक्त किया और समापन की घोषणा की। राष्ट्रगान के साथ संगोष्ठी का समापन हुआ।
संगोष्ठी के समापन सत्र संचालन संयोजक डाॅ. बबलू सिंह ने किया। संगोष्ठी में महाविद्यालय का समस्त स्टाॅफ मौजूद रहा रहा।