डाॅं. दीपक अग्रवाल
अमरोहा। (सनशाइन न्यूज)
कोरोना आज वैश्विक महामारी बन गया है। तमाम वैज्ञानिक और चिकित्सक इसके खात्मे के प्रयास मंे जुटे हैं। विभिन्न देशों की सरकारें अपने अपने नागरिकांे को संरक्षित करने का प्रयास कर रही हैं। भारत सरकार भी पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आमजन की हिफाजत के लिए कार्य कर रही हैं। सन शाइन न्यूज ने शिक्षकांे की रचनाओं के माध्यम से आमजन को जागरूक करने का प्रयास किया है। बड़ी संख्या में रचनाएं प्राप्त हुई प्रस्तुत हैं चयनित रचनाएंः
कोरोना यह वायरस महामारी संकेत।
सावधान परिवार में स्वच्छ नियम हों देख।
स्वच्छ रहन की सलाह, नजर हो युवा – बाल पर।
चलो करें प्रसार, सूचना दें चल घर-घर।
आए जब-जब रोग, भाग गये भ्रम मत पाले मन कोना।
नहीं नियम पालन तो, फिर शिव काहे को रोना।
श्योनाथ सिंह, सेवा. शिक्षक
राष्ट्रपति पुरस्कार विजेता
अमरोहा।
आओ मिलकर कोरोना को दूर भगाएं,
खुद भी जागें औरों को भी जगाएं।
जागरूकता ही है इसका इलाज,
खुद भी समझें औरों को भी समझाएं।
देश को कोरोना से बचना है,
ये हम सभी ने ठाना है।
इसके बचाव को सभी आगे आएं,
अभिवादन स्वीकार करें सभी का
पर हाथ कदापि न मिलाएं।
छीकें कोई या हो बुखार,
ये बात डॉक्टर को जरूर बताएं।
अपनी सुरक्षा अपने हाथ,
सभी को हम यह बतलाएं।
डॉ. जीपी सिंह
प्रधानाचार्यः जेएस इंटर कालेज
अमरोहा।
कोरोना जब से आया है, सबको इसने जगाया है।
अमीर गरीब, हों बूढ़े बच्चे, सबको इसने सताया है।
लीला इसने हजारों को, लाखों में संक्रमण फैलाया है।
बला अजब है ये तो कैसी, इसने सबको डराया है।
कोरोना कोई भूत नहीं है, फिर तुम क्यों इससे डरते हो।
ध्यान रखो कुछ बातों का, फिर क्यों अनदेखी करते हो।
रखो अगर थोड़ी सावधानी, तो तुम पर कोई आंच नहीं।
ऐसे तुम भी कर्म करो सब, क्यों ना इसको भगाते हो।
जब भी निकलो घर से बाहर, संपर्क किसी से करो नहीं।
नहीं मिलाओ हाथ किसी से, गले किसी के पड़ो नहीं।
छोटी छोटी बस ये बातें ही, कोरोना से तुमको बचाएंगी।
वापस घर आने पर धोलो, हाथों को फिर गंदा रखो नहीं।
चारों ओर शोर है इसका, कोरोना का वायरस आया है।
देश की मीडिया ने तो अब, कोरोना को भी चैंकाया है।
नुस्खे ऐसे बता रहे सब, जिनसे सबका सर चकराया है।
आकर कोरोना भी मेरे देश में, शायद जरूर पछताया है।
भूख ने लाखों गरीबों को, असमय मौत की नींद सुलाया है।
कभी किसी की जुबां पर भी, उनका जिक्र नहीं आया है।
जब कोरोना ने एक ओर से सब पर, मरगूब कहर बरपाया है।
पूरी दुनिया में देखो कैसे, मिल कर सब ने शोर मचाया है।
मरगूब हुसैन अमरोही
शिक्षक/पत्रकार, अमरोहा
एक दूजे का साथ निभाए तो कैसे?
काम आये तो काम आये कैसे?
हे प्रकृति! तूने हम सबको बनाया,
हम तेरी जान बचाये तो कैसे?
हमने धरा है रूप बिगाड़ा,
अब बता के तुझें सजाये तो कैसे?
दोष हमारा बहुत बड़ा है,
हम मानव कहलायें तो कैसे?
मुँह बांधकर हम सब घूम रहे है,
अब किसी को हाल बताये तो कैसे?
कोरोना तूने ये क्या किया है?
हम तुझसे जान छुड़ाये तो कैसे?
जागरूकता ही दूससे दूर,
रहने का है मंत्र।
तनिश कुमार गिरि
शिक्षक/तबला वादक
राज्य पुरस्कार विजेता
अमरोहा।
यूं तो दिल से दिल ,मन से मन मिलाया करो।
हो न हो एक दूसरे के काम आया करो ।।
वक्त है नाजुक जो छूने से बीमार है दुनियाँ ।
कोरोना से बचना है तो महफिल में न जाया करो ।
मन का मैल धोना ही है,हाथों पर भी जोर आजमाया करो।
कोई वायरस न रह जाए कोरोना का हाथों में ।
मल मल के साबुन हाथ में लगाया करो।।
यूं न समझो कि मैं ही क्यों मेरा क्या है!
जब मर्ज फैलेगा तो पूछेगा तू जुदा क्या है ।।
वक्त को समेट लो कुछ दिन चाहरदीवारी में ।
जीत गए जंग तो एहसास और खुशनुमा क्या है ।।
तेरी जिन्दगी एक नायाब तोहफा है ।
तेरे हुनर से इसका दामन महकता है ।।