डाॅं. दीपक अग्रवाल
अमरोहा। (सनशाइन न्यूज)
कोरोना वायरस आज वैश्विक महामारी बन गया है। तमाम वैज्ञानिक और चिकित्सक इसके खात्मे के प्रयास मंे जुटे हैं। विभिन्न देशों की सरकारें अपने अपने नागरिकांे को संरक्षित करने का प्रयास कर रही हैं। भारत सरकार भी पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आमजन की हिफाजत के लिए कार्य कर रही हैं। सन शाइन न्यूज ने टीचरों की रचनाओं के माध्यम से आमजन को जागरूक करने का प्रयास किया है। बड़ी संख्या में रचनाएं प्राप्त हुई प्रस्तुत हैं चयनित रचनाएंः
श्योनाथ सिंह शिव
राष्ट्रीय पुरस्कार सम्मानित
सेवानिवृत्त शिक्षक
महेशरा-गजरौला।
अमेरिका संसार का शक्तिशाली देश।
महामारी डेरा जमा, बन कोरोना भेष।
बन कोरोना भेष, हजारों काल-गाल में।
ट्रंप हुए गमगीन, बताई खबर हाल में।
कह शिव कविराय, पकड़ कस बचाव तरीका।
कर दें रिश्ते दूर, बने न हम अमेरिका।।
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रेखा रानी, शिक्षिका
गजरौला।
जरूर मेरे महकते गुलशन को किसी की नजर लगी होगी।
जहां महकती थी खुशबू नन्हीं कलियों की,
वहां सैनिटाइजर की दवा फिजाओं में लगी होगी।
जहां बढ़ते थे कारवां स्कूल चलो अभियान के,
वहां आज आइसोलेशन वार्ड बनने लगे।
समय था गुरु बनकर, विश्व को अनुसरण कराने का,
आज विडम्बना देखिए वक्त की,
की कुछ आस्तीन के सांपों की वजह से,
हम बचाव की जानकारी करने लगे।
जहां उमड़ती थी लहर तरंगित हो ज्ञान गंगा की,
कक्षाएं चलती थीं सीख और अनुशासन की,
प्रत्येक क्षण हो सत्यम शिवम् सुंदरम का,
यकायक
हर क्षण ,हर शख्स एक दर्द और खौफ का पैगाम सा देने लगा।
जहां चहकते थे स्वर नव विहग वृंद के,
गाते थे विजय गान प्रफुल्लित मन से,
सौम्य स्वभाव के थे अंकुर फिजा में,
यकायक करुण स्वर , चीत्कार त्राहि माम त्राहि माम
गूंजने लगा।
रेखा जरूर किसी दुश्मन की,
इस गुलिस्तां पे नजर पड़ी होगी।
सीमा रानी, शिक्षिका
अमरोहा।
कर्मवीर
ऐ कर्मवीर ऐ राष्ट्रवीर
तुमको प्रणाम
तुमकों प्रणाम।
सारा जहां जब है त्रस्त,
तब कर्मवीर कर्तव्यमस्त ।
परहित परोपकार सर्वश्रेष्ठ,
मानों जीवन का यही उद्देश्य।
तुम जहाँ वहाँ आस है,
तुमसे उम्मीद औ विश्वास है।
तुममें जीवन की साँस है
क्योंकि तुम हममें खास हैं।
हर मुश्किल में तुम देवदूत,
जैसे सूखे में आये मेघदूत ।
जब हम घरों में छिपे हुए,
तुम कर्तव्यपथ पर डटे हुए।
हर कठिन डगर पर आ जाते,
क्षणभर मे ज्योति जला जात।
आभारी ये राष्ट्र तुम्हारा सदा ,
कैसे नमन तुम्हें करें भला ।
ऐ कर्मवीर ऐ राष्ट्रवीर
तुमको प्रणाम,
तुमको प्रणाम।
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श्वेता सक्सेना
शिक्षिका, गजरौला।
हर हाल में है मुस्कुराना
आज आपसे यही है संकल्प कराना
हर हाल में है मुस्कुराना—–
व्यस्त जीवन का था न रोना
अब अधूरे शौक पूरे करना
इन दिनों को जीवन का यादगार लम्हा बनाना।
सकारात्मकता से कठिन दौर से है निकलना
हर हाल में है मुस्कुराना—–
खुद संवरना, घर को संवारना
पुराने गाने सुन कभी नाच भी लेना
बच्चों संग बच्चा बन बचपना याद कर लेना
नये- नये व्यंजन से महका देना अपना आशियाना।
मुस्कुराना——-
अपनों का साथ अनमोल है मानना
रिश्ते निभाना, रिश्तों को सुधारना
हर जरूरतमंद की मदद को हाथ बढ़ाना
मिल कर जीवन की बगिया को महकाना।
मुस्कुराना——
सिर्फ घर में है रहना सबको जागरूक करना
जल्दी भागेगा चीन का यह वायरस कोरोना
विश्व में भारत का परचम है लहराना
हर हाल में है मुस्कुराना
हर हाल में है मुस्कुराना।
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