Friday, November 22, 2024
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डाॅ. भीमराव अंबेडकर और टीचर वरण, रामवीर, नीरज व रजनी का नजरिया

डाॅ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा। (सन शाइन न्यूज)

 


युगपुरुष डाॅ. भीमराव अंबेडकर एक ऐसे महापुरुष थे जिन्होंने शोषितांे, अधिकारों से वंचितांे और दलितों के उत्थान के साथ-साथ समाज के कल्याण के लिए काम किया। संविधान निर्माता अंबेडकर ने बचपन से ही कड़ा संघर्ष कर एक नई रोशनी लोगों को दिखाई। 14 अप्रैल को अंबेडकर की जयंती पर सन शाइन न्यूज ने उन्हें शत-शत नमन करते हुए शिक्षकों के बीच एक परिचर्चा का आयोजन किया। जिसका विषय था मेरे विचार में अंबेडकर। पेश हैं चुनींदा टीचरों के विचार-

वरण सिंह 

युगांे युगांे में कोई ऐसा युगपुरुष पैदा होता है जिसको देश व समाज युगों युगांे तक याद करता है। ऐसे ही युगपुरुष भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के महू में हुआ। बाबा साहेब का बचपन शोषण, पीड़ा, भेदभाव में गुजरा लेकिन अपने विचारों में अधिक और असाधारण व्यक्तित्व के धनी डॉ. भीमराव अंबेडकर ने न केवल राष्ट्रनिर्माण में अतुलनीय योगदान दिया बल्कि अपनी प्रखर बुद्धि और क्रांतिकारी विचारों से समाज के हर क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन के वाहक बने। उन्होंने सामाजिक,राजनीतिक,शैक्षणिक धार्मिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक एवं संवैधानिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया
जिसके लिए पूरा देश उनका ऋणी रहेगा। शिक्षा के प्रति अगाध प्रेम ने उन्हें दुनिया के बड़े-बड़े संस्थानों में पढ़ने अवसर दिया अपनी विद्वता के कारण हुए एक समाज सुधारक विधि वेता अर्थशास्त्री राजनीतिज्ञ शिक्षाविद दार्शनिक लेखक पत्रकार समाजशास्त्री मानव विज्ञानी शिक्षाविद प्रोफेसर वह संपादक के रूप में प्रसिद्ध हुए।
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रजनी रानी

महान विद्वान होने के कारण ही आजाद भारत का संविधान बनाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा देश को ऐसा संविधान दिया जिसको दुनिया का सर्वश्रेष्ठ संविधान का तमगा प्राप्त है। वे स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री बने। दलितों, अधिकार वंचितों व महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़े और सामाजिक बदलाव के वाहक बने। 21वीं सदी के महानतम लोगों में उनका नाम आदर के साथ लिया जाता है। बाबासाहेब डॉ. अंबेडकर ने समता, करुणा, मैत्री, बंधुत्व और न्याय को धरातल पर उतारने के लिए लंबा संघर्ष किया। बाबा साहेब ने अधिकार वंचित वर्गों के में जागरूकता लाने, उन्हें संगठित करने तथा उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा देने में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उनका शिक्षा पर बहुत जोर था उन्होंने शिक्षित बनो! संगठित रहो! संघर्ष करो!का नारा देकर लोगों में शिक्षा की अलख जगाई तथा इसी के साथ संगठित रहकर भारत के विकास में योगदान देने तथा पूरे जीवन मानव कल्याण के लिए संघर्ष करते रहने का मूल मंत्र भी दिया।

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रामवीर सिंह 

वोट का अधिकार दिलाने वाले, नारी समाज के मुक्तिदाता, छः हजार पुस्तकों के रचयिता, भारत के प्रथम कानून मंत्री, ज्ञान के प्रतीक, विशाल भारतीय संविधान के जनक, बाबा साहब डा. भीमराव अम्बेडकर ने ’तीन मूल मंत्र दिए थे। शिक्षित बनो,संगठित रहो और संघर्ष करो।’ बाबा साहब द्वारा दबे कुचलों, पिछड़ो एवं महिलाओं के लिए अनेकों कार्य किये गये। वोट का अधिकार दिलाने वाले बाबा साहब ने भारतीय संविधान 2 वर्ष 11माह18 दिन में बनाकर तैयार किया। संविधान सौपनें के पश्चात हंसते मुस्कराते हुए बाबा साहब ने कहा कि ’पहले रानी के पेट से राजा पैदा होता था परन्तु अब भारतीय संविधान में मैनें यह व्यवस्था कर दी है कि अब राजा रानी के पेट से नहीं बल्कि मतपेटिका से बनेगा अर्थात आपके द्वारा वोट से बनेगा’। एक बार पत्रकारों की एक टीम भारत भ्रमण पर आयी थी तो ’वह पहले नेहरू के पास गये तो वह सोए हुए थे। वह जब गांधी जी के पास गये तो वह भी सोए हुए थे। इस प्रकार जब वह अन्त में डा. भीमराव अम्बेडकर के पास गये तो वह अध्ययन करने में व्यस्त थे। जब उनसे पत्रकारों ने पूछा कि इतने रात में सब सो रहें हैं और आप जागकर अध्ययन कर रहे हैं, तो इसका क्या कारण हैं। बाबा साहब डा. भीमराव अम्बेडकर ने कहा कि नेहरू जी एवं गांधी जी इसलिएं सो रहे हैं कि उनका समाज जागा हुआ है और मैं इसलिए जाग रहा हूँ कि मेरा समाज अभी भी सोया हुआ है।’
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नीरज निमल प्र.अ.
प्रा.वि. चकनवाला, धनौरा।

डॉ. अम्बेडकर ने देशी-विदेशी सामाजिक व्यवस्थाओं को बहुत नजदीक से देखा और अनुभव किया। डॉ अम्बेडकर ने न सिर्फ समाज में फैली जातिवाद छुआछूत जैसी कुरीतियों को जड़ से मिटाया। बल्कि शोषित वंचित समाज को उनका अधिकार दिलाने व महिलाओं के हक के लिये भी लड़ाई लड़ी। इसके अलावा डॉ अम्बेडकर ने शिक्षा के प्रचार प्रसार पर भी काफी जोर दिया। उन्होंने धार्मिक, राजनीतिक, औद्योगिक, साहित्यिक, संवैधानिक, ऐतिहासिक समेत सभी क्षेत्रों में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।और अपना पूरा जीवन देश की सेवा में समर्पित कर दिया।
डॉ. अम्बेडकर ने आर्थिक विकास व पूंजी अर्जन के लिए भगवान बुद्ध द्वारा प्रतिस्थापित नैतिक और मानवीय मूल्यों पर अधिक जोर दिया। भारत के लिए डॉ भीमराव अंबेडकर जैसे महान व्यक्ति का जन्म लेना सौभाग्य की बात है, उनके द्वारा किये गए सभी कामों को कभी भूला नहीं जा सकता। देश हमेशा उनका कृतज्ञ रहेगा।
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Dr. Deepak Agarwal
Dr. Deepak Agarwal is the founder of SunShineNews. He is also an experienced Journalist and Asst. Professor of mass communication and journalism at the Jagdish Saran Hindu (P.G) College Amroha Uttar Pradesh. He had worked 15 years in Amur Ujala, 8 years in Hindustan,3years in Chingari and Bijnor Times. For news, advertisement and any query contact us on deepakamrohi@gmail.com
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