डाॅं. दीपक अग्रवाल
अमरोहा।(सन शाइन न्यूज)
आज स्कूल की छुट्टी जल्दी हो गई थी। माला बस में बैठकर घर वापिस आती थी। रोज की तरह आज भी सर्दी बहुत थी।माला छुट्टी के बाद जल्दी ही बस में बैठ गई थी।
थोड़ी देर बाद अपने गन्तव्य पर पहुंचने पर जब वह बस से उतरी तो उसने देखा कि एक बुजुर्ग सी महिला, जो कि ठीक ठाक से कपड़े पहने हुए थी, बहुत परेशान सी इधर उधर देख रही थी। माला को जब उस बुजुर्ग महिला ने देखा तो वह उसके पास आई, माला थोड़ा असहज हुई।
वह महिला उसके पास आकर धीरे से बोली- मेरा पर्स चोरी हो गया है। मेरे पास घर जाने के लिए पैसे नही है। माला ने सोचा कि ये नया तरीका है पैसे ऐंठने का। वह आगे बढ़ गई, परंतु कहीं न कहीं उसके मन मे यह बात आ रही थी कि कहीं वास्तव में तो उस महिला का पर्स चोरी नहीं हो गया।
माला इसी सोच विचार में घर पहुंच गई। तथा फिर अपने रोजमर्रा के कार्य निपटाने में लग गई। लेकिन उसके मस्तिष्क में उस बुजुर्ग महिला का चेहरा और कानों में उसकी वेदना भरी वाणी गूंजती रही। वह ठीक से खाना भी नहीं खा पाई और उदासी ने उसे घेर लिया। मृदु भाषी और सभी का सहयोग करने वाली माला को यह बात परेशान कर रही थी कि उससे कोई गलती न हो गई हो।
शाम को उन्हें कहीं उत्सव में जाना था लिहाजा माला का पति अभिनव चार बजे बैंक से घर आ गया था। हर समय मुस्कराने वाले चेहरे पर खामोशी और उदासी देखकर अभिनव को कुछ अनहोनी की आशंका ने घेर लिया। उसने सहज भाव से माला से उदासी का कारण पूछा। जिस पर उसने पूरी घटना की उसे जानकारी दी।
जिस पर अभिनव ने कहा हमें उत्सव में जहां जाना है उसका रास्ता तुम्हारे उस बस स्टाप से होकर ही जाता है जहां से तुम रोज बस में बैठती हो। हम जाते समय उस महिला को वहां देख लेंगे। यह सुनकर माला का चेहरा खिल गया।
थोड़ी देर बाद दोनों बस स्टाप पर पहुंच गए। सूरज छिपने लगा था और धुंध छाने लगी थी लेकिन वह बुजुर्ग महिला गुमसुम एक कोने में बैठी थी। माला उसके पास पहुंची और बोली आप अभी तक यहीं हो। इस पर उसने जवाब दिया मेरा पर्स चोरी हो गया था और किसी ने सहयोग नहीं किया। अब जो नियति को मंजूर होगा वहीं होगा। इस पर माला और उसके पति की आंखे भर आई। माला ने उसे बस में बैठाकर उसके गन्तव्य स्थल का टिकिट दिलाया। जिस पर महिला ने उसे बहुत आशीर्वाद दिया। साथ ही माला को भी सुकून मिला।
अब अभिनव ने माला को समझाया कि हर जरूरतमंद छल और कपट नहीं करता है। अगर कोई सहायता मांग रहा है तो विवेक का प्रयोग करते हुए उसकी सहायता करनी चाहिए।
प्रीति चैधरी
गजरौला,अमरोहा।