डाॅं. दीपक अग्रवाल
अमरोहा। (सनशाइन न्यूज)
कोरोना वायरस आज वैश्विक महामारी बन गया है। तमाम वैज्ञानिक और चिकित्सक इसके खात्मे के प्रयास मंे जुटे हैं। विभिन्न देशों की सरकारें अपने अपने नागरिकांे को संरक्षित करने का प्रयास कर रही हैं। भारत सरकार भी पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आमजन की हिफाजत के लिए कार्य कर रही हैं। सन शाइन न्यूज ने टीचरों व अन्य की रचनाओं के माध्यम से आमजन को जागरूक करने का प्रयास किया है। बड़ी संख्या में रचनाएं प्राप्त हुई प्रस्तुत हैं चयनित रचनाएंः
मनोनीत कुमार सैनी
ब्रांच मैनेजर, प्रथमा यूपी ग्रामीण बैंक
काँठ (मुरादाबाद)
इस शहर में मैंने वीराने का बसेरा देखा है
व्यस्त रहने वाली गलियों में तन्हाईयों का काफिला देखा है।
गाड़ियों का कारवाँ जो चलता था हर तरफ
रात को हर जगह फिक्र का धुआँ देखा है।
इस शहर में इमारते तो बहुत हैं मगर
वीरानीयों का हर तरफ मकाँ देखा है।
बड़े बड़े चैराहों को छोटी छोटी गलियों से बिछड़ते देखा है
हर इंसान को अपनों के लिए परेशान होते देखा है।
हर एक शख्स को इंसान से बचते बचाते देखा है
एक दूसरे को हिम्मत बँधाते देखा है ।
लोगों को घरों के लिये सड़कों पर पैदल ही जाते देखा है
हाथ बढ़ाकर हर मजहब को सामने आते देखा है ।
मुश्किल दौर में गरीब की रोटी छिनी
लाखों हाथों को मदद में काम करते देखा है ।
फेंके है जिन हाथों ने धरती के भगवान पर पत्थर
उस भगवान को उस इंसान की जान बचाते देखा है ।
पुलिस को लोगों के लिये जान की बाजी लगाते देखा है
सख्ती करने पर भी लोगों को उन पर फूल बरसाते देखा है ।
जन सेवा में बैंक ने तेरा ना मेरा देखा है
इस संकट के बाद मेरे भारत ने एक नया सवेरा देखा है……
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श्योनाथ सिंह शिव
राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त सेवानिवृत्त शिक्षक।
महेशरा (अमरोहा) उ0प्र0 ।
मोबाइल – 9837173723
कल क्या होगा अग-जग में, मन में रख सो जाते हैं।
सुबह सबेरे अखबारों में, खङा कोरोना पाते हैं।।
दिवस बीत गए तेरह, बन्द पङे़ दरवाजों में।
नहीं निकलना बस घर रहना, सुन जनता आवाजों में।
सुना जाय कब शुभ संदेशा, सब घर में बतलाते हैं।।
सुबह सबेरे अखबारों में – – – – – – – ।।
कोरोना ने मेरी आस्था पर ऐसा प्रहार किया।
बन्द हुए दरवाजे उनके अस्पताल बहाल किया।
मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे अब मौन भोर हो जाते हैं।
सुबह सबेरे अखबारों में – – – – – – – – ।।
जब-जब कोई विपदा आती, याद करें निज देवों को।
बदल गये प्रतिमान भान अब, झेल दंश के भेदों को।
अस्पताल पट दुनिया में मानव हित खोले जाते हैं।।
सुबह सबेरे अखबारों में – – – – – – – – ।
रोजी-रोटी छीन लयी, उन लाचार गरीबों की।
पेट पालने चले गए जो, शहर शरण अमीरों की।
पेट-भूख और सर पर घर, गांव को वापस आते हैं।
सुबह सबेरे अखबारों में – – – – -।।
अब तुम राह तको न कोई, रिश्ते से दूरी कर लो।
निज परिवार के साथ बैठ, ये 21 दिन पूरे कर लो।
यही दवाई तुम सब कर लो, हैं सुखी बचाव रख पाते हैं।।
सुबह सवेरे अखबारों में फिर गया कोरोना पाते हैं।।
फिर नहीं कोरोना पाते हैं।।
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रेखा रानी
ब्लॉक मंत्री, प्राशिसं गजरौला
अमरोहा।
वाह ! री कुदरत ,
तूने हम इंसानों को ,
हमारी असली औकात दिखा दी।
छेड़ -छाड़ तेरे अस्तित्व के साथ ,
उसकी किस रूप में सजा दी।
गुमान बहुत था ,
अपनी इंसानी फितरत में छुपी ,
नाकाम शक्तियों का ,
बिना अस्त्र- शस्त्र ही,
मौन प्रहार करके ही,
सारी दुनिया हिला दी।
तूने हम इंसानों को,
हमारी असली औकात दिखा दी।
गुमान बहुत था,
अपनी व्यस्त खोजी प्रवृति का
बिना कुछ किए ही ,
नन्हे वायरस को भेज
व्यस्त दिनचर्या की धज्जियां,
सहज ही उड़ा दी।
तूने हम इंसानों को,
हमारी असली औकात दिखा दी।
गुमान बहुत था,
विमान बनाकर,
आसमान में उड़ने का।
मनचाही दिशा में बेवक्त, उड़ने का।
बिना कैंची ही कतर डाले पंख,
नन्हीं सहमी सी चिड़िया को ,
उन्मुक्त गगन की सैर करा दी।
तूने हम इंसानों को,
हमारी असली औकात दिखा दी।
गुमान बहुत था,
भौतिक भोग विलास का,
लक्जरी कार में सवार हो,
क्लब, पांच सितारा होटलों में,
जीवन यापन का,
चुटकियों में दहशत भर,
दिलों में रेखा सात्विक आहार,
उच्च विचार, रिश्तों में बंध जीवन यापन की कला सिखा दी।
तूने हम इंसानों को,
हमारी असली औकात दिखा दी।