डाॅ. दीपक अग्रवाल
लखनऊ (सनशाइन न्यूज)
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने केंद्र सरकार द्वारा जनवरी 2020 से देय महंगाई भत्ते, जुलाई 2020 एवं जनवरी 2021 से देय महंगाई भत्ते पर 30 जून 2021 तक रोक लगाने के फैसले को निराशाजनक बताया है। उन्होंने पीएम और वित्त मंत्री से डीए को रोकने के आदेश पर पुनः विचार करने की मांग की है।
उन्होंने अवगत कराया है कि भारत सरकार ने लगभग 53 लाख नियमित कर्मचारियों एवं 50 लाख से अधिक पेंशन भोगियों के महंगाई भत्ते एवं राहत पर 18 महीने के लिए रोक लगा दी है। सरकार के इस निर्णय से कोरोना नियंत्रण में इमानदारी से अपनी जान जोखिम में डालकर ड्यूटी करने वाले सरकारी कर्मचारियों का मनोबल टूट गया है। उन्होंने कहा है कि कर्मचारी अपनी ड्यूटी के साथ-साथ अपने वेतन से एक दिन का वेतन एवं पेंशन की धनराशि प्रधानमंत्री केयर फंड एवं मुख्यमंत्री आपदा कोष में दान कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के कर्मचारियों ने अब तक करोड़ों रुपया प्रधानमंत्री केयर फंड एवं मुख्यमंत्री आपदा कोष में अपने वेतन से दे दिया है, फिर भी कर्मचारियों के महंगाई भत्ते पर डेढ़ साल के लिए रोक लगाये जाने के फैसले से देश एवं प्रदेश का कर्मचारी आहत है। इस फैसले से सरकार डेढ़ साल तक कर्मचारियों को मिलने वाली लगभग 15 फीसदी वेतन वृद्धि को रोकना उचित नहीं है। केंद्र सरकार के अलावा यही सिद्धांत प्रदेश सरकारों द्वारा भी अपनाया जाएगा एवं प्रदेश सरकारे भी डेढ़ साल तक महंगाई भत्ता फ्रीज कर देगी। सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।
जे एन तिवारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं वित्त मंत्री सीतारमण को पत्र लिखकर महंगाई भत्ता रोके जाने के फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा है कि सरकार कर्मचारियों के एक माह के बढ़े हुए महंगाई भत्ते को आपदा नियंत्रण कोष में भले ही जमा कर ले लेकिन कोरोना नियंत्रण के बाद कर्मचारियों को महंगाई भत्ते की किस्तों का भुगतान जरूर किया जाए।