डाॅ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश। (सनशाइन न्यूज )
वैसे तो हर दिन मां के नमन का होता है लेकिन 10 मई को विशेष मां के सम्मान के लिए मातृ दिवस मनाया जाता है। मां का महत्व और दुलार असीत होता है। टीचर्स ने अपनी रचनाओं के माध्यम से मां के प्रति अपने समर्पण को व्यक्त किया हैं। पेश हैं उनकी रचनाएंः
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फिक्र में बच्चों की कुछ इस तरह घुल जाती है मां।
नौजवां होते हुए बूढ़ी नजर आती है मां।।
रूह के रिश्तों की यह गइराइयां तो देखिए।
चोट लगती है हमारे और चिल्लाती है मां।।
कब जरूरत हो मेरी बच्चों को इतना सोच कर।
जागती रहती हैं आंखें और सो जाती है मां।।
नसरीन फात्मा
प्राथमिक विद्यालय
भैड़ा भरतपुर अमरोहा।
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मां ममता की मूरत
देखूं इसमें भगवान की सूरत
तू ही तो मां हर मर्ज की दवा है
तेरे बिना यह जिंदगी सजा है
तेरे लिए यह जिंदगी निसार देेंगे
तेरी जिंदगी में खुशियों की बहार देंगे
अपना दूध पिलाकर मां तूने हमंे पाला है
खून पसीना अपना बहाकर तूने जीवन संवारा है।
मीनाक्षी वर्मा
प्राथमिक विद्यालय
डिडौली।
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कभी कड़वी कभी मीठी गोली सी मेरी माँ
प्यार अंदर भरा हुआ पर दिखती सख्त है मेरी माँ
ममता की छांव में उसकी बड़े हुए हम
हम भाई बहनों का अभिमान है मेरी माँ
कभी………
कड़ी धूप में चलना सिखाया
कठिनाइयों से लड़ना सिखाया
बात गलत पर चपत लगाती
राह सच्ची पर चलना सिखाती है मेरी माँ
कभी गुरु बन वह मुझे मेरा रास्ता सुझाती है
कभी सखी बन मेरी हर बात बिन कहे समझ जाती है
कभी ईश्वर का रूप धर हर दुविधा में रास्ता बन जाती है
प्रीति चैधरी
अमरोहा
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हाथ पकड़ कर तूने मुझे
चलना सिखाया था
सौ बार गिरा जब भी मै
तूने सीने से लगाया था
कैसे नमन करू मंै माँ
तुझे कैसे नमन करूं
जब थक हार के बैठा
तू रोशनी बनकर आयी।
सीमा रानी
प्रावि पचोकरा, अमरोहा।
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गहरे समुद्र से खोजकर निकाला हुआ कोहिनूर होती है।
कितने भी दूर क्यों न हों जाएं हम मां से ,
पर मां कब बच्चों से दूर होती है।
कोई मोल नहीं है उसकी ममता का,
वह तो सदैव ही अनमोल होती है।
सब रिश्ते हैं यहां स्वार्थ भरे,
जो एक दूसरे से मतलब से जुड़े।
मां ही है जो सदैव निस्वार्थ होकर खुशियां संजोती है।
रेखा विश्वास न टूटने पाए कभी रिश्तों का।
मां की गोदी के आगे कब चाह होती है
जन्नत में जाने की।
रेखा रानी
ब्लॉक मंत्री
प्राशिसं गजरौला।
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हर दर्द की दवा होती है माँ
जब कोई नहीं होता
तब हमदर्द होती है माँ
मेरी नींदों में स्वप्न की तरह माँ
मेरी खुशियों में दुआओं की तरह
चिंता, चिता नहीं बनती
जब पास होती है माँ
ठंडक रहती है कलेजे में
जब आंचल में छुपाती है माँ
माँ माँ थककर आता हूं जब मैं
मुस्कान से जोश भर जाती है
आनंदित कर जाती है
जब माँ ममता झलकाती है।
विकास चैहान
जिलाध्यक्ष
जू.हा. शिक्षक संघ अमरोहा
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ये मकां ये दुकां बेमानी हैं,
जिसने माँ को पाया वो जहाँ-ए-शानी है।
गुस्सा छलक जाता है आंखो से,
खुशियाँ बाँटती रहती है ।
पूरी जिंदगी इन्तजार में,
नजर दरवाजे पर रहती है ।
और भी हैं फिक्रमंद मालूम है,
पर माँ कभी जताती नहीं है ।
औरों की छींक से बेचैन हो जाए
पर अपना दुःख बताती नहीं है ।
जगदीश चन्द्र
गजरौला।
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मेरी नजर में हर मां का,
सम्मान बड़ा है।
उसका प्यार और आशीष,
जग में सबसे बड़ा है।
मेरे दिल में किसी देव का,
कोई स्थान नहीं है।
गर सबसे पहले दुनिया में,
मां का सम्मान नहीं है।
गर मां नहीं तो ये जिंदगी,
वीरान गली है।
रणवीर सिंह
सहायक अध्यापक
गंगेश्वरी(अमरोहा)
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