Thursday, November 21, 2024
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डिप्टी कलेक्टर मांगेराम चैहान का कोविड-19 पर विश्लेषण

डाॅं. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश। (सनशाइन न्यूज)
कोविड-19 ने मानव जीवन को बुरी तरह अस्त-व्यस्त और प्रभावित किया है। कोविड-19 के कारण सम्पूर्ण मानव जाति के जीवन पर मृत्यु का खतरा मंडरा रहा है। कोरोना विश्व भर में लगभग 3.50 लाख जिन्दगियां ले चुका है और विश्व भर में बहुत बड़ी धनराशि इससे बचने में खर्च हो रही है। विश्व व्यापी लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियां बंद होने से संसार भुखमरी एवं भयानक बेरोजगारी की ओर बढ़ रहा है।
वहीं दूसरी तरफ इस महामारी के कारण विश्वव्यापी लॉकडाउन पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ किया। पर्यावरण को दमघोटू प्रदूषण से राहत मिली है द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह पहला मौका बताया जा रहा है, जब पृथ्वी से जहरीली गैसों का उत्पादन बेहद कम हो गया है जालंधर से हिमालय पर्वत श्रृंखला दिखने लगी हैं आकाश स्वच्छ एवं नीला दिख रहा है। आकाश में सप्त ऋषि मण्डल, ध्रुव तारें, बुद्ध व अन्य आकाशीय गृह खुली ऑँखों से निहारे जा सकते हैं। नदियों का जल पूर्ण स्वच्छता के साथ बह रहा है। एयर क्वालिटी इंडेक्स जो खतरनांक स्तर पर पहुच गया था, उसमें अत्यधिक सुधार हो गया है। बड़े शहरों में भू-जल गिरावट की दर धीमी हो गयी है।

विश्वव्यापी लॉकडाउन के कारण कार्बन उत्सर्जन रुक गया विशेषज्ञों के अनुसार 1 फरवरी से 19 मार्च 2020 के बीच पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में उद्योगों से कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में एक करोड़ टन की कमी दर्ज की गयी है। लॉकडाउन में पहले के मुकाबले पृथ्वी में बहुत कम कंपन हो रहा है। भूकम्प वैज्ञानिकों का मानना है कि इस समय दुनिया भर में कम ध्वनि प्रदूषण के चलते वे बहुत छोटे-छोटे भूकम्पों को मापने में सफल हुए है, जिससे शोध करने में सहायता मिली है।
कोविड-19 के सबक
कोरोना वायरस ने हमें हमारी दुनिया को एक अलग परिप्रेक्ष्य में देखने का अवसर दिया है। साथ ही यह चेतावनी भी दी है कि मनुष्य जीवन शैली और विकास की प्रकिया के अपने तौर-तरीकों को बदले मनुष्य की अति भौतिकवाद, उत्पादन वाले और उपभोगवाद को विकास का पर्याय मान लेने पर सवाल उठा है। यह संकट हमें अपनी दुनिया को जीवन्त और स्वस्थ बनाने के तरीकों और साधनों के बारे में सोचने का सबक दे रहा है कि सतत् सामाजिक विकास, पर्यावरण, अर्थव्यवस्था तीनों स्तम्भों को मजबूत करने की आवश्यकता है और इस कार्य को सब देशों को मिलकर करना होगा

यह महामारी हमें चेतावनी दे रही है कि यदि हम वन्य जीवों और उनके आवास के अधिकारों का सम्मान नहीं करते तो कोविड-19 जैसी महामारी बार-बार आयेगी। जंगली जानवरों के रोगजनकों से हमारी प्राकृतिक प्रतिरक्षा एवं सुरक्षा को चुनौती मिलती रहेगी। हमें व्यक्तिवाद एवं सुखवाद की प्रवृत्ति को त्यागने की जरूरत के साथ स्थनीय एवं वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था और पर्यावरणीय राजनीति को पारिस्थितिकी सम्मान एवं न्याय की तर्ज पर सबके साथ मिलकर फिर से परिभाषित किये जाने की आवश्यकता है।

कोविड-19 से सीख
इस वैश्विक महामारी का कोई ईलाज न होने के कारण मानव जाति को यह सीख मिली है कि इस तरह के वायरस से बचाव का एक ही तरीका है कि मानव अपने इम्यून सिस्टम पर लगातार काम कर उसको सशक्त करें, जिसके लिए शारीरिक क्रिया योग, कसरत आदि को भोजन की तरह अपने जीवन का हिस्सा बनाए साथ ही जिस क्षेत्र में रहता है उस क्षेत्र की भोजन आदतों को अपनाये, ताजा एवं मौसमी भोजन प्रयोग करें। आज हम घरों में बैठे हैं तो हमारे पास सलीखे से सोच-विचार एवं चिन्तन करने का पर्याप्त समय है। हमें भावी पर्यावरण एवं पारिस्थिति तंत्रीय खतरों से निपटने के लिए प्रकृति के लिए कुछ सकारात्म करने की आवश्यकता है। मानव जाति को अपनी दिनचार्य अधिकाधिक प्रकृति आधारित बनाने की जरुरत है। वास्तव में यह समय ऐसा है, जिसमें मानवता को अंशतः यह पहचानना चाहिए कि हम पृथ्वी से जुड़े एक परिवार की तरह है। हम एक ही गृह को साझा करते हैं, पानी के एक ही स्त्रोत से पानी पीते हैं और एक ही हवा में सांस लेते हैं। अतः सम्पूर्ण पृथ्वी गृह पर निवासित व्यक्तियों को अपना परिवार मानकर इस ग्रह के प्रत्येक निवासी के लिए भोजन, आवास, स्वस्थ और स्वच्छ प्राकृतिक वातावरण दिये जाने की आवश्यकता है।
(लेखक मांगेराम चैहान अमरोहा के जिला मुख्यालय पर डिप्टी कलेक्टर हैं।)

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Dr. Deepak Agarwal
Dr. Deepak Agarwal is the founder of SunShineNews. He is also an experienced Journalist and Asst. Professor of mass communication and journalism at the Jagdish Saran Hindu (P.G) College Amroha Uttar Pradesh. He had worked 15 years in Amur Ujala, 8 years in Hindustan,3years in Chingari and Bijnor Times. For news, advertisement and any query contact us on deepakamrohi@gmail.com
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