डाॅ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश। (सनशाइन न्यूज)
नायाब अब्बासी पीजी कालिज के मुख्य अनुशासक व एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ. महताब अमरोहवी ने केंद्र सरकार द्वारा जारी किये गए बीस लाख करोड़ के विशेष पैकेज की सराहना की है। परन्तु उन्हों ने प्रश्न उठाया कि यह किस प्रकार सम्भव होगा ?उन्होंने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीता रमण ने विभिन्न क्षेत्रों के उद्यमियों ,पूंजी पतियों ,तथा किसानों को सस्ती दरों पर ऋण दिलाने की बात कही है परन्तु स्ववित्तपोषित शिक्षण संस्थाओं के विषय में एक शब्द नहीं कहा देश भर में फैले स्ववित्तपोषित शिक्षण संस्थाओं ने जहां तीन माह की फीस का देश हित में त्याग किया किया तथा स्टाफ को पूरा वेतन दिया परन्तु सरकार की ओर से इन संस्थाओं को कोई पैकेज नहीं दिया गया। उन्होंने मदरसा शिक्षकों को 44 माह से मानदेय न मिलने पर भी रोष जताया है।
उन्होंने कहा कि निजी शिक्षण संस्थान सरकारी शिक्षण संस्थानों से अच्छी तथा कम शुल्क में शिक्षा प्रदान करते हैं परन्तु इन संस्थानों को संबद्धता के एक कागज के अतिरिक्त कोई सहायता ,अनुदान विशेष पैकेज नहीं दिया जाता जबकि इन संस्थानों पर संबंधित अधिकारियों का हर समय चाबुक चलता रहता है।
भारत रत्न स्व. अटल बिहारी बाजपेई द्वारा अपने प्रधान मंत्री काल में अल्पसंख्यको वर्ग को अच्छी शिक्षा देने के उद्देश्य से मदरसा आधुनिकीकरण योजना चलाई थी जिसमें अल्पसंख्यकों के साथ 30 से 35 प्रतिशत हिन्दू भाई अध्यापन कार्य कर रहे है, यह योजना भारत के चुने हुए 90 अल्पसंख्यक बाहुल्य जनपदों में चल रही हैं ,जिसमे एमए ,बीएड अध्यापक को 15000 रूपए तथा बीए बीएड पास शिक्षक को 12000 रूपए मासिक मानदेय का प्रावधान किया गया है जो पूर्व में 3000 तथा 6000 मासिक था। इन अभागे मदरसा अध्यापकों को विगत 44 माह से केंद्र सरकार द्वारा मानदेय का भुगतान नहीं किया गया जबकि आधा दर्जन से अधिक मदरसा अध्यापकों ने मानदेय न मिलने के कारण आत्म हत्या कर ली। अब जबकि चारों ओर कोरोना संकट बुरी तरह फैला हैं तथा सरकारें भी इस आपदा महामारी को गंभीरता से ले रही हैं ऐसी स्थिति में सरकार ऋण योजनाओं के साथ शिक्षण संस्थानों व मदरसा शिक्षकों को सीधी सहायता का भी प्रावधान करना चाहिए ताकि जहां स्ववित्तपोषित शिक्षण संस्थानों की सीधी आर्थिक सहायता हो सके तो दूसरी ओर स्व. अटल बिहारी बाजपेई द्वारा संचालित मदरसा आधुनिकीकरण योजना के देश के सभी अध्यापकों के अवशेष मानदेय का शीघ्र भुगतान के लिए वित्त मंत्रालय को आदेश करने की आवश्यकता हैं। तब ही सब का साथ सब का विकास नारे की सार्थकता सिद्ध होगी।