डाॅ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश। (सनशाइन न्यूज )
देश मे पैर पसार रही इस कोरोना महामारी को जड़ से हम तभी उखाड़ सकते हैं जब हम में से प्रत्येक इसे जीतने का अवसर ही न दें। वर्तमान हालातों को देखकर यह लगता है, अब हमें अपनी जीवन शैली में परिवर्तन लाना होगा।
लापरवाही जानलेवा हो सकती है। मुँह पर मास्क लगाना, सेनेटाइजर का प्रयोग करना, खाँसते छींकते वक्त टिशू का प्रयोग, हाथों को बार बार साबुन से अच्छे से धोना, एक दूसरे से पर्याप्त दूरी बनाकर रखना, इस प्रकार की आदतों को अपना कर हमें जीवन को जीना है।
साथ ही हमें अपने स्वास्थ्य का भी पूरा ध्यान रखना होगा। कोरोना के संक्रमण से बचाव केवल जागरूकता ही है। चिंता करने की बजाय हमें स्वयं को कोरोना के प्रकोप के रहते पूर्ण सतर्कता के साथ जीने के लिए तैयार करना है। आप आराम से बचाव के तरीकों को अपनाकर इस भयावह महामारी को पराजित कर सकते हैं। चिंता करने से कोई लाभ नहीं है।
चिंता का एकमात्र उपाय है-रचनात्मक कार्यों में लग जाना। आपको जो पसंद हो आप वो कार्य करें। जीवन की जरूरतों को पूरा करते करते आप अपने जिन पसंदीदा कार्यों को समय नहीं दे पा रहे थे। यह वक्त है उन्हें समय देने का। आप स्वयं को रचनात्मक कार्यों में इस तरह व्यस्त कर लें कि आपके पास चिंता करने की फुरसत ही न रहे। हम दुखी तब होते हैं जब हमारे पास चिंता करने की फुरसत हो।
अगर आप व्यस्त हैं तो खुश हैं, यही खुश रहने का मूल मंत्र है। व्यस्त रहो- खुश रहो। व्यस्त रहने से आपके शरीर में एक सकारात्मक प्रवाह होगा जो आपके मस्तिष्क से चिंता को बाहर निकाल देगा।
आपके पास जीवन जीने के दो तरीके हैं- पहला, आप चिंता करते रहें और परिस्थितियां अनुकूल होने की प्रतीक्षा करते रहें। दूसरा, स्वयं को रचनात्मक कार्यों में लगाकर अपने को इतना व्यस्त कर लें कि चिंता के लिए कोई स्थान ही न हो। आप कौनसे विकल्प का चयन करते हैं यह आपकी समझदारी पर निर्भर करता है।
(श्रीमती प्रीति चैधरी राजकीय बालिका इंटर कालेज हसनपुर जिला अमरोहा में शिक्षिका हैं)