डाॅं. दीपक अग्रवाल
अमरोहा। (सनशाइन न्यूज)
एसआरपी नरेंद्र तिवारी ने कहा कि एक शिक्षक ही नहीं अपितु प्रत्येक व्यक्ति को आजीवन स्वयं के विकास हेतु प्रयासरत रहना चाहिये। हम जिस भी कार्यक्षेत्र में हो हमें वहाँ सभी को साथ लेकर चलना चाहिये। एक अच्छे नेतृत्वकर्ता को सभी का व स्वयं का सर्वांगीण विकास करते हुए प्रजातांत्रिक रूप से प्रगतिपथ पर अग्रसरित रहना चाहिये।
शिक्षकों के दस दिवसीय वेबिनार के 16 जून को द्वितीय दिवस का शुभारंभ एसआरजी और आयोजक श्रीमती हेमा तिवारी ने विषय विशेषज्ञ नरेंद्र तिवारी एवं अतिथि सचिन शुक्ला के अभिनंदन एवं स्वागत के साथ किया। सत्र का प्रारम्भ शिक्षिका श्रीमती अनुराधा ने प्रेरक विचारः स्वयं की खोज से, स्वयं में, स्वयं की जाँच होती है, स्वयं के विकास से, स्वयं में, स्वयं की जीत होती है से किया।
कुशल नेतृत्व को स्वयं की पहचान जरूरी
विषय विशेषज्ञ नरेंद्र तिवारी ने वेबिनार के सफल आयोजन व सभी प्रतिभागियों को इसकी बधाई देते हुए व सार्थक प्रयासों द्वारा जनपद अमरोहा को शीर्ष पर ले जाने का आह्वान करते हुए सभी का मार्गदर्शन प्रारंभ किया। उन्होंने बताया की यह जानना आवश्यक है कि विद्यालय में हम नेतृत्व क्षमता को कैसे विकसित कर सकते हैं व किस प्रकार अपनी नेतृत्व क्षमता को निखार सकते हैं। एक अच्छे नेतृत्वकर्ता की पहचान होती है कि वह स्वयं को जाँचें, परखे व स्वयं का बहुमुखी विकास करे।
स्वयं का विकास स्वयं को समझना और आत्मचिंतन
उन्होंने ब्लूम टेक्सोनॉमी की विस्तृत रूप से चर्चा की। बताया कि बेंजामिन ब्लूम जो कि एक बहुत प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री थे, ने सन् 1956 में एक टेक्सोनॉमी बनायी जिसका उद्देश्य शिक्षा के उद्देश्यों को कक्षा कक्ष में उतारने का प्रयास करना है। यह उददेश्य केवल प्राथमिक या उच्च प्राथमिक तक ही सीमित नहीं हैं अपितु इतने विस्तृत है कि ये उद्देश्य उच्च शिक्षा व मानव जीवन के नैतिक मूल्यों व भावनाओं को भी समाहित करते हैं,जिसमें सभी के द्वारा सोचना, सीखना,व समझना आता है। उन्होंने बताया कि स्वयं के विकास से तात्पर्य स्वयं को समझना, आत्मसाक्षात्कार करना व आत्मचिंतन करना है।
सभी के विकास से ओतप्रोत हों कार्ययोजनाएं
अतिथि मुरादाबाद के एसआरजी सचिन शुक्ला ने सभी को सफल वेबिनार के आयोजन की बधाई देते हुए स्वयं के विकास हेतु समय समय पर विभिन्न कार्यक्रमों को आयोजित करने को कहा। साथ ही आपने विद्यालय में सभी के साथ सामंजस्य बनाते हुए, सभी के विचारों को सम्मान देते हुए व सभी के विकास के बारे में सोचते हुए कार्ययोजनायें बनाने पर बल दिया।
अन्त में प्रतिभागियों मीनाक्षी वर्मा, रमा, प्रेरणा, आशा कमल, कंचन, प्रियंका, अनुराधा, नेहा गुप्ता, अदिति, नीतू, राजेश पाण्डेय, अनिल कुमार, ममता, मधुलता श्रीवास्तव, संगीता, अशिमा आदि ने प्रश्नोत्तर किये। उनकी विभिन्न जिज्ञासाओं व प्रश्नों का भी समाधान बहुत सराहनीय तरीके से किया गया।
मीनाक्षी वर्मा ने कविता से समां बाधां
समापन की ओर बढ़ते हुए शिक्षिका मीनाक्षी वर्मा ने स्वरचित लघु कविता द्वारा स्व विकास की धारणा पर प्रकाश डाला-
स्वयं से दूर भी तुम
स्वयं से पास भी तुम
’स्वयं की हार भी तुम’
’स्वयं की जीत भी तुम’
’स्वयं की अँधेरी रात भी तुम’
’सूरज का उजला प्रकाश भी तुम’
’स्वयं का हर प्रयास भी तुम’
’स्वयं का अद्भुत विकास भी तुम।
अन्त में आयोजक श्रीमती हेमा तिवारी ने सभी का आभार व्यक्त किया।