डाॅ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश। (सनशाइन न्यूज)
न कोई मास्क और न किसी प्रकार की सोशल डिस्टेंसिग का पालन। वो गाड़ी से उतरे और चैराहे पर इंतजार में खड़े युवाओं से पहले हाथ मिलाया और फिर गले मिले।
कोरोना काल में यह दृश्य काल्पनिक नहीं है। बल्कि मैंने स्वयं अपनी आखों से देखा है लेकिन फोटो खींचने का साहस नहीं कर पाया हूं। यहां वाक्या है बिजनौर रोड स्थित अतरासी चैराहे से पहले का। 16 जुलाई को शाम चार बजे मैं अतरासी चैराहे से कलेक्ट्रेट की ओर आ रहा था। मैंने देखा एक आलीशान गाड़ी से दो युवा उतरे और सड़क पर खड़े तीन युवाओं से पहले हाथ मिलाया और फिर गले मिले। किसी ने भी मास्क नहीं पहन रखा था।
एक बार मन मंे आया कि फोटो खींच लूं लेकिन साहस नहीं कर पाया। ऐसे स्थिति में विवाद होना लाजमी था और पत्रकारिता में 30 साल के अनुभव से इतना तो सीख ही लिया है कि विवाद से बचना चाहिए। अमर उजाला और हिन्दुस्तान सरीखे समाचार पत्रों में नौकरी के दौरान बड़े बड़े विवादों को झेला है लेकिन अब मन नहीं करता है।
विवशता यह है कि पत्रकारिता से दूर भी नहीं रहा जाता है जब तक कुछ न लिखा जाए जीवन में रिक्तता सी महसूस होती है।
लेकिन क्या कोरोना को हम लापरवाह होकर मात दे पाएंगे। सरकार और प्रशासनिक अधिकारी लगातार सचेत कर रहे हैं लेकिन तमाम लोग सचेत नहीं हो पा रहे हैं। पुलिस कहां तक लापरवाहों के पीछे डंडा लेकर भागेगी। लगातार कोरोना के केस बढ़ रहे हैं।
निष्कर्षत यही कहना चाहूंगा कि अपने परिवार और समाज की बेहतरी के लिए मास्क का प्रयोग करें और सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान रखें।