डाॅ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश। (सनशाइन न्यूज)
उत्तर प्रदेश में स्थापित जिला उपभोक्ता फोरमों में सामान्य सदस्यों की सूची खाद्य एवं रसद विभाग की प्रमुख सचिव द्वारा जारी करने पर सवाल किए गए है। इस संबंध में आयोजित लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण आवेदक ने उक्त चयन सूची पर रोक लगाते हुए चयन की भी उच्च स्तरीय जांच कराने की महामहिम राज्यपाल, चीफ जस्टिस ऑफ उत्तर प्रदेश, मुख्यमंत्री सहित मुख्य सचिव आदि से याचना की है ।
राज्य उपभोक्ता आयोग उत्तर प्रदेश द्वारा गत वर्ष जारी विज्ञप्ति संख्या 30/एससीडीआरसी/ अधि.29/2019 दिनांक 8 मई 2019 में वर्णित शर्तों के अनुरूप आवेदन मांगे गये थे । जिसमें 60 सामान्य सदस्यों की एवं 56 महिला सदस्यों सहित कुल 116 सदस्यों की रिक्तियों हेतु आवेदन आमंत्रित किए गए थे । जिसमें आवेदकों को राज्य उपभोक्ता आयोग द्वारा आयोजित लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करनी अनिवार्य थी । इसमें 1से 3 जुलाई तक राज्य उपभोक्ता आयोग के चेयरमैन की अध्यक्षता में गठित पैनल के समक्ष साक्षात्कार में उत्तीर्ण आवेदकों को बुलाया गया । आरोप है कि वहां पर साक्षात्कार के लिए कुछ तथाकथित विभागीय सेवानिवृत्त कर्मचारियों को भी बुलाया गया था । जिन्होंने उपरोक्त विज्ञापन में वर्णित शर्तों के अनुसार आवश्यक कोई लिखित परीक्षा उत्तीर्ण ही नहीं की थी। इस परीक्षा को पास करने वाले पीड़ित स्थानीय निवासी मनोज शर्मा एडवोकेट ने बताया है कि आयोग द्वारा प्रकाशित कराए गए विज्ञापन के बिंदु संख्या (ब) तथा (ब-1) में नियुक्ति के लिए निर्धारित अर्हताओं और अन्य शर्तों में यह स्पष्ट शब्दों में वर्णित किया गया था कि जिला फोरमों के सदस्यों की नियुक्ति उत्तर प्रदेश उपभोक्ता संरक्षण (14 वां संशोधन) नियमावली 2019 की धारा 3 (क) के प्रावधानों के अंतर्गत की जाएगी, जिसमें अभ्यर्थियों की लिखित परीक्षा एवं साक्षात्कार लिए जाने का प्रावधान है । परंतु अपने ही विज्ञापन की शर्तों से विमुख होकर राज्य उपभोक्ता आयोग के अधिकारियों द्वारा तथाकथित विभागीय सेवानिवृत्त कर्मचारियों को लिखित परीक्षा उत्तीर्ण किए बिना ही सीधे मनमाने ढंग से साक्षात्कार में बुला लिया गया । इतना ही नहीं समस्त संवैधानिक मर्यादाओं, मान्यताओं एवं विधि के विरुद्ध जाकर उक्त तथाकथित चयन समिति द्वारा नियमानुसार साक्षात्कार का रिजल्ट भी घोषित नहीं किया गया । बल्कि इससे इतर प्रमुख सचिव खाद्य एवं रसद विभाग उत्तर प्रदेश शासन द्वारा आनन-फानन एवं उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के इस 20 जुलाई से ही प्रभावी हो जाने के डर से एक शासनादेश- उपभोक्ता संरक्षण एवं बाट माप अनुभाग- 2 लखनऊ -दिनांक 17 जुलाई 2020 के माध्यम से चयनित कुल 83 सामान्य व महिला सदस्यों की सूची जारी कर दी गई । जबकि इसके सापेक्ष में कुल 116 पदों की रिक्तियां इस विज्ञापन में निकाली गई थी। ध्यान रहे कि उक्त शासनादेश द्वारा जारी सूची में लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले योग्य 77 पुरुषों में से कुल 29 पुरुष एवं 17 महिला सदस्यों को ही इस शासनादेश वाली सूची में शामिल किया गया । जबकि इसमें सीधे साक्षात्कार देने वाले 31 सेवानिवृत्त पुरुष व 6 महिला कर्मचारियों को सदस्य के रूप में चयनित होना दर्शाया गया है । इस बारे में सामान्य सदस्य पद पर आवेदन करने वाले अमरोहा निवासी मनु शर्मा एडवोकेट ने बताया कि अब तक की वैधानिक परंपरा के अनुसार कभी भी इस तरह से प्रमुख सचिव खाद एवं रसद विभाग द्वारा सदस्यों एवं अध्यक्षों की सूची किसी शासनादेश द्वारा जारी किए जाने का रिकॉर्ड नहीं है । बल्कि चयन समिति द्वारा शासन को और शासन द्वारा महामहिम राज्यपाल महोदय को भेजे जाने की परंपरा व विधि अब तक अपनाई जाती रही है, उनके अनुमोदन के उपरांत ही चयनित सूची को नियमानुसार गजट द्वारा अधिसूचित किया जाता रहा है । उन्होंने बताया कि फरवरी में हुई लिखित परीक्षा पास करने वाले 77 योग्य पुरुषों में से वह भी एक है। जबकि उक्त विज्ञापन एवं नियमावली में लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करने या सीधे साक्षात्कार में बुलाए जाने वाले आवेदकों में से कितने-कितने प्रतिशत सदस्यों को पदों पर नियुक्त किया जा सकता है, यह कहीं पर भी स्पष्ट उल्लिखित नहीं है ।
मनु शर्मा ने महामहिम राज्यपाल, माननीय मुख्य न्यायाधीश इलाहाबाद और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित उनके मुख्य सचिव को संबोधित याचिका में इस चयन की उच्च स्तरीय जांच कराकर, प्रकाशित विज्ञापन की शर्तों के अनुरूप लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले योग्य आवेदकों को ही चयन हेतु वरीयता प्रदान की गुहार लगाई है ।