Monday, November 25, 2024
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उपभोक्ता फोरमों में नियुक्तियो के राज्यपाल सचिव के जांच के आदेश

डाॅ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश। (सनशाइन न्यूज)
उत्तर प्रदेश में स्थापित जिला उपभोक्ता फोरमों में सामान्य सदस्यों की सूची खाद्य एवं रसद विभाग की प्रमुख सचिव बीना कुमारी द्वारा जारी करने पर विवाद गहरा गया है। सदस्यों के चयन को आयोजित लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण आवेदक अमरोहा के मनु शर्मा ने उक्त चयन सूची पर रोक लगाने की मांग करते हुए चयन समिति पर धांधली करने की भी उच्च स्तरीय जांच कराने की राज्यपाल, चीफ जस्टिस ऑफ उत्तर प्रदेश, मुख्यमंत्री सहित मुख्य सचिव आदि से याचना की थी। इस संबंध में राज्यपाल सचिवालय ने मुख्यमंत्री कार्यालय को उक्त नियुक्ति प्रक्रिया की नियमानुसार जांच करने के निर्देश दिए हैं।
गौरतलब है कि राज्य उपभोक्ता आयोग उत्तर प्रदेश ने फोरम में 60 सामान्य सदस्योंएवं 56 महिला सदस्यों सहित कुल 116 सदस्यों की रिक्तियों हेतु लिए थे। आवेदकों को राज्य उपभोक्ता आयोग द्वारा आयोजित लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करनी अनिवार्य थी। 1 से 3 जुलाई तक राज्य उपभोक्ता आयोग के चेयरमैन की अध्यक्षता में गठित पैनल के समक्ष साक्षात्कार में उत्तीर्ण आवेदकों को बुलाया गया । आरोप है कि वहां पर साक्षात्कार के लिए कुछ तथाकथित विभागीय सेवानिवृत्त कर्मचारियों को भी बुलाया गया था । जिन्होंने उपरोक्त विज्ञापन में वर्णित शर्तों के अनुसार आवश्यक कोई लिखित परीक्षा उत्तीर्ण ही नहीं की थी । बल्कि उन्हें विधि विरुद्ध एवं अनुचित रीति से सीधे आयोग में चयन समिति के समक्ष साक्षात्कार हेतु बुला लिया गया।
मनु शर्मा ने बताया कि आयोग द्वारा प्रकाशित कराए गए विज्ञापन के बिंदु संख्या (ब) तथा (ब-1) में नियुक्ति के लिए निर्धारित अर्हताओं और अन्य शर्तों में यह स्पष्ट शब्दों में वर्णित किया गया था कि जिला फोरमों के सदस्यों की नियुक्ति उत्तर प्रदेश उपभोक्ता संरक्षण (14 वां संशोधन) नियमावली 2019 की धारा 3 (क) के प्रावधानों के अंतर्गत की जाएगी, जिसमें अभ्यर्थियों की लिखित परीक्षा एवं साक्षात्कार लिए जाने का प्रावधान है । परंतु अपने ही विज्ञापन की शर्तों से विमुख होकर राज्य उपभोक्ता आयोग के अधिकारियों द्वारा तथाकथित विभागीय सेवानिवृत्त कर्मचारियों को लिखित परीक्षा उत्तीर्ण किए बिना ही सीधे मनमाने ढंग से साक्षात्कार में बुला लिया गया । बताते हैं कि इस दूषित नजर आने वाली चयन प्रक्रिया को बार-बार पारदर्शी बता कर प्रचारित करने वाले आयोग के तथाकथित उच्चाधिकारियों व कर्मचारियों ने अपने अनुचित हितों की पूर्ति के लिए इस दौरान लिखित परीक्षा का कोई परिणाम भी नियमानुसार जारी नहीं किया।
उन्होंने बताया कि इतना ही नहीं समस्त संवैधानिक मर्यादाओं, मान्यताओं एवं विधि के विरुद्ध जाकर उक्त तथाकथित चयन समिति द्वारा नियमानुसार साक्षात्कार का रिजल्ट भी घोषित नहीं किया गया । बल्कि इससे इतर प्रमुख सचिव खाद्य एवं रसद विभाग उत्तर प्रदेश शासन द्वारा आनन-फानन एवं उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के इस 20 जुलाई से ही प्रभावी हो जाने के डर से एक शासनादेश- उपभोक्ता संरक्षण एवं बाट माप अनुभाग- 2 लखनऊ -दिनांक 17 जुलाई व 7 अगस्त 2020 के माध्यम से कथित चयनित कुल 83 सामान्य व महिला सदस्यों की सूची अपारदर्शी व मनमाने ढंग से जारी कर दी गई । जबकि इसके सापेक्ष में कुल 116 पदों की रिक्तियां इस विज्ञापन में निकाली गई थी। शासनादेश द्वारा जारी सूची में लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले योग्य 77 पुरुषों में से कुल 29 पुरुष एवं 17 महिला सदस्यों वही इस शासनादेश वाली सूची में शामिल किया गया । जबकि इसमें सीधे साक्षात्कार देने वाले 31तथाकथित सेवानिवृत्त पुरुष व 6 महिला अयोग्य कर्मचारियों को सदस्य के रूप में चयनित होना दर्शाया गया है ।
उन्होंने बताया कि अब तक की वैधानिक परंपरा के अनुसार कभी भी इस तरह से प्रमुख सचिव खाद एवं रसद विभाग द्वारा अयोग्य सदस्यों एवं अध्यक्षों की सूची किसी शासनादेश द्वारा जारी किए जाने का रिकॉर्ड नहीं है । बल्कि चयन समिति द्वारा शासन को और शासन द्वारा महामहिम राज्यपाल महोदय को भेजे जाने की परंपरा व विधि अब तक अपनाई जाती रही है, उनके अनुमोदन के उपरांत ही चयनित सूची को नियमानुसार गजट द्वारा अधिसूचित किया जाता रहा है । उन्होंने बताया कि फरवरी में हुई लिखित परीक्षा पास करने वाले 77 योग्य पुरुषों में से वह भी एक है । जबकि उक्त कथित सूची में केवल 83 में से लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण 46 योग्य पुरुष व महिला सदस्यों के अतिरिक्त 37 अयोग्य कथित सेवानिवृत्त कर्मचारियों को सीधे साक्षात्कार में बुलाकर विधि विरुद्ध, अनुचित रीति व मनमाने तरीके से चयनित कर लिया गया है । जबकि उक्त विज्ञापन एवं नियमावली में लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करने या सीधे साक्षात्कार में बुलाए जाने वाले आवेदकों में से कितने-कितने प्रतिशत सदस्यों को पदों पर नियुक्त किया जा सकता है, यह कहीं पर भी स्पष्ट उल्लिखित नहीं है।
मनु शर्मा ने बताया कि ऐसा प्रतीत होता है कि कथित चयन समिति अथवा उच्चाधिकारियों ने विधि के शासन को अनदेखा करते हुए अपने निजी स्वार्थों व हितों को पूरा करने की नियत से ही यह कारनामा किया है । जोकि सरासर अनुचित एवं विधि के बिल्कुल विरुद्ध है । इससे उक्त सदस्य पदों पर आवेदन करने वाले लिखित परीक्षा उत्तीर्ण योग्य आवेदकों में सरकार या उसके उच्चाधिकारियों की मंशा एवं कार्यशैली के प्रति अविश्वास व असंतोष भी उत्पन्न हुआ है और मन में निराशा का भाव आया है । वे कहते हैं कि अब तो दूषित नजर आने वाली इस व्यवस्था में सीधा वैधानिक हस्तक्षेप का अधिकार रखने वाले संवैधानिक पदों पर आसीन महामहिम राज्यपाल, माननीय मुख्य न्यायाधीश इलाहाबाद और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित उनके मुख्य सचिव से ही एकमात्र न्याय मिलने की उम्मीद शेष दिखती है । इन सभी को संबोधित याचिका में उन्होंने इस दूषित और दोषपूर्ण चयन प्रक्रिया पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाकर इस धांधली व मनमानेपन की उच्च स्तरीय जांच कराकर, प्रकाशित विज्ञापन की शर्तों के अनुरूप लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले योग्य आवेदकों को ही चयन हेतु वरीयता प्रदान की जाने की गुहार लगाई थी। जिस पर संज्ञान लेते हुए महामहिम राज्यपाल सचिवालय की विशेष सचिव एवं वित्त नियंत्रक साधना श्रीवास्तव ने मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव को उक्त नियुक्ति प्रक्रिया कि नियमानुसार जांच कराने के निर्देश दिए हैं ।

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Dr. Deepak Agarwal
Dr. Deepak Agarwal is the founder of SunShineNews. He is also an experienced Journalist and Asst. Professor of mass communication and journalism at the Jagdish Saran Hindu (P.G) College Amroha Uttar Pradesh. He had worked 15 years in Amur Ujala, 8 years in Hindustan,3years in Chingari and Bijnor Times. For news, advertisement and any query contact us on deepakamrohi@gmail.com
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