डाॅ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
एक दिन एक मोड़ पर,
मेरी जिंदगी से मुलाकात हो गई।
मैने हँसकर कहा सुनो,
वर्षों पुरानी हसरत आबाद हो गई।
कैसी हो कहाँ घूम रही हो?
उलझाकर मोह माया के भँवर में,
लिपटाकर मुझे लालच के ज्वर में
खुद मस्त डोल रही हो
वह सुघड़ मन्द मन्द मुस्काई,
मेरी पीठ धीरे से थपथपाई।
कान में मीठी सी फुसफुसाई,
बोली यही तो जीवन है भाई।
जब जब दुख के बादल आये,
मैने पूछा बोलो तुम कहाँ थी ?
बोली तुमने अपने बहुत बनाये,
बस अपनों की बाट में खड़ी थी।
बोली गिरना भी अच्छा होता है,
इससे अपनों का पता चलता है ।
झूठे मुखड़ों से नकाब उठता है,
और सच को मुकाम मिलता है ।
सीमा रानी प्रधानाध्यापिका
ईएमपीएस पचोकरा
जोया-अमरोहा।