डाॅ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
हिंदी दिवस के अवसर पर अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए उ० प्र० अधिवक्ता वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष मनु शर्मा ने कहा कि हिंदी को सर्वोच्च सम्मान तब मिलेगा, जब न्यायालयों की भाषा पूर्णतः हिंदी हो जाए।
हिंदी दिवस पर गोष्ठी का आयोजन
जिला एवं सत्र न्यायालय परिसर में स्थित विजय सिंह के चेंबर पर उत्तर प्रदेश अधिवक्ता वेलफेयर एसोसिएशन के तत्वावधान में हिंदी दिवस के अवसर पर सामाजिक दूरी का पालन करते हुए अध्यक्ष मनु शर्मा (एडवोकेट) ने कहा कि हर वर्ष 14 सितम्बर को हम “हिंदी दिवस” मनाते हैं, भारत की स्वतंत्रता के बाद 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने एकमत से यह निर्णय लिया कि हिंदी की खड़ी बोली ही भारत की राष्ट्रभाषा होगी । हालांकि इसे 1950 को देश के संविधान द्वारा आधिकारिक भाषा के रूप में उपयोग करने का विचार स्वीकृत किया गया था। सभी न्यायालयों में जब आधिकारिक रूप से इसका प्रयोग किया जाने लगेगा तभी इसे संपूर्ण सम्मान मिल सकेगा ।
अधिवक्ता संजीव जिंदल ने कहा कि अंग्रेजी की मांग बढ़ने के कारण देश के बड़े बड़े विद्यालयों के बच्चे हिंदी में पिछड़ते जा रहे हैं । आज हिंदी की दशा ये हैं कि बच्चों को सही उच्चारण में हिंदी बोलने या लिखनी में दिक्कत आती हैं।
हिंदी को सूचना प्रौद्योगिकी के साथ जोड़ा जाये
अधिवक्ता देवेंद्र पाल सिंह ने कहा कि भारत में हिंदी को अंग्रेजी से कमत्तर मनाने वालों की संख्या में पिछले कई दशकों में कई गुणा इजाफा हुआ हैं। अभिभावकों को लगता हैं कि आज के दौर में हिंदी माध्यम के विद्यार्थी के लिए रोजगार और व्यवसाय में कोई खास मौके नहीं मिलते हैं ।
अधिवक्ता अशोक शर्मा ने कहा कि हिंदी का उत्थान तभी हों पायेगा जब हिंदी को वैश्विक स्तर पर लाने के लिए व्यापक स्तर पर सूचना प्रौद्योगिकी के साथ जोड़ा जाये। विचार गोष्ठी की अध्यक्षता मनु शर्मा एडवोकेट एवं संचालन ईश्वर सिंह बॉबी एडवोकेट ने किया ।
इस मौके पर उपस्थित रहे
इस अवसर पर मुख्य रूप से अशोक शर्मा, कावेंद्र सिंह, परम सिंह सैनी, जगदीश पाल सिंह, देशराज सैनी, वीर सिंह सैनी, लखपत सिंह राणा, विजय सिंह, यतीश सिंह, देवेंद्र पाल सिंह, जितेंद्र सिंह, मोहम्मद उस्मान, संजीव जिंदल, ईश्वर सिंह, प्रमोद पाल, भगवानदास चैहान आदि अधिवक्ता उपस्थित रहे ।