डाॅ. दीपक अग्रवाल
लखनऊ/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
महानिदेशक स्कूली शिक्षा विजय किरण आनंद की कार्यप्रणाली को लेकर शिक्षा विभाग के अफसर अभी एक राय नहीं हो पा रहे हैं। उधर सूबे के शिक्षकों में भी रोष पनपता जा रहा है। कुल मिलाकर बेसिक शिक्षा परिषद और शिक्षक संगठनों में तूफानी शांति कायम है।
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि बेटरी हुई बेसिक शिक्षा को सुधारने के लिए सरकार ने जो निर्णय लिया है वह शिक्षा जगत में एक बड़ा एतिहासिक निर्णय है। बेसिक शिक्षा से संबधित सभी विभाग महानिदेशक के अंडर में हैं।
इसको अभी तक शिक्षा विभाग में तैनात पीईएस रैंक के अफसर सहन नहीं कर पा रहे हैं। दूसरे ईमानदार छवि के धनी और तेज तर्रार महानिदेशक विजय किरण आनंद भी अपने अधीनस्थ अधिकारियों को एक राय नहीं कर पा रहे हैं। समय समय पर इसका विरोध में दिखाई देता है।
सूत्रों के अनुसार महानिदेशक शिक्षक संगठनों के प्रदेश स्तर के पदाधिकारियांे को भी पाठ पढ़ा देते हैं। एक संगठन के प्रदेश अध्यक्ष से तो उन्होंने उनके स्कूल की पढ़ाई का हाल ही पूछ लिया था तब वह बगले झांकने लगे थे।
विजय किरण आनंद ने ही शिक्षा व्यवस्था में सुधार को लेकर प्रेरणा एप लागू करवाया है। जिसका खूब विरोध हुआ लेकिन कोरोना महामारी के चलते प्रेरणा लागू करवाने में महानिदेशक को सफलता मिल ही गई अगर यह कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।
उधर बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ सतीश चन्द्र द्विवेदी का कहना है कि प्रदेश सरकार शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए जो भी जरूरी कदम होंगे वह उठाये जायेंगे और परिवर्तन भी करने पड़ेंगे। सूत्रों के अनुसर बेसिक शिक्षा को लेकर और भी कई बदलाव होने की उम्मीद है।
लेकिन यह भी सच्चाई है कि महानिदेशक की सख्त कार्यप्रणाली अफसरों और टीचर्स के गले नहीं उतर रही है। महानिदेशक के खिलाफ लामबंदी बढ़ती जा रही है। उनकी शिकायतांे पर फिलहाल सरकार ध्यान नहीं दे रही है।
कोरोना काल में केंद्र सरकार के स्कूलों को बंद रखने और स्टाफ को न बुलाने के आदेश के बाद भी सूबे शिक्षकों को स्कूल बुलाया जा रहा है। शिक्षक संगठनों ने इसकी खिलाफत भी की लेकिन नतीजा सिफर ही रहा। उधर महानिदेशक ने स्कूलों के निरीक्षण के आदेश भी कर दिए हैं।