डाॅ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
बेसिक शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा 69000 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के अन्तर्गत 31277 शिक्षकांे की भर्ती में शामिल शिक्षिकाओं व दिव्यांगों कोे पोर्टल से स्कूलों की बंपर च्वाइस से जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों की सालों की मेहनत पर पानी फिर गया है। साथ ही शहर के नजदीकी स्कूलांें में टीचर्स की भरमार हो गई है और दूर के स्कूल खाली रह गए हैं। अगर यह कहा जाए कि बेसिक शिक्षा परिषद के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।
अभी तक नवीन तैनाती पाने वाले टीचर्स बंद और एकल की श्रेणी के प्राइमरी स्कूलों में सख्ती के साथ भेजने की व्यवस्था रही है। शिक्षिकाओं व दिव्यांगों को उनकी मनपसंद के स्कूलों की च्वाइस का मौका भी आॅन टेबल मिलता रहा है। च्वाइस के लिए उन स्कूलों को दिया जाता था जहां टीचर्स की अधिक जरूरत होती थी। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी दूर के स्कूलों को खुलवाने का प्रयास करते थे।
अपने इस प्रयास को सफल करने के लिए उन्हें कई बार मंत्रियांे, अन्य माननीयों और बड़े अफसरों के कोपभाजन का शिकार होना पड़ता था सभी अपने चेहतों को नजदीक के स्कूलों में तैनाती दिलाने के लिए सिफारिश करते थे और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी जीओ के कारण ऐसा नहीं कर पाते थे। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है।
पोर्टल से स्कूलों की चयन की बंपर च्वाइस से शहर के नजदीकी स्कूलांे में टीचर्स भर गए हैं लेकिन दूर के स्कूल खाली रह गए हैं। पोर्टल पर छात्र और शिक्षक अनुपात के अनुसार रिक्तियां निकाली गई। पीटीआर के अनुसार 30 छात्र संख्या पर एक टीचर की तैनाती का नियम है। छात्र संख्या 30 से 60 पर दो टीचर, छात्र संख्या 61 से 90 पर तीन टीचर, छात्र संख्या 91 से 120 तक चार टीचर इसी क्रम को आगे बढ़ाकर टीचर्स की रिक्तियां क्रिऐट हुई। एक स्कूल में छात्र संख्या 450 है तो वहां 15 टीचर तैनात हो गए। 5 पहले से ही थे और 10 को अब तैनाती मिल गई। नजदीक के इस स्कूल को सभी ने पसंद कर लिया। जबकि दूर के एक स्कूल में 130 छात्र हैं और टीचर एक। यहां भी चार रिक्तियां थी लेकिन किसी ने इस स्कूल को नहीं लिया। अब अफसरों को इस तरह की विसंगतियों को दूर करने के लिए माथापच्ची करनी होगी।
हालांकि लखनऊ बैठे अफसरों को भी इस गलती का अहसास हो गया है लेकिन यह अहसास तब हुआ जब बाजी हाथ से निकल गई।
उधर कुछ जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने राहत की सास भी ली है कि वो माथापच्ची से बच गए हैं।