डाॅ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
जी हां यह हकीकत है कि तेजी से बढ़ते मेरे कदम यह जानकर सहसा ठहर गए कि एक करोड़पति के बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूल में पढ़ने वाले बेटे को निशुल्क स्वेटर नहीं मिला है। उसने स्वेटर दिलाने की मांग की है।
मैं बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूल में टीचर तो नहीं हूं लेकिन बेसिक शिक्षा की खबर को लिखते हुए अरसा बीत गया है। 30 साल पहले शुरू हुआ यह सफर विभिन्न समाचार पत्रों से होता हुआ अमर उजाला और हिन्दुस्तान सरीखे समाचार पत्रों पर पहुंचा। तीन साल से सनशाइन न्यूज पोर्टल के माध्यम से सोशल मीडिया का हिस्सा बन गया हूं और अब इसी पर बेसिक शिक्षा की खबरों को साझां कर रहा हूं। इसीलिए बेसिक शिक्षा की विभिन्न योजनाओं और उनकी हकीकत की जानकारी होना लाजमी है। बेसिक स्कूलों में आनाजान लगा ही रहता है लिहाजा बहुत से लोग मुझे टीचर ही समझते हैं।
अक्सर मैं शाम को सूरज छिपने से पहले घूमने जाता हूं। अपने रूटीन के मुताबिक मैं 14 जनवरी को घूमने जा रहा था एक व्यक्ति मजदूर की वेशभूषा में मिला और उसने मुझे अभिवादन किया। बोला आज कई दिनों बाद दिखाई दिए मैंने जवाब दिया शीतलहर चल रही है इसीलिए अधिक नहीं घूमता हूं। फिर बातचीत करते हुए उसने बताया उन्होंने एक जमीन एक करोड़ से अधिक की बेची है। इस धनराशि से अगले गांव में जमीन खरीद कर प्लाटिंग कर रहे हैं। यह जो जमीन आप देख रहे हैं इसके 4 करोड़ मिल रहे हैं। उस व्यक्ति की बाते मैं टकटकी लगाए उसे देखते हुए बड़े चाव से सुनता रहा।
अब उसने कहा कि मास्टर साहब मेरे बच्चे स्कूल में पढ़ते है। बेटी को स्वेटर मिल गया है लेकिन बेटे को नहीं मिला। मैंने पूछा क्यों नहीं मिला। उसने जवाब दिया वह स्कूल नहीं गया था। मैंने कहा भेज देना मिल जाएगा।
लेकिन उसकी स्थिति और स्वेटर की मांग को देखकर मुझे ऐसा अहसास हुआ जैसे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई और मैं घूमने के लिए आगे नहीं बढ़ सका। मैं करोड़पति, निशुल्क स्वेटर, पढ़ाई और सरकार इन्हीं बिंदुओं पर विचारों की उधेड़बुन में घर लौट आया।