डाॅ. दीपक अग्रवाल की विशेष वार्ता
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
बिजली के अभाव में लालटेन की रोशनी में पढ़ने वाली मेधावी प्रिंसी सिंह ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित खंड शिक्षा अधिकारी परीक्षा में प्रदेश में 107 वीं रैंक हासिल की। अब उन्हें अमरोहा में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में खंड शिक्षा अधिकारी मुख्यालय पद पर तैनाती मिली है। बीईओ के पद पर उन्होंने उत्तर प्रदेश पुलिस की सब इंस्पेक्टर की नौकरी को छोड़कर ज्वाइन किया है।
सन शाइन न्यूज के एडिटर डाॅ. दीपक अग्रवाल ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में बीईओ प्रिंसी सिंह से वार्ता की। पेश हैं वार्ता के प्रमुख अंशः
बागपत के गांव सरूरपुर की हैं प्रिंसी
जनपद बागपत के गांव सरूरपुर कलां निवासी प्रिंसी सिंह के पिता देशपाल सिंह किसान हैं और मां राजवती गृहणी हैं। गांव में वह संयुक्त परिवार में रहती हैं और उसे महत्व भी देती हैं।
उन्होेंने बताया कि नर्सरी से कक्षा पांच तक की पढ़ाई विद्या विकास पब्लिक स्कूल सरूरपुर से की। कक्षा 6 से इंटर तक की पढ़ाई इंटरमीडिएट कालेज सरूरपुर से की। चैधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ से संबद्ध जनता वैदिक कालेज बड़ौत से बीएससी व एमए राजनीति विज्ञान में किया। गर्वमंेट सिटी दिगंबर जैन डिग्री कालेज से बीएड किया।
पुलिस भर्ती परीक्षा की सूबे मंे टाॅपर
वह वर्ष 2019 मंे उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा भर्ती बोर्ड की कांस्टेबिल चयन के लिए आयोजित परीक्षा की टाॅपर रहीं। फिर यूपी पुलिस में सब इंस्पेक्टर की परीक्षा में सातवीं रैंक हासिल की। कांस्टेबिल की नौकरी ज्वाइन करने से पहले उनका सब इंस्पेक्टर के लिए चयन हो गया। सब इंस्पेक्टर की ट्रेनिंग भी पूरी कर ली थी लेकिन कोर्ट के स्टे के कारण पासिंग आउट परेड नहीं हो पाई।
बीईओ की परीक्षा में 107 वीं रैंक
इसी बीच उन्होेंने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित खंड शिक्षा अधिकारी परीक्षा में प्रदेश में 107 वीं रैंक हासिल की। अब उन्हें अमरोहा में बीईओ के पद पर नियुक्ति मिली हैं। बीएसए चंद्रशेखर ने उन्हें बीईओ मुख्यालय जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय पद पर तैनात किया है। उन्होंने इस पद पर 26 मार्च 2021 को ज्वाइन कर लिया है।
परिजनों ने हौंसला बढ़ाया
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने अपने छात्र जीवन के संघर्ष को याद करते हुए बताया कि गांव में अक्सर बिजली नहीं आती थी तब वह मिट्टी के तेल की डिबिया या लालटेन की रोशनी में पढ़ाई करती थीं उनके माता पिता और अन्य परिजनों ने उनकी हमेश हौंसलाअफजाई की और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। हर रोज गांव से 10 किलोमीटर दूर शहर जाने मंे भी कभी कभी परेशानी का सामना करना पड़ता था।
उनका मानना है कि अगर लगन और निष्ठा से पढ़ाई की जाए तो गांव के छात्र-छात्राओें को भी सफलता अवश्य मिलती है।