डाॅ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में शिक्षिकाओं के लिए मोहल्ला क्लास के आदेश को व्यवहारिक नहीं ठहराया जा सकता है। इससे बेहतर तो स्कूल क्लासों का संचालन ही रहेगा।
इसमें कोई संशय नहीं है कि बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों को प्रयोगशाला बना दिया गया है। तमाम नए-नए अव्यवहारिक फरमान यहां लागू किए जाते हैं। स्कूली शिक्षा के महानिदेशक सूबे के तेज तर्रार आइएएस विजय किरन आनंद परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले गरीबांे के बच्चों को अमीरों के कांवेंट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों से आगे निकालने की मुहिम चला रहे हैं।
कोरोना काल में जब सभी परेशान हैं परीक्षाएं तक स्थगित कर दी गई हैं तब भी महानिदेशक को बच्चों की पढ़ाई की बड़ी चिंता है इसीलिए मोहल्ला क्लास संचालित करने का फरमान जारी कर दिया है। जब स्कूलों में बच्चों को नहीं बुलाया जा सकता है तो मोहल्ला क्लास की इजाजत क्यों। क्या मोहल्ला क्लास कोरोना के खतरे से मुक्त होगी।
शिक्षिकाओं ने बताया कि उनके साथ बीते वर्ष मोहल्ला क्लास में ग्रामीण बदसलूकी करते थे और युवा अश्लील हरकते। ऐसी स्थिति में शिक्षिकाओं के लिए मोहल्ला क्लास परेशानी का सबब बनती हैं। अगर किसी शिक्षिका के साथ अनहोनी हो गई तो इसकी जवाबदेही किसकी होगी।
गांव मंे अभी चुनाव की खुमारी उतरी नहीं है और अब विधानसभा चुनाव की तैयारी भी शुरू हो गई है।
अगर महानिदेशक को बच्चों की पढ़ाई की अधिक चिंता है तो वह स्कूलों में क्लासों का संचालन कराएं। जब पंचायत भवन या चैपाल पर मोहल्ला क्लास लगाने का आदेश दिया जा सकता है तो स्कूलों में क्लास लगाने का आदेश देने में क्या परेशानी है।