डाॅ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
कोरोनाकाल में एक जुलाई से बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों का संचालन बिना छात्र और छात्राओं के हो रहा है। स्कूल में रहकर टीचर्स छात्र और छत्राओं के लिए जो बेहतर कर सकते हैं वह करने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं शिक्षिकाओं के लिए मोहल्ला क्लास के आदेश को व्यवहारिक नहीं ठहराया जा सकता है। इससे बेहतर तो स्कूल क्लासों का संचालन ही रहेगा। टीचर्स ने मोहल्ला क्लास को लेकर अपने अनुभव साझा किए हैं। मोहल्ला क्लास और दुश्वारियां: टीचर्स की जुबानी
करुणा चैधरी
सहायक अध्यापक मुसल्लेपुर धनौरा।
अक्सर बच्चों के अभिभावक मोहल्ला क्लास में ही जम कर बैठ जाते हैं और जाने का नाम ही नहीं लेते इससे पठन-पाठन डिस्टर्ब होता है।
कुछ तो मोहल्ले वाले आपस में ही लड़ाई करने लगते हैं ।जब मैं एक मोहल्ला पाठशाला में पढ़ा रही थी तो एक आदमी अपनी पत्नी को मारते हुए घसीट कर ले जा रहा था तो यह देखकर बहुत ही बुरा लगता है कि हम मोहल्ला पाठशाला में यह सब देखने के लिए जाते हैं। गांव में बहुत सारे गलियों में कुत्ते घूमते रहते हैं एक दिन तो मैं कुत्ते के काटने से बाल-बाल ही बची। मोहल्ला पाठशाला वास्तव में बंद होनी चाहिए और बच्चों को स्कूल में बुलाने का आदेश होना चाहिए।
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राधा अग्रवाल
पीएस रहरा
गंगेश्वरी।
मोहल्ला क्लास में शिक्षण का कार्य कोविड 19 को देखते हुए उपयोगी नहीं है अपितु जब शिक्षक शिक्षिकाएं रोज विद्यालय जाते हैं तब यह कार्य विद्यालय में कोविड के नियम जैसे मास्क सेनेटाइजर आदि का उपयोग करके तथा उचित दूरी बनाये रखकर बच्चों के शिक्षण को महत्वपूर्ण बनाया जा सकता है जिससे सभी को लाभ मिलेगा। बच्चे भी सुरक्षित रहेंगे। मोहल्ला शिक्षण में शिक्षक और बच्चे दोनों ही असुरक्षित हैं। मोहल्ला शिक्षण कराते समय शिक्षक भी कुछ लोगों की हंसी का पात्र बनते हैं। जिससे शिक्षक की गरिमा धूमिल होती है।
सोनल गुप्ता
कन्या उच्च प्राथमिक विद्यालय
धनौरा।
गांव में मोहल्ला क्लास के लिए समुचित स्थान नहीं मिल पाता है। कुछ बस्तियां काफी घनी होती हैं। जिस वजह से सोशल डिस्टेंशिग का पालन नहीं हो पाता है। स्कूल की तरह अन्य सुविधाओं का अभाव होता है।
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सतेंद्र सिंह
एआरपी, जोया।
मोहल्ला क्लास का शैक्षिक गुणवत्ता से कोई संबंध नहीं है। इसमें शिक्षा का माहौल ही नहीं बन पाता है। शिक्षिकाओं को कई प्रकार की समस्याएं आती हैं। जैसे अराजक तत्वों का हस्तक्षेप और गंदी हरकते करना। सभी टीचर्स का प्रतिभाग नहीं हो पाता है। अकेले शिक्षिका शिक्षण नहीं कर सकती है। कई गांव में शिक्षण के लिए स्थान ही नहीं मिल पाता है। मोहल्ला क्लास के स्थान पर बच्चों को स्कूल मंे बुलाया जाना चाहिए। रोस्टरवार छात्र बुलाए जा सकते हैं।
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महेंद्र सिंह(ए.आर.पी) गजरौला।
मोहल्ला क्लास इस कोरोनाकाल में एक नई पहल है।
मोहल्ला क्लास से काफी कुछ दुश्वार यों का जन्म भी हुआ है।
1- मोहल्ला क्लास से सबसे ज्यादा शिक्षिकाओं को कुछ ज्यादा ही दुश्वारियां से गुजरना पड़ रहा है ! 2- हमारे कुछ विद्यालय गांव से बाहर या दूर होते हैं और घने जंगल के रास्तों से होकर गांव तक जाना पड़ता हैं उनके साथ कुछ भी अभद्र एवं अमानवीय घटना जन्म ले सकती है।
3- मोहल्ले में चल रही कक्षा में कुछ असामाजिक तत्व महिला टीचरों से व्यंग्य एवं कटाक्ष करते रहते हैं। 4- मोहल्ला क्लास में जब टीचर वहां पढ़ाते हैं तो एक तरह से बच्चों के चारों तरफ आस-पड़ोस के काफी आदमी-औरतें, छोटे-बड़े, बूढ़े-जवान चारों ओर से घेर कर खड़े हो जाते हैं और एक टीचर जादूगर की तरह अपना कार्य वहां करते हैं। 5- मोहल्ला क्लास में स्कूल की तरह वह शिक्षा का वातावरण एवं क्रियाकलाप जैसे- टी एल एम लाइब्रेरी,खेल का मैदान,लैब एवं अन्य रोमांचकारी वस्तुओं आदि उत्पन्न नहीं किए जा सकते हैं।
पंकज यादव (सहायक अध्यापक)
उच्च प्राथमिक विद्यालय गजस्थल
अमरोहा।
विद्यार्थियों को गांव में किसी के घर या सार्वजनिक स्थान पर एकत्र करने की जगह विद्यालय में कक्षा के अनुसार बुलाया जाए। हम दूसरों के घर का अंदाजा नहीं लगा सकते कि वह कोविड-19 में कितना सुरक्षित होगा। विद्यालय में ही कक्षा वार बच्चों को दूर दूर बैठकर कॉविड 19 के निर्देशों का पालन करते हुए पढ़ाना सुरक्षित और आसान होगा। इससे संक्रमण के खतरे को कम कर सकेंगे और छात्रों को स्कूल का वातावरण भी मिलेगा।
महिला शिक्षकों के लिए मोहल्ला क्लास सुरक्षित स्थान नहीं है। नियमित शिक्षकों को विद्यालय में ही रोस्टर के अनुसार बच्चों को बुलाने की अनुमति दी जाए तो अच्छे नतीजे मिलेंगे।
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